संविधान का अनुच्छेद 350 | अधिकार क्षेत्र के अधिकारियों के समक्ष नागरिकों की शिकायतों पर अनिश्चित काल तक विचार नहीं किया जा सकताः कर्नाटक हाईकोर्ट
Shahadat
2 Sept 2022 3:22 PM IST
कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने देखा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 350 (Article 350 Constitution) में कहा गया कि जहां कोई नागरिक अधिकार क्षेत्र के अधिकारियों के समक्ष शिकायत करता है उस पर अनिश्चित काल तक विचार नहीं किया जा सकता।
जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित की एकल पीठ ने एस.सी. महेश और अन्य द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुए यह टिप्पणी की। याचिकाकर्ता ने अधिकार क्षेत्र के अधिकारियों द्वारा उनके अभ्यावेदन पर विचार न करने के बाद अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने मंदिर में भक्तों के मुक्त प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों के हाथों कुछ कार्रवाई की मांग की थी, याचिकाकर्ता उनमें से एक था।
प्रतिवादी ने याचिका का विरोध किया और कहा कि विवाद प्रकृति में दीवानी है और इसे सिविल कोर्ट के समक्ष बेहतर तरीके से पेश किया जा सकता है। बेंच ने उठाए गए विवाद से सहमति जताई।
हालांकि, बेंच ने यह राय दी,
"अनुच्छेद 350 के तहत हमारा संविधान कहता है कि जहां कोई नागरिक अधिकार क्षेत्र के अधिकारियों के समक्ष शिकायत करता है तो उसे अनिश्चित काल तक बिना सोचे समझे नहीं रखा जा सकता। इसी तरह के मामलों में इस न्यायालय ने इस तरह की शिकायत पर विचार करने का निर्देश दिया है, इसलिए याचिकाकर्ताओं के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता।"
इसके बाद कोर्ट ने संबंधित उपायुक्त को कानून के अनुसार याचिकाकर्ताओं के विषय अभ्यावेदन पर विचार करने या विचार करने का निर्देश देने वाली याचिका का निपटारा किया। इस तरह के विचार के परिणाम को चार सप्ताह की अवधि के भीतर सूचित किया, जिसके विफल होने पर कानूनी लड़ाई के अगले स्तर पर दोषी अधिकारियों पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है।
केस टाइटल: एस.सी. महेश बनाम कर्नाटक राज्य
केस नंबर: रिट याचिका नंबर 16625/2022
साइटेशन: लाइव लॉ (कर) 346/2022
आदेश की तिथि: 23 अगस्त, 2022
उपस्थिति: याचिकाकर्ता के लिए एडवोकेट नागराजैया के लिए एडवोकेट एच.सी.शिवरामू; प्रतिवादी के लिए आगा बी.वी.कृष्णा
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