पीएमएलए मामले में कप्पन को जमानत | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, सह-आरोपी के बैंक खाते में प्राप्त पांच हजार रुपये के अलावा किसी अन्य लेनदेन का आरोप नहीं है

Avanish Pathak

24 Dec 2022 11:02 AM GMT

  • पीएमएलए मामले में कप्पन को जमानत | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, सह-आरोपी के बैंक खाते में प्राप्त पांच हजार रुपये के अलावा किसी अन्य लेनदेन का आरोप नहीं है

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को शुक्रवार को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) मामले में जमानत दे दी।

    जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने आदेश में कहा कि सह-अभियुक्त (अतीकुर रहमान) के बैंक खाते में पांच हजार रुपये ट्रांसफर किए जाने के आरोपों को छोड़कर, कप्पन के बैंक खाते में या सह-आरोपी के बैंक खाते में कोई अन्य लेनदेन नहीं है।

    पीठ ने जोर देकर कहा,

    "अगर यह मान भी लिया जाए कि अपराध की आय का हिस्सा सह-आरोपी अतीकुर रहमान के बैंक खाते में ट्रांसफर किया गया था तो भी यह साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता है कि अभियुक्त-आवेदक ने अपराध की आय 1,36,14,291/- रुपये, जिसे कथित रूप से केए रऊफ शेरिफ ने भेजा था, के साथ डील किया था।"

    हाईकोर्ट की यह टिप्पणी महत्वपूर्ण है क्योंकि सितंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अन्य सभी मामलों में जमानत दे दी थी, इसके बावजूद उन्हें इसी मामले के लंबित होने के कारण 3 और महीने जेल में रहना पड़ा।

    दरअसल, कप्पन के खिलाफ ईडी का मामला यह था कि कप्पन और उनके सह-आरोपी 'पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया' (पीएफआई) के सदस्य हैं। पीएफआई के सचिव केए रऊफ शेरिफ ने एक बड़ी साजिश रची थी, जिसे आगे बढ़ाने के इरादे से उन्होंने हाथरस का दौरा किया था। उनका इरादा सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ना, दंगे भड़काना, आतंक फैलाना, सीएए विरोध और पीएफआई की अन्य गैरकानूनी गतिविधियों के लिए धन उपलब्ध कराना था।

    यह भी आरोप लगाया गया था कि उक्त आपराधिक षड़यंत्र को प्रभावी बनाने के लिए 1,36,14,291/ रुपये विदेश से बोगस और बनावटी लेनदेन के जरिए जुटाए गए थे और इसे सह-आरोपी के खाते में ट्रांसफर किया गया था।

    ईडी ने आरोप लगाया था कि धारा 120-बी आईपीसी के तहत आपराधिक साजिश के जरिए पैदा अपराध की आय, जो कि पीएमएलए के तहत एक अनुसूचित अपराध है, का उपयोग केए रऊफ शेरिफ और उनके सहयोगियों, अतीकुर रहमान, मसूद अहमद, सिद्दीकी कप्पन (वर्तमान आरोपी-आवेदक) और मोहम्मद आलम ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 17 और 18 के तहत अपराध करने के लिए किया था।

    हालांकि, शिकायत में यह खुलासा हुआ कि कप्पन के सह-आरोपी अतीकुर रहमान के बैंक खाते में केवल 5,000/- रुपये ट्रांसफर किए गए थे, जो आरोपी-आवेदक के साथ यात्रा कर रहे थे। 5,000/- रुपये के अलावा, कोई अन्य लेनदेन अभियुक्त-आवेदक या अतीकुर रहमान द्वारा प्राप्त किया गया नहीं दिखाया गया था।

    यह देखते हुए कि सह आरोपी अतीकुर रहमान के बैंक खाते में 5,000/- रुपये के ट्रांसफर को छोड़कर आरोपी-आवेदक के बैंक खाते में या सह-आरोपी के बैंक खाते में कोई अन्य लेनदेन नहीं किया गया है, अदालत ने कप्‍पन को जमानत दे दी और कहा,

    "उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, आरोपी-आवेदक की ओर से इस तर्क के साथ कि वर्तमान मामले में पीएमएलए की धारा 45 के तहत उल्लिखित जुड़वां शर्तें आकर्षित नहीं होती हैं, क्योंकि अपराध की आय एक करोड़ रुपये से कम है और अभियुक्त-आवेदक के भविष्य में उसी अपराध को करने की कोई संभावना नहीं है, और तथ्य यह है कि अभियुक्त-आवेदक विधेय अपराधों में 05.10.2020 से सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत पर रिहा होने के बाद भी ईडी की हिरासत में है, मेरा विचार है कि आरोपी-आवेदक जमानत पर रिहा होने का हकदार है।"

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