जम्मू और कश्मीर सेशन जज ने जमानत पर सुनवाई से खुद को अलग किया कहा, हाईकोर्ट जज ने फैसले को प्रभावित करने की कोशिश की

LiveLaw News Network

11 Dec 2020 6:19 AM GMT

  • जम्मू और कश्मीर सेशन जज ने जमानत पर सुनवाई से खुद को अलग किया कहा, हाईकोर्ट जज ने फैसले को प्रभावित करने की कोशिश की

    जम्मू-कश्मीर के एक सत्र न्यायाधीश ने अग्रिम जमानत के लिए आवेदन पर सुनवाई से खुद को अलग करते हुए कहा कि उन्हें इस मामले में पारित किए जाने वाले आदेश के बारे में हाईकोर्ट के न्यायाधीश की ओर से एक संदेश मिला ।

    श्रीनगर के प्रधान सत्र न्यायाधीश अब्दुल रशीद मलिक ने इस आदेश में हाईकोर्ट के जज और उनके सचिव का नाम लेकर सनसनीखेज़ कदम उठाया है ।

    सत्र न्यायाधीश ने सात दिसंबर को पारित लिखित आदेश में कहा कि जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जावेद इकबाल वानी के सचिव तारिक अहमद मोता ने उन्हें टेलीफोन कर न्यायाधीश के निर्देशों से अवगत कराया था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अग्रिम जमानत लेने वाले आरोपी को जमानत न दी जाए।

    आदेश में फोन कॉल पर की गई बात दर्ज की गई :

    "मुझे माननीय श्री जस्टिस जावेद इकबाल वानी ने निर्देश दिया है कि आप यह सुनिश्चित करें कि शेख सलमान को जमानत न दी जाए । यदि कोई अग्रिम जमानत लंबित है तो निर्देश वही है।

    यह आदेश इस मामले में दिया गया था शेख सलमान बनाम जेकेयूएटी जहां आरोपी पर दंड संहिता की धारा 307, 341 और 323 के तहत हत्या के प्रयास, गलत तरीके से संयम बरतने और चोट पहुंचाने के अपराधों का आरोप था।

    इसके बाद, सत्र न्यायाधीश ने इस मामले की सुनवाई करने में असमर्थता व्यक्त की और 7 दिसंबर को एक आदेश में कहा कि "यह आवेदन विद्वान रजिस्ट्रार न्यायिक, जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय को इस अनुरोध के साथ प्रस्तुत किया जाता है कि इसे मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखा जा सकता है क्योंकि इस मामले में व्यक्ति की स्वतंत्रता शामिल है" ।

    केस रिकॉर्ड के अनुसार जमानत अर्जी 11 दिसंबर को पहली अपर जिला एवं सत्र न्यायालय के समक्ष दायर की गई थी।

    पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक आरोपी को बुधवार को प्रथम अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय ने अग्रिम जमानत दे दी।

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