जम्मू-कश्मीर लोकल कोर्ट ने एनडीपीएस के आरोपी की मौत की न्यायिक जांच के आदेश दिए

LiveLaw News Network

8 April 2022 8:30 AM GMT

  • जम्मू-कश्मीर लोकल कोर्ट ने एनडीपीएस के आरोपी की मौत की न्यायिक जांच के आदेश दिए

    जम्मू-कश्मीर की स्थानीय अदालत ने एनडीपीएस के एक आरोपी अब्दुल लतीफ की मौत की न्यायिक जांच का आदेश दिया। लतीफ ने पिछले महीने किश्तवाड़ के तहसील-चतरू के पुलिस स्टेशन में कथित तौर पर एक लॉक-अप में खुद को फांसी लगा ली थी।

    प्रधान सत्र न्यायाधीश, किश्तवाड़, वाई.पी. कोतवाल ने जम्मू-कश्मीर जिला बार एसोसिएशन, किश्तवाड़ की ओर से दायर एक याचिका पर सीआरपीसी की धारा 176 (1ए) के तहत न्यायिक जांच के आदेश दिए।

    लतीफ को फरवरी, 2022 में नशीले पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया गया था। तदनुसार उसके खिलाफ थाना चटरू में संबंधित धाराओं के तहत एफआईआर नंबर 18/2022 के तहत मामला दर्ज किया गया था। उसे थाना चटरू में लॉक-अप में रखा गया। तलीफ की मौत पर पुलिस ने दावा किया कि उसने खुद को कंबल से लटका लिया और आत्महत्या कर ली।

    कोर्ट में अर्जी

    बार एसोसिएशन ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि लतीफ की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई। ऐसी स्थिति में पुलिस की हिरासत में और कानून के आदेश के अनुसार, थाना प्रभारी की अध्यक्षता वाला संबंधित पुलिस स्टेशन एक कानूनी और वैधानिक दायित्व के तहत एक लिखित रिपोर्ट बनाने के लिए बाध्य है। उसी न्यायालय को, जिसके आदेश के तहत उक्त आरोपी को संबंधित पुलिस की हिरासत में भेज दिया गया था।

    याचिका में आगे कहा गया कि पुलिस द्वारा जांच के अलावा, न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा एक जांच की जानी चाहिए, जिसके स्थानीय अधिकार क्षेत्र में अपराध किया गया। हालांकि, संबंधित पुलिस ने अपनी लापरवाही में जोड़ा कि पुलिस अधिनियम/पुलिस नियमों के साथ-साथ आपराधिक प्रक्रिया संहिता के तहत वारंट के अनुसार कर्तव्य न तो आरोपी अब्दुल लतीफ की कथित संदिग्ध हिरासत में मौत के बारे में रिपोर्ट किया गया, और न ही संबंधित न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा जांच करने का कोई अनुरोध किया गया।

    न्यायालय की टिप्पणियां

    पुलिस रिपोर्ट सहित तथ्यों के विवरण का अध्ययन करने के बाद अदालत ने कहा कि जब मृतक ने कथित तौर पर आत्महत्या की और उसकी मृत्यु हो गई तो वह पुलिस की हिरासत में था। इसलिए, सवाल यह है कि क्या मृतक ने आत्महत्या की है या वह पुलिस द्वारा कथित यातना या दुर्व्यवहार का शिकार हुआ है।

    हालांकि, कोर्ट ने आगे कहा कि वह इस तथ्यात्मक विवाद को सुलझाने का साहस नहीं कर सकता। इसलिए, सच्चाई का पता लगाने के लिए इसकी गहन जांच की आवश्यकता होगी।

    इसके अलावा, कोर्ट ने कहा कि पुलिस जांच की कार्यवाही कर रही है, जबकि एसओएम मारवाह सीआरपीसी की धारा 176 (1) के तहत जांच कर रहे हैं। हालांकि, पीसी ने जोर देकर कहा कि उन्होंने आज तक अपनी रिपोर्ट जमा नहीं की।

    दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 176 की उप-धारा (1-ए) को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने मामले की मजिस्ट्रियल जांच का आदेश दिया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, किश्तवाड़ को दो सप्ताह में मामले की जांच करने का निर्देश दिया।

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