कर्नाटक हाईकोर्ट लाइव स्ट्रीमिंग को फुल कोर्ट की मंजूरी; राज्य की मंजूरी का इंतजार: रजिस्ट्री

LiveLaw News Network

10 Nov 2021 5:24 AM GMT

  • कर्नाटक हाईकोर्ट लाइव स्ट्रीमिंग को फुल कोर्ट की मंजूरी; राज्य की मंजूरी का इंतजार: रजिस्ट्री

    Karnataka High Court

    कर्नाटक हाईकोर्ट को मंगलवार को उसकी रजिस्ट्री द्वारा सूचित किया गया कि एक फुल कोर्ट ने अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग के लिए नियमों को मंजूरी दे दी है। अब इसे राज्य सरकार के समक्ष अनुमोदन के लिए रखा गया है।

    मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी और न्यायमूर्ति सचिन शंकर मगदुम की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा,

    "सूचित किया जाता है कि फुल कोर्ट ने 17 सितंबर को अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग के संबंध में बनाए गए नियम को स्वीकृति दे दी। मामला अब राज्य सरकार के पास लंबित है। एजीए को इस संबंध में निर्देश प्राप्त करने का निर्देश दिया जाता है।"

    कोर्ट ने एडवोकेट दिलराज रोहित सिकेरा की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने यह निर्देश जारी किया। मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी।

    सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में सैद्धांतिक रूप से महत्वपूर्ण अदालती सुनवाई की लाइव-स्ट्रीमिंग की अवधारणा को मंजूरी दी थी। हालांकि, इसे अभी लागू किया जाना बाकी है।

    कोर्ट की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग पर जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा,

    'नागरिकों को यह जानने का हक है कि कोर्ट में क्या होता है।'

    गुजरात हाईकोर्ट YouTube के माध्यम से लाइव-स्ट्रीमिंग कार्यवाही शुरू करने वाला पहला हाईकोर्ट बन गया। इसके बाद मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भी अपनी कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग शुरू कर दी है। उड़ीसा हाईकोर्ट मुख्य न्यायाधीश के न्यायालय की कार्यवाही का सीधा प्रसारण करता है।

    हाल ही में कुछ मामलों में सुनवाई के आधार पर कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अदालत से कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया गया।

    अदालती कार्यवाही का प्रसारण करने का निर्णय स्वप्निल त्रिपाठी बनाम भारत के सुप्रीम कोर्ट के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की पृष्ठभूमि में आया, जिसमें अदालती सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग की अनुमति है।

    सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में टिप्पणी की थी,

    "सूर्य का प्रकाश सबसे अच्छा कीटाणुनाशक है।"

    केस शीर्षक: दिलराज रोहित सिकेरा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया

    केस नंबर: 50892/2019

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