यह नहीं माना जा सकता कि कोई पुलिस अधिकारी सिर्फ इसलिए पक्षपाती हो जाएगा क्योंकि वह शिकायतकर्ता का फेसबुक फ्रेंड है: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

30 Nov 2020 10:42 AM GMT

  • यह नहीं माना जा सकता कि कोई पुलिस अधिकारी सिर्फ इसलिए पक्षपाती हो जाएगा क्योंकि वह शिकायतकर्ता का फेसबुक फ्रेंड है: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि केवल पुलिस अधिकारी के शिकायतकर्ता का फेसबुक फ्रेंड होने के कारण यह नहीं माना जा सकता कि वह (पुलिस अधिकारी) शिकायतकर्ता को गैर-कानूनी तरीके से मदद करेगा।

    कोर्ट ने चंडीगढ़ के एक पुलिस स्टेशन में दर्ज मामले की जांच चंडीगढ़ से बाहर स्थानांतरित करने संबंधी याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। याचिका को स्थानांतरित करने के लिए जो आधार दिये गये थे उनमें से एक आधार यह था कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और उनकी पत्नी की शिकायतकर्ता से घनिष्ठता थी। यह भी आरोप लगाया गया था कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के तत्कालीन स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना और उनके दोस्त/ सहायक एवं चंडीगढ के तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक तजिन्दर लूथरा ने केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ के प्रशासनिक अधिकारियों को प्रभावित किया था और सुश्री गेरट्र्यूड डी'सुजा के इशारे पर याचिकाकर्ता के खिलाफ झूठी प्राथमिकी दर्ज की थी। प्राथमिकी दर्ज करने का उद्देश्य याचिकाकर्ता से कथित तौर पर धन ऐंठना था।

    जस्टिस संत प्रकाश ने कहा,

    "यदि कोई व्यक्ति किसी सरकारी अधिकारी के फेसबुक पेज की मित्र सूची में शामिल है तो यह नहीं माना जा सकता कि वह अधिकारी उस व्यक्ति को गैर-कानूनी तरीके से मदद करेगा और अपराध की जांच को प्रभावित करेगा। अधिकारियों को उनकी निजी ईमेल आईडी पर ईमेल के जरिये शिकायत भेजना या सोशल मीडिया पर उनकी फेंड्स लिस्ट में शामिल होना किसी भी प्रकार से दुर्भावना नहीं माना जा सकता।"

    कोर्ट ने कहा कि जांच स्थानांतरित करने के अधिकार का इस्तेमाल वैसे विरले मामले में किया जाना चाहिए, जहां कोर्ट को सम्बद्ध पक्षों को न्याय दिलाने और लोगों के मनोमस्तिष्क में भरोसा कायम करने के लिए ऐसा करना जरूरी लगता है अथवा जहां राज्य पुलिस की ओर से की गयी जांच पर भरोसा न हो तथा निष्पक्ष, ईमानदारी पूर्वक और सम्पूर्ण जांच के लिए ऐसा करना जरूरी हो, खासकर तब जब सरकारी एजेंसियों के निष्पक्ष कार्य के प्रति आम जनता का भरोसा कायम रखना हो।

    कोर्ट ने कहा कि जो अधिकारी कभी चंडीगढ़ में पोस्टेड नहीं रहा, इसके बावजूद केवल शिकायतकर्ता के पति के साथ 1982 में एक ही विश्वविद्यालय / कॉलेज से स्नातक करने मात्र से यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि उसे अधिकारी ने पक्षपातपूर्ण तरीके से जांच करवाने में कोई भूमिका निभायी थी।

    केस का नाम : मोहित धवन बनाम केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़

    [सिविल रिट याचिका संख्या :- 16659 / 2020]

    कोरम : जस्टिस संत प्रकाश

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