कर्नाटक हाईकोर्ट ने पॉक्सो मामले में मुरुगा मठ के पुजारी को जमानत दी, कहा-उसकी स्थिति ही यह अनुमान लगाने का कारण नहीं हो सकती है कि वह सबूतों को प्रभावित करेगा

Avanish Pathak

10 Nov 2023 10:22 AM IST

  • कर्नाटक हाईकोर्ट ने पॉक्सो मामले में मुरुगा मठ के पुजारी को जमानत दी, कहा-उसकी स्थिति ही यह अनुमान लगाने का कारण नहीं हो सकती है कि वह सबूतों को प्रभावित करेगा

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने बुधवार को चित्रदुर्ग के मुरुघा मठ के पुजारी डॉ शिवमूर्ति मुरुगा शरणारू को जमानत दे दी। उन पर मठ द्वारा संचालित छात्रावासों में रहने वाली दो नाबालिग लड़कियों का यौन शोषण करने का आरोप है। लड़कियों द्वारा मैसूर स्थित एनजीओ ओडानाडी सेवा संस्थान से मदद मांगने के बाद पुजारी को पॉक्सो अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था।

    जस्टिस श्रीनिवास हरीश कुमार की सिंगल जज बेंच ने कहा कि केवल इसलिए जमानत से इनकार नहीं किया जा सकता कि आरोपी एक प्रभावशाली व्यक्ति है।

    कोर्ट ने कहा, "इसमें कोई संदेह नहीं है कि आरोपी नंबर एक एक मठ का प्रमुख है, जिसमें बड़ी संख्या में भक्त और अनुयायी हैं। उसकी स्थिति ही यह अनुमान लगाने का कारण नहीं हो सकती है कि वह सबूतों के साथ हस्तक्षेप करने की कोशिश करेगा। केवल इस आशया के आरोप पर विचार नहीं किया जा सकता, यदि जमानत का मामला अन्यथा बनता है।''

    पुजारी पर आईपीसी की धारा 376(2)(एन), 376(डीए), 376(3), 201, 202 और 506 सहपठित धारा 34 और 37, पॉक्सो एक्ट की धारा 5(एल) सहपठित धारा 6 और धारा 17, एससी/एसटी अधिनियम की धारा 3(1)(w)(i)(ii) और धारा 3(2)(v)(va), धार्मिक संस्थाएं (दुरुपयोग निवारण) अधिनियम की धारा 3(एफ) और धारा 7, और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 75 के तहत आरोप लगाए गए थे। चूंकि लड़कियों में से एक अनुसूचित जाति की है, इसलिए अत्याचार अधिनियम के प्रावधान लागू किए गए।

    पुजारी को दी गई राहत उसकी और से 2,00,000 रुपये के दो बांड निष्पादित करने के अधीन होगी।

    कोर्ट ने कहा, “जमानत पूर्ण स्वतंत्रता नहीं है, जमानत देते समय हमेशा शर्तें लगाई जाती हैं। यदि वह स्वतंत्रता का दुरुपयोग करता है और जमानत की शर्तों का उल्लंघन करता है तो जमानत रद्द करने पर विचार किया जा सकता है।''

    पीठ ने कहा कि आरोपी के खिलाफ लगाए गए अपराध गंभीर हैं, लेकिन जांचकर्ता द्वारा एकत्र की गई सामग्री से प्रथम दृष्टया उसकी संलिप्तता का संकेत मिलना चाहिए।

    यह देखते हुए कि एक समन्वय पीठ ने पहले ही माना है कि धार्मिक संस्थान (दुरुपयोग की रोकथाम) अधिनियम, 1988 की धारा 8 (2) को आरोपी के खिलाफ लागू नहीं किया जा सकता है, कोर्ट ने कहा, “जैसा कि श्री सीवी नागेश ने सही तर्क दिया है कि, धारा 8 (2) आरोपी नंबर 1 के खिलाफ धार्मिक संस्था (दुरुपयोग निवारण) अधिनियम, 1988 कायम नहीं रखा जा सकता।

    हालांकि अदालत ने मामलों की सुनवाई पूरी होने तक उन्हें चित्रदुर्ग जिले में प्रवेश करने से रोक दिया।

    साइटेशनः लाइवलॉ (कर) 426/2023

    केस टाइटल : डॉ. शिवमूर्ति मुरुघा शरणारू और कर्नाटक राज्य

    केस नंबरः CRIMINAL PETITION NO. 5031 OF 2023 C/W CRIMINAL APPEAL NO. 1230 OF 2023.

    आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

    Next Story