जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने जिला कोर्ट में रक्षा कर्मियों और उनके परिवारों के मामलों को प्राथमिकता देने के लिए दिशानिर्देश जारी किए
Shahadat
31 July 2025 10:34 AM IST

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) सहित सेवारत और रिटायर रक्षा कर्मियों और उनके आश्रितों से जुड़े मामलों में त्वरित निर्णय और विशेष प्रक्रियात्मक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए व्यापक दिशानिर्देश जारी किए।
यह कदम रक्षा समुदाय की विशिष्ट सेवा शर्तों और उनके त्याग को मान्यता देने के उद्देश्य से नीतिगत बदलाव को दर्शाता है। यह आदेश चीफ जस्टिस के निर्देश पर जारी किया गया।
"जिला न्यायपालिका के अधिकारियों द्वारा रक्षा कर्मियों के मामलों की सुनवाई और निपटान के लिए दिशानिर्देश, 2025" शीर्षक वाले ये दिशानिर्देश केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की सभी अदालतों में लागू होंगे। इसके दायरे में शामिल हैं:
सेना, नौसेना, वायु सेना और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF), सीमा सुरक्षा बल (BSF), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF), सशस्त्र सीमा बल (SSB), असम राइफल्स (ASB) के सेवारत या रिटायर कर्मियों, अक्षम या मृत रक्षा कर्मियों के आश्रितों, विशेष उपायों और त्वरित कार्यवाही से संबंधित सभी मुकदमे।
दिशानिर्देशों की मुख्य विशेषताओं में शामिल हैं:
मामलों की पहचान और उनका अंकन: सभी न्यायालयों को रक्षा कर्मियों से संबंधित मामलों की पहचान करनी चाहिए और उन्हें विशेष रूप से अंकन करना चाहिए, चाहे वे पहले से लंबित हों या नए दायर किए गए हों ताकि प्राथमिकता से निपटारा सुनिश्चित किया जा सके।
शीघ्र सुनवाई: न्यायालयों को ऐसे मामलों का प्राथमिकता के आधार पर निपटारा करने का निर्देश दिया गया। साथ ही भारतीय सैनिक (मुकदमेबाजी) अधिनियम, 1925, सेना अधिनियम, 1950 और संबंधित सैन्य कानूनों जैसे कानूनों का पालन करना चाहिए।
उपस्थिति और सुविधा: रक्षा कर्मियों को अदालत में अनावश्यक रूप से प्रतीक्षा नहीं करानी चाहिए। कार्यवाही में उनकी सेवा संबंधी बाधाओं से संबंधित वैधानिक समय-सीमा का पालन किया जाना चाहिए।
नज़रबंदी या प्रतिबंध के विरुद्ध विशेष संरक्षण: सेवारत रक्षा कर्मियों की किसी भी नज़रबंदी में कानूनी प्रोटोकॉल का पालन किया जाना चाहिए और अधिकारियों को अपने सीनियर अधिकारियों को सूचित करना चाहिए। रिटायर कर्मियों के लिए जिला सैनिक बोर्डों को सूचित किया जाना चाहिए।
सेवा-संबंधी विशेषाधिकारों की मान्यता: न्यायालयों को निर्देश दिया गया कि वे रक्षा कर्मियों को उपलब्ध किसी भी वैधानिक उन्मुक्ति या विशेषाधिकारों को ध्यान में रखें और उन कानूनी सुरक्षा उपायों के अनुरूप आदेश पारित करें। इसी प्रकार, जहां भी आवश्यक हो, लागू रक्षा कानूनों के अनुसार कार्यवाही रोकी जा सकती है।
वैकल्पिक विवाद समाधान को बढ़ावा: जिन मामलों में समझौता या समझौता संभव है, वहां जजों को धारा 89 सीपीसी या विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम के तहत मध्यस्थता या लोक अदालत तंत्र की सक्रिय रूप से खोज करने के लिए कहा गया।
प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण: नए ढांचे को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए जम्मू-कश्मीर न्यायिक अकादमी न्यायिक अधिकारियों के लिए सैन्य सेवा कानूनों, न्यायाधिकरण क्षेत्राधिकारों और संबंधित मुकदमेबाजी की बारीकियों पर आवधिक प्रशिक्षण आयोजित करेगी।
सभी न्यायिक अधिकारियों को इन दिशानिर्देशों का तत्काल पालन करने का निर्देश दिया गया। अधिसूचना संख्या 39408-62/आरजी तथा दिनांक 22.07.2025 का उद्देश्य न्याय वितरण प्रणाली में रक्षा कर्मियों के प्रति सम्मान, दक्षता और संवेदनशीलता की संस्कृति को समाहित करना है।

