[जेकेपीएससी भर्ती] 'प्रासंगिक विषय' में योग्यता 'संबंधित विषय' में योग्यता की तुलना में पात्रता का व्यापक दायरा है: हाईकोर्ट
Shahadat
10 Feb 2023 11:33 AM IST
जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में माना कि भर्ती के मामलों में 'संबंधित विषय में योग्यता' वाक्यांश की तुलना में 'संबंधित विषय में योग्यता' वाक्यांश का व्यापक प्रभाव है।
ऐसा पाते हुए कोर्ट ने 'एप्लायड जियोलॉजी' में मास्टर डिग्री धारक को 'जियोलॉजी' सहायक प्रोफेसर के रिक्त पद के लिए आवेदन करने की अनुमति दी। यह कहते हुए कि इस मामले में जम्मू-कश्मीर लोक सेवा आयोग द्वारा जारी भर्ती अधिसूचना में केवल डिग्री रखने वाले उम्मीदवार को निर्धारित किया गया है।
जस्टिस संजीव कुमार और मोक्ष खजुरिया काज़मी की पीठ ने कहा,
"संबंधित विषय में मास्टर डिग्री स्तर यह संकेत दे सकता है कि उम्मीदवार के पास जियोलॉजी में एमएससी होना चाहिए, जबकि "प्रासंगिक विषय में मास्टर डिग्री" का अर्थ होगा कि योग्यता, जिसका अलग नाम हो सकता है, लेकिन जियोलॉजी के शिक्षण के लिए प्रासंगिक योग्यता है, असिस्टेंट प्रोफेसर (जियोलॉजी) के पद के लिए निर्धारित योग्यता भी होगी।"
सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) श्रीनगर के फैसले के खिलाफ अपील की सुनवाई के दौरान यह अवलोकन किया गया, जिसके संदर्भ में ट्रिब्यूनल ने माना कि रोजगार विभाग के पास विज्ञापित पद के लिए योग्यता (जियोलॉजी में पीजी) निर्धारित करने का पूर्ण विशेषाधिकार है और अदालतें समकक्षता (अनुप्रयुक्त भूविज्ञान में पीजी कहते हैं) का पता लगाने के क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकीं। खासकर तब, जब योग्यता निर्धारित करने वाले भर्ती नियमों में कोई समकक्ष योग्यता निर्धारित नहीं की गई।
जम्मू एंड कश्मीर पीएससी ने असिस्टेंट प्रोफेसर (जियोलॉजी) के पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए और भारतीय यूनिवर्सिटी से 'संबंधित विषय में मास्टर डिग्री स्तर' की योग्यता, या मान्यता प्राप्त विदेशी यूनिवर्सिटी से समकक्ष डिग्री निर्धारित की।
अपीलार्थी ने प्रस्तुत किया कि एम.एस.सी. "एप्लाइड जियोलॉजी" में एमएससी समकक्ष और "जियोलॉजी में मास्टर डिग्री" के समान है। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि उनके पास 'प्रासंगिक विषय' में मास्टर डिग्री नहीं है।
हाईकोर्ट ने पाया कि पीएससी द्वारा जारी की गई उम्मीदवारी अस्वीकृति नोटिस कानून में टिकाऊ नहीं है। "प्रासंगिक विषय" और "संबंधित विषय" के बीच के अंतर को विस्तार से बताते हुए अदालत ने स्पष्ट किया कि संबंधित विषय में मास्टर डिग्री स्तर यह संकेत दे सकता है कि उम्मीदवार के पास एम.एससी. जियोलॉजी में, जबकि "प्रासंगिक विषय में मास्टर डिग्री" का अर्थ होगा कि योग्यता है, जिसका अलग नाम हो सकता है, लेकिन जियोलॉजी के शिक्षण के लिए प्रासंगिक योग्यता है तो असिस्टेंट प्रोफेसर (जियोलॉजी) के पद के लिए निर्धारित योग्यता भी होगी।
स्थिति को मजबूत करने के लिए अदालत ने जम्मू और कश्मीर के यूटी के दो सर्वोच्च स्तर के शैक्षणिक निकायों यानी जम्मू यूनिवर्सिटी और कश्मीर यूनिवर्सिटी की राय का हवाला दिया, जिन्होंने इस मामले पर अपनी रिपोर्ट में कहा कि कश्मीर यूनिवर्सिटी द्वारा एप्लाइड जियोलॉजी में प्रदान की गई मास्टर डिग्री जियोलॉजी में मास्टर डिग्री के समान है। इसलिए एम.एससी. एप्लाइड जियोलॉजी के छात्रों को उच्च शिक्षा विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर/लेक्चरर पदों के लिए योग्य माना जा सकता है।
बेंच ने यह भी जोड़ा,
"निर्धारित योग्यता के समकक्ष योग्यता के तर्क के किसी भी खंड द्वारा उस विषय में प्रासंगिक नहीं होने वाली योग्यता के रूप में नहीं ठहराया जा सकता, जिसमें नियुक्ति की जानी है। जो समकक्ष है वह आवश्यक रूप से प्रासंगिक होगा।"
पीठ ने रेखांकित किया कि विज्ञापन में प्रयुक्त "समतुल्य योग्यता" शब्द के पीछे की मंशा को समझाते हुए अदालत ने कहा कि उक्त शब्द का अर्थ योग्यता है, जो कार्य, मूल्य, महत्व या स्तर या कार्य में समान है, जबकि प्रासंगिक योग्यता की परिभाषा योग्यता है, जो निर्धारित योग्यता के समकक्ष है, वास्तव में उस प्रासंगिक विषय में योग्यता होगी, जिसके लिए भर्ती की जानी है।
अदालत ने कहा कि इस विषय पर स्थापित कानून को स्वीकार करते हुए कि यह न तो चयन निकाय के लिए है और न ही न्यायालयों के लिए पद के लिए निर्धारित योग्यता की समानता या प्रासंगिकता का पता लगाने के क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए मौजूदा मामले में विज्ञापन अधिसूचना में एम.एससी जियोलॉजी या एम.एससी, एप्लाइड जियोलॉजी में की योग्यता निर्धारित नहीं की गई। लेकिन इसके बजाय प्रासंगिक विषय में पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री स्तर निर्धारित किया गया।
अदालत ने यह भी कहा कि जब इस मुद्दे का सामना किया गया तो सरकार ने शीर्ष स्तर के दो अकादमिक स्वायत्त निकायों से विशेषज्ञ की राय मांगी और पीएससी को यह कहते हुए अवगत कराया कि याचिकाकर्ता के पास एप्लाइड जियोलॉजी में एमएससी की योग्यता भी प्रासंगिक योग्यता है। इसलिए याचिकाकर्ता चयन प्रक्रिया में विचार किए जाने का हकदार है।
अदालत ने ऐसे मामले में गैर-हस्तक्षेप के स्थापित कानून से विचलित होने का कारण बताते हुए कहा,
"पीएससी ने अपने स्वयं के और इस तरह के किसी भी अधिकार या क्षमता के बिना सरकार की राय खारिज कर दी और विवादित पद के लिए याचिकाकर्ता की उम्मीदवारी खारिज कर दी।"
याचिका स्वीकार करते हुए पीठ ने पीएससी को याचिकाकर्ता को भी योग्य उम्मीदवार मानते हुए चयन प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया।
केस टाइटल: शाहिद हमीद बनाम यूटी ऑफ जेएंडके
साइटेशन: लाइवलॉ (जेकेएल) 15/2023
कोरम: जस्टिस संजीव कुमार और जस्टिस मोक्ष काजमी खजुरिया
याचिकाकर्ताओं के वकील: सीनियर एडवोकेट ए.एच.नाइक, एडवोकेट मिस्टर जिया और एडवोकेट बखत परवेज
उत्तरदाताओं के वकील: एडवोकेट शाह अमीर, सीनियर एडवोकेट जहांगीर इकबाल गनई, एडवोकेट रूकाया सिद्दीकी, एएजी के साथ आसिफा पडरू और एडवोकेट एफ.ए.नाटनू।
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