[जजों की नियुक्ति] यह मानने का कोई कारण नहीं है कि कॉलेजियम अपने कर्तव्य के प्रति सचेत नहीं है: उत्तराखंड हाईकोर्ट

Brij Nandan

20 Oct 2022 3:13 AM GMT

  • [जजों की नियुक्ति] यह मानने का कोई कारण नहीं है कि कॉलेजियम अपने कर्तव्य के प्रति सचेत नहीं है: उत्तराखंड हाईकोर्ट

    उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने हाल ही में स्वीकृत संख्या के अनुसार हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति से संबंधित एक जनहित याचिका (पीआईएल) याचिक पर कहा कि सिफारिश करना हाईकोर्ट कॉलेजियम का काम है और यह मानने का कोई कारण नहीं है कि कॉलेजियम अपने कर्तव्य के प्रति सचेत नहीं है, या यह कि अवसर आने पर वह अपना कर्तव्य नहीं निभाएगा।

    चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस मनोज के तिवारी की पीठ अनिवार्य रूप से यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया (रजि.) द्वारा दायर जनहित याचिका पर विचार कर रही थी और जिसमें यूओआई सहित प्रतिवादियों को हाईकोर्ट स्वीकृत संख्या के अनुसार न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी।

    याचिका में अदालत से निर्देश के लिए भी प्रार्थना की गई थी कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जो अपनी सेवानिवृत्ति के कगार पर हैं, उन्हें उनकी सहमति के अधीन तब तक कार्यमुक्त नहीं किया जा सकता जब तक कि उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नई पदोन्नति/नियुक्ति नहीं हो जाती।

    जहां तक न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने पर विचार करने के निर्देश का संबंध था, न्यायालय ने कहा कि यह एक ऐसा पहलू है जो संसद के विचाराधीन है और इस संबंध में न्यायालय की कोई भूमिका नहीं है।

    कोर्ट ने देखा कि रिट याचिका में याचिकाकर्ताओं द्वारा मांगे गए निर्देश अनावश्यक हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने जनहित याचिका खारिज कर दी।

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