जयपुर गोल्डन अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के कारण अपने पिता को खोने वाले नाबालिग मुआवजे के लिए दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे

LiveLaw News Network

14 Jun 2021 1:00 PM GMT

  • जयपुर गोल्डन अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के कारण अपने पिता को खोने वाले नाबालिग मुआवजे के लिए दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे

    राष्ट्रीय राजधानी के जयपुर गोल्डन अस्पताल में कथित रूप से ऑक्सीजन की कमी के कारण COVID19 में अपने एकमात्र रोजी-रोटी कमाने वाले पिता को खो देने वाले नाबालिगों (यास्मीन और रूबेन कटारिया) ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया है। उन्होंने हाईकोर्ट से मांग की है कि सरकारों को निर्देश दिया जाए कि मुआवजे की उन प्रस्तावित योजनाओं को तेजी से लागू किया जाए,जो दिल्ली में कोरोना वायरस की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी या COVID19 के कारण जान गंवाने वाले पीड़ितों के परिवारों तैयार की गई हैं।

    इन दोनों बच्चों ने अपनी प्राकृतिक अभिभावक यानी अपनी मां शालू कटारिया के माध्यम से अदालत का रुख किया है। इन्होंने अपने जैसे बच्चों के लिए पूरी तरह से राज्य द्वारा वित्त पोषित शिक्षा के लिए योजनाओं की घोषणा करने और उनके शीघ्र कार्यान्वयन की मांग भी की है। उनका कहना है कि उन जैसे बहुत सारे ऐसे बच्चे हैं, जो निजी स्कूलों में पढ़ रहे हैं और अपने परिवार में रोजी-रोटी कमाने वाले एकमात्र सदस्य को ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी के कारण या COVID19 के कारण खो चुके हैं। उन्होंने सरकार से यह सुनिश्चित करने की प्रार्थना की है कि स्कूल फीस का भुगतान न करने के कारण उनके शिक्षा के अधिकार पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।

    मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अमित बंसल की अवकाश पीठ ने दिल्ली और केंद्र सरकार, दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर), राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर), लेफ्टिनेंट गवर्नर, दिल्ली और एयर फोर्स गोल्डन जुबली संस्थान समेत सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया है।

    बच्चों ने अपनी याचिका में कहा है कि वे एयर फोर्स गोल्डन जुबली स्कूल में क्रमशः 2013 और 2019 में प्रवेश पाने के बाद से पढ़ रहे हैं। जब उनके पिता का कोरोना टेस्ट पाॅजिटिव आया और उनके स्वास्थ्य की स्थिति बिगड़ने लगी, तो उनके पिता को 18 अप्रैल को जयपुर गोल्डन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल में भर्ती कराते समय उनको आश्वासन दिया गया था कि इस निजी हेल्थकेयर संस्थान के पास सर्वोत्तम उपचार और संसाधन उपलब्ध हैं और उनके पिता को उचित उपचार प्रदान किया जाएगा क्योंकि उन्हें ऑक्सीजन की कमी के कारण ज्यादा देखभाल की आवश्यकता थी।

    24 अप्रैल को, अस्पताल में ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी हो गई,जिसके परिणामस्वरूप याचिकाकर्ताओं के पिता को कम ऑक्सीजन मिलने के कारण उनकी हालत बिगड़ गई और उनका निधन हो गया। याचिका में कहा गया है कि जयपुर गोल्डन हॉस्पिटल के चिकित्सा निदेशक डी. बलूजा ने यह भी कहा था कि, ''शुक्रवार रात को 20 मरीजों की मौत हो गई और दिल्ली के जयपुर गोल्डन अस्पताल रोहिणी में ऑक्सीजन की कमी के कारण 200 से अधिक लोगों की जान दांव पर है।''

    25 अप्रैल को याचिकाकर्ताओं ने अपनी दादी को भी खो दिया था।

    याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उनको यह भी पता चला है कि दिल्ली, केंद्र, डीसीपीसीआर और एनसीपीसीआर द्वारा उनके जैसे परिवारों के लिए कई मुआवजा योजनाएं तैयार की गई हैं,परंतु याचिकाकर्ताओं की जानकारी के अनुसार अभी तक उन योजनाओं को लागू नहीं किया गया है।

    उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें कोरोना महामारी के कारण अनाथ हुए बच्चों के लिए केंद्र की योजना के बारे में भी पता चला है। जिसके तहत प्रत्येक बच्चे के लिए 10 लाख रुपये का कोष अलग रखा जाएगा और जिसका ब्याज उन्हें 5 साल तक वजीफे के रूप में मिलेगा। जब बच्चा 18 साल का हो जाएगा तो उसे मूल राशि सौंप दी जाएगी। इसके साथ ही पीएम केयर्स फंड से एक निजी स्कूल से उनकी शिक्षा के लिए फीस भी दी जाएगी,परंतु उसके बाद ऐसी योजना के लिए किसी आवेदन प्रक्रिया की घोषणा नहीं की गई है। वास्तव में, परिवारों को आज तक कोई अनुग्रह मुआवजा राशि भी नहीं मिली है।

    हालांकि बेंच केवल जरूरी मामलों की सुनवाई कर रही थी,परंतु दिल्ली सरकार के वकील अनुज अग्रवाल ने कहा कि वह किसी भी मामले में याचिका पर नोटिस स्वीकार करने को तैयार हैं।

    केस का शीर्षकः यास्मीन कटारिया व अन्य बनाम जीएनसीटीडी व अन्य

    रिट याचिका डाउनलोड/पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



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