कर्नाटक हाईकोर्ट ने मरीज का शील भंग करने के आरोपी डॉक्टर को अग्रिम जमानत दी, कहा- मेडिकल प्रैक्टिशनर के फरार होने का सवाल ही नहीं उठता

Shahadat

30 Nov 2022 11:33 AM IST

  • हाईकोर्ट ऑफ कर्नाटक

    कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने इलाज के लिए आई महिला का शील भंग करने के आरोपी डॉक्टर को अग्रिम जमानत दे दी।

    जस्टिस राजेंद्र बादामीकर की एकल पीठ ने एमएस उबेदुल्ला खान द्वारा दायर याचिका स्वीकार कर ली और उसे 50,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि का जमानतदार पेश करने पर अग्रिम जमानत दे दी।

    कोर्ट ने आरोपी को जमानत देते हुए कहा,

    "याचिकाकर्ता ने डॉक्टर पर आरोप लगाया और उसके फरार होने या न्याय से दूर भागने का सवाल ही नहीं उठता। आगे यह प्रस्तुत किया गया कि पीड़ित का सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान पहले ही दर्ज किया जा चुका है, इसलिए अभियोजन पक्ष के गवाहों के साथ छेड़छाड़ का सवाल ही नहीं उठता।"

    शिकायतकर्ता ने दावा किया कि वह पेट दर्द से पीड़ित थी और इसलिए उसने तीन बार इलाज के लिए याचिकाकर्ता से संपर्क किया। उक्त तिथियों के दौरान, याचिकाकर्ता ने शिकायतकर्ता के शरीर को अलग-अलग इरादों से छूकर उसके साथ कथित रूप से दुर्व्यवहार किया और उसे इसका खुलासा न करने की धमकी दी और उसे चूमा भी।

    बाद में पीड़िता ने आपबीती अपनी मां और भाई को बताई। भाइयों ने याचिकाकर्ता के साथ मारपीट की और फिर पुलिस से संपर्क किया, जिसके बाद याचिकाकर्ता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 (ए), 506 और 354 के तहत मामला दर्ज किया गया।

    दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कहा कि आईपीसी की धारा 354 (ए) के तहत अपराध जमानती है, जबकि अन्य दो अपराध गैर-जमानती हैं। लेकिन फिर भी वे मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय हैं।

    इसके बाद कोर्ट ने कहा,

    "इन तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए मेरी राय में याचिकाकर्ता की अग्रिम जमानत पर स्वीकार करने में कोई बाधा नहीं है। एचसीजीपी द्वारा उठाई गई अन्य आशंकाओं को कुछ शर्तों को लागू करके पूरा किया जा सकता है। इसलिए याचिका की अनुमति दी जाए।"

    केस टाइटल: एम.एस.उबेदुल्ला खान बनाम कर्नाटक राज्य

    केस नंबर: आपराधिक याचिका नंबर 10563/2022

    साइटेशन: लाइवलॉ (कर) 488/2022

    आदेश की तिथि: 24 नवंबर, 2022

    उपस्थिति: याचिकाकर्ता के वकील एडवोकेट उदय प्रकाश मुलिया और एडवोकेट कमलुद्दीन; प्रतिवादी के लिए रश्मी जाधव, एचसीजीपी।

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