जमशेदपुर सांप्रदायिक संघर्ष 2023| 'यह पता नहीं लगाया जा सकता कि कौन सा समुदाय हमलावर था': हाईकोर्ट ने 42 आरोपियों को जमानत दी

Shahadat

28 July 2023 5:17 AM GMT

  • जमशेदपुर सांप्रदायिक संघर्ष 2023| यह पता नहीं लगाया जा सकता कि कौन सा समुदाय हमलावर था: हाईकोर्ट ने 42 आरोपियों को जमानत दी

    झारखंड हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह अप्रैल 2023 में राज्य के जमशेदपुर जिले में धार्मिक ध्वज के कथित अपमान को लेकर दो समुदायों के सदस्यों के बीच हुई झड़पों के सिलसिले में दर्ज 42 आरोपियों को जमानत दे दी।

    जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस सुभाष चंद की खंडपीठ ने पाया कि किसी भी अपीलकर्ता को मौके पर नहीं पकड़ा गया और नामित आरोपियों और अज्ञात व्यक्तियों की जो भूमिका बताई गई वह सामान्य और सर्वव्यापी है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस स्तर पर यह पता नहीं लगाया जा सकता कि दोनों समुदायों के बीच हमलावर कौन था।

    हालांकि न्यायालय ने यह पाया कि आईओ द्वारा एकत्र किए गए साक्ष्यों से यह स्पष्ट है। हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के आरोपी एक-दूसरे पर पथराव कर रहे थे, जिससे पुलिस कर्मियों को चोटें आईं और उनके वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए। हालांकि, इसमें कहा गया कि चोट की प्रकृति गंभीर नहीं थी और चोट की कोई रिपोर्ट नहीं दी गई। घायलों की मेडिकल जांच करने के संबंध में डॉक्टर का बयान या रिकॉर्ड है।

    इस पृष्ठभूमि में अदालत ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश-द्वितीय, पूर्वी सिंहभूम, जमशेदपुर द्वारा सभी 42 आरोपियों की जमानत याचिका खारिज करने के विभिन्न आदेशों को रद्द कर दिया।

    साम्प्रदायिक झड़पें

    8 अप्रैल को जमशेदपुर के शास्त्री नगर इलाके में मंदिर के पास कथित तौर पर मांस के टुकड़ों के साथ रामनवमी का झंडा पाए जाने के बाद सांप्रदायिक झड़पें हुईं। 'द हिंदू' में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, अगले दिन विशेष समुदाय के सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन किया और 24 घंटे के भीतर आरोपियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की मांग की।

    इसके बाद 9 अप्रैल को शाम को मंदिर समिति की बैठक हुई, जिसमें 100 से ज्यादा लोगों ने, जिनके चेहरे ढके हुए थे, समिति के सदस्यों पर पथराव शुरू कर दिया।

    बाद में जटाधारी शिव हनुमान मंदिर में लगभग 200 हिंदू और शास्त्रीनगर ब्लॉक मस्जिद में लगभग 1000 मुस्लिम लाठी, डंडा और तलवार से लैस होकर नारे लगाते और एक-दूसरे पर पथराव करते पाए गए।

    आगे सीआरपीसी की धारा 144 स्थानीय अधिकारियों द्वारा क्षेत्र में उद्घोषणा की गई और वहां एकत्रित भीड़ को गैरकानूनी सभा घोषित किया गया और सभी को तितर-बितर होने के लिए कहा गया, लेकिन भीड़ और उग्र हो गई। उसने पुलिस कर्मियों और मजिस्ट्रेटों पर ईंटें और पत्थर फेंकना शुरू कर दिया।

    मस्जिद की ओर से भी पुलिस कर्मियों और मजिस्ट्रेटों पर चार राउंड गोलियां चलाी गईं और बोतल बम भी फेंके गए। जब रैपिड एक्शन फोर्स वहां पहुंची और उन्होंने नौ राउंड आंसू गैस छोड़ी तो भीड़ अल्लाह हो अकबर और जय श्री राम के नारे लगा रही थी।

    इस घटना में दंडाधिकारी एवं पुलिस कर्मी घायल हो गए तथा सार्वजनिक एवं सरकारी संपत्ति को भी क्षति पहुंची। कथित तौर पर इस घटना में कुछ राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल थे, जिन्होंने सांप्रदायिक दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए आपराधिक साजिश के तहत इस घटना को अंजाम दिया।

    हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के 119 नामित आरोपियों और अज्ञात 200 हिंदुओं और 1000 मुसलमानों के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई।

    एफआईआर में कहा गया कि मुस्लिम पक्ष के लोग 1000 से 1200 की संख्या में मस्जिद में जमा हुए और सभी लाठी, डंडा और तलवार जैसे घातक हथियारों से लैस थे। ऐसे में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ही घातक हथियारों से लैस होकर गैरकानूनी सभा बनाकर दंगा किया और वे हिंदू समुदाय के लोगों पर हमला करना चाहते थे, जिनकी संख्या केवल 200 थी और सभी हथियार-रहित थे।

    अपराध को अंजाम देने वाले हमलावर मुस्लिम समुदाय के लोग थे और एफआईआर में एकमात्र आरोप दोनों समुदायों के लोगों द्वारा एक-दूसरे पर पथराव करना था।

    इन आरोपों की पृष्ठभूमि में जब दोनों समुदायों के आरोपी व्यक्तियों ने जमशेदपुर कोर्ट द्वारा उनकी जमानत याचिका खारिज होने के बाद हाईकोर्ट का रुख किया तो अदालत ने कहा कि हालांकि घटना स्थल के सीसीटीवी फुटेज का केस डायरी में उल्लेख किया गया। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर किसी की पहचान नहीं हो सकी।

    न्यायालय ने यह भी कहा कि घटना स्थल पर केवल अपीलकर्ताओं की उपस्थिति की पहचान की गई, लेकिन अन्य अज्ञात आरोपियों के साथ इन अपीलकर्ताओं की भूमिका सामान्य और सर्वव्यापी है, जो दोनों समुदायों के 1500 से अधिक है।

    कोर्ट ने कहा कि गवाहों के बयानों में बीजेपी और वीएचपी के कुछ नेताओं के नाम भी आए, जिसमें आरोप लगाया गया कि उन्होंने सांप्रदायिक दुश्मनी भड़काने के लिए भीड़ को संबोधित किया और यहां तक कि पुलिस कर्मियों ने भी इसी तरह का बयान दिया। हालांकि, कोर्ट आगे कहा कि भारी पुलिस बल के बावजूद, भाजपा और विहिप के किसी भी तथाकथित नेता को घटना स्थल पर संबोधित करते हुए पुलिस ने मौके पर नहीं पकड़ा।

    न्यायालय द्वारा नोट किए गए इन तथ्यों की पृष्ठभूमि में न्यायालय ने आरोपी व्यक्तियों को 25,000/- रुपये के जमानत बांड प्रस्तुत करने पर जमानत देना उचित समझा।

    केस टाइटल- अभय सिंह बनाम झारखंड राज्य संबंधित मामलों के साथ

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