कर्नाटक हाईकोर्ट ने फोरेंसिक साइंस लैबोरेट्रीज में वेकेंसी और खराब बुनियादी ढांचों पर स्वतः संज्ञान लिया

LiveLaw News Network

12 Feb 2021 11:27 AM GMT

  • कर्नाटक हाईकोर्ट ने फोरेंसिक साइंस लैबोरेट्रीज में वेकेंसी और खराब बुनियादी ढांचों पर स्वतः संज्ञान लिया

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने बुधवार को राज्य में फोरेंसिक साइंस लैबोरेट्रीज (एफएसएल) में उचित बुनियादी ढांचे की कमी और वेकेंसी को भरने के बारे में स्वतः संज्ञान लेते हुए मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, गृह विभाग और अन्य उत्तरदाताओं को नोटिस जारी किए।

    मुख्य न्यायाधीश अभय ओका और न्यायमूर्ति सचिन शंकर मगदुम की खंडपीठ ने 22 दिसंबर, 2020 को एक एकल न्यायाधीश की पीठ द्वारा पारित आदेश के आधार पर कार्यवाही करते हुए राज्य सरकार को रिक्तियों को भरने के लिए कई निर्देश जारी किए।

    अदालत ने उत्तरदाताओं को निर्देश दिया है कि वे राज्य में एफएसएल के कामकाज में सुधार के लिए लागू करने के लिए सभी अस्थायी और स्थायी उपाय करें। इस संबंध उन्हें कोर्ट में 15 मार्च तक शपथ पत्र दाखिल करना होगा।

    एकल न्यायाधीश पीठ ने अपने आदेश में राज्य सरकार को लंबित नमूनों के संबंध में एक कार्य योजना बनाने का निर्देश दिया था, जिसके तहत इन नमूनों के संबंध में रिपोर्ट संबंधित अदालत के समक्ष दायर की जाएगी। दिशानिर्देश उस समय अवधि के संबंध में जारी किए गए हैं, जिसमें किसी विशेष प्रकार के नमूने की जांच की जाएगी और संबंधित नमूनों की रिपोर्ट के अनुसार संबंधित अदालत को रिपोर्ट सौंपी जाएगी।

    अदालत ने राज्य को यह भी निर्देश दिया था कि वह अदालत में रिपोर्ट प्रस्तुत करने की तारीख तक एकत्र किए गए नमूने की जांच के लिए एक निगरानी प्रणाली स्थापित करे। इसके साथ ही उपलब्ध उपकरणों के संबंध में जांच करने के लिए लैबोरेस्ट्रीज के आधुनिकीकरण, समय-समय पर अद्यतन किए जाने वाले उपकरणों की एक प्रक्रिया को भी रखा जाना चाहिए।

    अदालत ने कहा था कि,

    "कर्नाटक जैसे राज्य के लिए, जिसे सूचना प्रौद्योगिकी में सबसे आगे रहने वाला राज्य कहा जाता है और जिसकी राजधानी बैंगलोर को पूर्व की सिलिकॉन वैली कहा जाता है, वहां एकदम अस्वीकार्य है कि केवल एक एफएसएल है, जिसमें 13 सेक्शन हैं। "

    इसमें कहा गया है,

    "उपरोक्त प्रक्रिया के दौरान प्रत्येक हितधारक द्वारा समय सीमा का पालन किए जाने के संबंध में कोई विशेष दिशानिर्देश निर्धारित नहीं किए गए हैं और न ही नमूने के पारित होने की निगरानी के लिए कोई निगरानी प्रणाली स्थापित की गई है जिस समय से इसे कोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए एकत्र किया गया था।"

    अदालत ने इस तथ्य को ध्यान में रखा कि एफएसएल से रिपोर्ट प्राप्त नहीं होने के कारण 6994 मामले हैं, जो लंबित हैं। इसके साथ ही 35738 से अधिक नमूने लंबित हैं।

    मुख्य न्यायाधीश ओका ने कहा कि एफएसएल में सभी रिक्तियों/पदों को समयबद्ध तरीके से भरा जाना चाहिए। पीठ ने सुझाव दिया कि राज्य सरकार को अधिक एफएसएल और मोबाइल परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित करने की संभावना तलाशनी चाहिए।

    यह देखा गया,

    "हमारे अनुसार, एफएसएल को उचित बुनियादी ढांचा और मशीनरी प्रदान करने में राज्य सरकार की विफलता का आपराधिक न्याय प्रणाली के साथ सीधा संबंध होगा और इसमें देरी से भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।"

    अदालत को दिए गए विवरण के अनुसार, संयुक्त निदेशकों के तीन पद, उप निदेशक के सात पद, सहायक निदेशकों के 18 पद, वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारियों के 35 पद और वैज्ञानिक अधिकारियों के 138 पद राज्य के विभिन्न एफएसएल में रिक्त हैं। एक नार्कोटिक पदार्थ के संबंध में एक रिपोर्ट में 1 साल लगता है, कंप्यूटर / मोबाइल / ऑडियो-वीडियो फोरेंसिक में लगभग 1 और डेढ़ साल लगते हैं, एक डीएनए टेस्ट में 1 और डेढ़ साल लगते हैं, ये औसत समय है।

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