कर्नाटक हाईकोर्ट ने बार काउंंसिल ऑफ इंंडिया से पूछा, क्या उन्हेंं COVID19 के कारण मूट कोर्ट और इंटर्नशिप की आवश्यकता में छूट देने का अधिकार है?

LiveLaw News Network

17 July 2020 3:04 PM GMT

  • कर्नाटक हाईकोर्ट ने बार काउंंसिल ऑफ इंंडिया से पूछा, क्या उन्हेंं COVID19 के कारण मूट कोर्ट और  इंटर्नशिप की आवश्यकता में छूट देने का अधिकार है?

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) को निर्देश दिया है कि वह स्पष्ट करे कि क्या उसके पास नियमों को शिथिल करने या उनमें राहत देने का अधिकार है? क्या इस अधिकार का उपयोग विधि विश्वविद्यालयों को सभी अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए अनिवार्य विनियमों के बजाय वैकल्पिक दिशा-निर्देश जारी करने की अनुमति देने के लिए किया जा सकता है ? ताकि पांच वर्षीय लाॅ कोर्स के अंतिम वर्ष के छात्रों को शैक्षिक वर्ष 2019-20 के लिए मूट कोर्ट, इंटर्नशिप, प्री-ट्रायल तैयारी आदि से छूट दी जा सके।

    मुख्य न्यायाधीश अभय ओका और न्यायमूर्ति एम नागाप्रसन्ना की खंडपीठ ने कहा कि-

    ''आज बार काउंसिल के सदस्य यह निर्णय ले सकते हैं लेकिन कल हम नहीं जानते कि क्या होगा। इसलिए हमें छात्रों के भविष्य को सुरक्षित करना होगा।''

    पीठ ने कहा,

    ''मान लीजिए कि एक छात्र पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद एक विदेशी विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त करना चाहता है और यदि बाद में इस डिग्री को मान्यता नहीं दी जाती है, तो यह उनके करियर को प्रभावित करेगा।''

    इस मामले में यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ कॉलेज, बैंगलोर ने अदालत के समक्ष बताया कि यूजीसी द्वारा जारी दिशानिर्देशों और बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा 9 जून को जारी किए गए प्रेस नोट के अनुसार, विश्वविद्यालय ने केवल शैक्षणिक वर्ष, 2019-2020 के लिए 24 (बी) व (सी) के तहत दी गई आवश्यकताओं के संबंध में वैकल्पिक दिशानिर्देशों को अपनाया है। उसके बाद पीठ ने यह टिप्पणी की हैं।

    पीठ ने यह निर्देश यूनिवर्सिटी लॉ कॉलेज, बैंगलोर के दो लॉ के छात्र गौथम आर और कृष्णामूर्ति टी के की तरफ से दायर एक याचिका पर सुनवाई के बाद दिए हैं। यह दोनों छात्र पांच वर्षीय इंटीग्रेटिड बीए एलएलबी कोर्स कर रहे हैं।

    याचिका में कहा गया है कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया रूल्स के पार्ट IV के शेड्यूल II में शैक्षणिक मानकों और पाठ्यक्रमों की रूपरेखा बताई गई है। जिसे एक कानूनी संस्थान द्वारा कानूनी शिक्षा के पाठ्यक्रम में पढ़ाने की आवश्यकता होती है।

    कानूनी शिक्षा के नियमों की शेड्यूल II की प्रविष्टि 6 के तहत पार्ट II (बी) ( बार काउंसिल आॅफ इंडिया रूल्स के पार्ट IV ) के तहत बताया गया है कि संबंधित विश्वविद्यालयों/ संस्थानों को ''अनिवार्य नैदानिक पाठ्यक्रम'' आयोजित करवाना होगा।

    उक्त प्रविष्टि 6 के तहत पेपर 24 ''मूट कोर्ट एक्सरसाइज और इंटर्नशिप'' से संबंधित है, जो इस प्रकार है-

    मूट कोर्ट एक्सरसाइज और इंटर्नशिप- इस पेपर में 30-30 अंकों के तीन घटक हो सकते हैं और 10 अंकों का एक वाइवा।

    (ए) मूट कोर्ट (30 अंक)- प्रत्येक छात्र को एक साल में कम से कम तीन कोर्ट करने की आवश्यकता होती है,जिनमें प्रत्येक के लिए 10-10 अंक होते हैं। मूट कोर्ट का काम बताई कई समस्या पर आधारित होता है। इसमें लिखित प्रस्तुतियों के लिए 5 अंक और ओरल एडवोकेसी ( मौखिक दलील) के लिए 5 अंक का मूल्यांकन किया जाता है।

    (बी) दो मामलों में ट्रायल का अनुसरण करना, एक सिविल और एक आपराधिक (30 अंक)-

    छात्रों को एलएलबी की पढ़ाई के दौरान अंतिम दो या तीन वर्षों के दौरान दो ट्रायल में भाग लेने की आवश्यकता होती है। उन्हें रिकॉर्ड बनाकर रखना होता है,जिसमें कोर्ट असाइनमेंट के दौरान जब वह कोर्ट जाते हैं तो उनकी उपस्थिति के दौरान देखे गए सभी चरणों के बारे में उल्लेख करना होता है। इस काम के लिए उनको तीस अंक मिलते हैं।

    (सी) साक्षात्कार तकनीक और प्री- ट्रायल तैयारी और इंटर्नशिप डायरी (30 अंक)- प्रत्येक छात्र को वकील के कार्यालय/कानूनी सहायता कार्यालय में दो मुविक्कलों के साक्षात्कार सत्र या बातचीत का निरीक्षण करना होगा और एक डायरी में यह सारी कार्यवाही रिकॉर्ड करनी होगी। जिसके 15 अंक होंगे।

    प्रत्येक छात्र को अधिवक्ता द्वारा तैयार किए जा रहे दस्तावेज और अदालत के कागजात और सूट/ याचिका दायर करने की प्रक्रिया का निरीक्षण करना होगा। इसे डायरी में दर्ज किया जाएगा, जिसके 15 अंक होंगे।

    COVID19 महामारी के कारण हाईकोर्ट ने न्यायालयों के नियमित कामकाज और संचालन के लिए कुछ मानक संचालन प्रक्रियाएं निर्धारित कर रखी है। जिसमें यह स्पष्ट रूप से निर्धारित किया गया है कि अदालतों के परिसर में अधिवक्ताओं के लिपिकों, वादकारियों और साथ ही किसी अन्य तीसरे के प्रवेश पर सख्त प्रतिबंध होगा।

    याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि ऐसी परिस्थितियों में कानून के अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए अदालत परिसर में प्रवेश करना और अदालत की कार्यवाही का निरीक्षण करना या पाठ्यक्रम पूरा करने के उद्देश्य से एक वकील के कार्यालय/ कानूनी सहायता कार्यालय में मुविक्कलों के साक्षात्कार सत्रों का निरीक्षण करना असंभव होगा।

    लॉ चैंबर्स/ फर्म ऑफ एडवोकेट्स भी इस समय सोशल डिस्टेंसिंग के मानदंडों को ध्यान में रखते हुए अपने कार्यालयों में लॉ स्कूल के छात्रों को इंटर्न रखने में अनिच्छुक हैं। प्रतिवादियों की यह उदासीनता और बेपरवाही छात्रों को बड़े स्तर पर परेशान करने की संभावना रखती है।

    याचिका में मांग की गई है कि शैक्षणिक वर्ष 2019-2020 के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया रूल्स ('लीगल एजुकेशन के नियम') के भाग IV के अनुसूची या शेड्यूल II के तहत पेपर 24 के क्लॉज (बी) और (सी) को खत्म किया जाए या इसमें छूट दी जाए

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