कर्नाटक हाईकोर्ट ने कब्बन पार्क के अंदर आगे के निर्माण पर रोक लगाया
LiveLaw News Network
27 Jan 2021 8:15 PM IST
कर्नाटक हाईकोर्ट ने सोमवार को कब्बन पार्क में कर्नाटक राज्य सरकार कर्मचारी संघ (KSGEA) द्वारा बनाई जा रही एक इमारत के आगे के निर्माण पर रोक लगा दी। इसके साथ ही एक और भवन को लेकर निर्देश दिया कि जो आवास HOPCOMs के लिए बागवानी विभाग द्वारा रखा गया, इसे कोर्ट के इजाजत के बिना कब्जा नहीं किया जाना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश अभय श्रीनिवास ओका और न्यायमूर्ति सचिन शंकर मगादुम की एक खंडपीठ ने कब्बन पार्क वाकर्स एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका पर अंतरिम आदेश पारित किया।
पीठ ने कहा कि,
"जहां तक उत्तरदाता 4 ((बागवानी के निदेशक) द्वारा किया गया निर्माण है, हम स्पष्ट करते हैं कि आगे का सभी निर्माण उन आदेशों के अधीन होगा जो कोर्ट द्वारा पारित किया जाएगा और अंततः निर्माण किए गए भवन पर कोर्ट के इजाजत के बिना कब्जा नहीं किया जाएगा।"
आगे कहा गया कि "प्रतिवादी 14 (केएसजीईए) द्वारा किए गए निर्माण के अनुलग्नक में चित्र को देखते हुए हम प्रतिवादी को आगे के निर्माण के लिए आगे बढ़ने से रोकते हैं।" मामले की अगली सुनवाई 2 मार्च को होगी।
एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका में उत्तरदाताओं को निर्देश देने की मांग की गई ताकि कर्नाटक पार्क, प्ले-फील्ड और ओपन स्पेस (संरक्षण और विनियमन अधिनियम) में निहित प्रावधानों की पूरी अवहेलना कर निर्माण को ध्वस्त किया जा सके और यह हाईकोर्ट के निर्देशों के विपरीत है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि अगर निर्माणों को बने रहने दिया जाता है तो इससे आम जनता को अपूरणीय क्षति और चोट पहुंचेगी। इसलिए अवैध निर्माण को ध्वस्त करने की आवश्यकता है और कब्बन पार्क को इसके मूल गौरव को बहाल करने की आवश्यकता है।
एसोसिएशन ने आरोप लगाया कि बागवानी विभाग द्वारा एक हॉपकॉम की दुकान, पशुपालन और मत्स्य विभाग द्वारा निर्माण, BWSSB द्वारा तृतीयक उपचार संयंत्र का संचालन, सेंचुरी क्लब द्वारा स्विमिंग पूल, स्विमिंग पूल और KSLTA द्वारा एक अतिरिक्त कोर्ट का निर्माण किया जा रहा है। सचिवालय क्लब द्वारा जनरेटर कक्ष और टेनिस कोर्ट, कर्नाटक राज्य सरकार कर्मचारी संघ द्वारा एनजीओ हॉल और द प्रेस क्लब और वाईएमसीए द्वारा नई संरचनओं का निर्माण पार्क परिसर के भीतर किया जा रहा है।
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