मानवीय संबंधों पर हावी रहता है जाति का मुद्दा, गुजरात हाईकोर्ट ने पुलिस अधीक्षक,वलसाड को अंतरजातीय जोड़े को सुरक्ष‌ित उत्तर प्रदेश भेजने का निर्देश दिया

LiveLaw News Network

26 Sep 2020 9:50 AM GMT

  • मानवीय संबंधों पर हावी रहता है जाति का मुद्दा, गुजरात हाईकोर्ट ने पुलिस अधीक्षक,वलसाड को अंतरजातीय जोड़े को सुरक्ष‌ित उत्तर प्रदेश भेजने का निर्देश दिया

    Gujarat High Court

    गुजरात हाईकोर्ट ने बुधवार (23 सितंबर) को पुलिस अधीक्षक, वलसाड को निर्देश दिया कि प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) तक एक अंतरजातीय जोड़े की सुरक्षा की व्यवस्था की जाए।

    जस्टिस सोनिया गोकानी और जस्टिस एनवी अंजारिया की खंडपीठ ने यह टिप्पणी की।

    पीठ ने कहा, "हालांकि यह ऐसा मुद्दा नहीं है, जिसका निस्तारण अदालत द्वारा किया जाना आवश्यक है, यह ध्यान दें कि जाति का मुद्दा ठोस पूर्वाग्रहों और सोच के साथ मानवीय संबंधों पर हावी रहता है।"

    पृष्ठभूमि

    संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत याचिका दायर की गई थी, जिसमें बंदी प्रत्यक्षीकरण या किसी अन्य उपयुक्त रिट को जारी करने की मांग की गई थी क्योंकि याचिकाकर्ता की बेटी 09.01.2020 से गायब थी।

    पुलिस ने भी मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं की थी, क्योंकि वह 18 साल और 01 महीने की थी। याचिकाकर्ता की शिकायत यह थी कि बेटी के बारे में कोई भी जानकारी नहीं पता की जा सकती है।

    कोर्ट ने 02.09.2020 को नोटिस वापस किया और आदेश दिया कि लड़की को कोर्ट के समक्ष लाया जाए।

    23 सितंबर को कोर्ट की कार्यवाही

    पुलिस प्राधिकरण द्वारा लड़की का पता लगाने और उसे खोजने का प्रयास किया गया और आखिरकार बुधवार (23 सितंबर) को उसे अदालत के सामने लाया गया और जिला अदालत, वापी में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जर‌िए पेश किया गया।

    कोर्ट ने लड़की से बातचीत की, जिसने पहले से ही प्रतिवादी नंबर 3 से शादी कर ली थी। जब उसने प्रतिवादी नंबर 3 से शादी का चुनाव किया था, तब वह वह पहले से ही 18 साल की हो चुकी थी। उसने बताया कि उसने शादी कर ली है। विवाह प्रमाणपत्र को रिकॉर्ड पर लाया गया था।

    लड़की ने बताया कि वह अपने माता-पिता से बहुत डरी हुई थी, क्योंकि उसने एक अलग जाति में विवाह किया था और इसलिए, उसने अपने माता-पिता को अपने घर छोड़ने की जानकारी नहीं दी, न ही घर छोड़ने के बाद उसने अपने माता-पिता को सूचित किया।

    वह अपने माता-पिता के साथ रहने के लिए तैयार नहीं थी और प्रतिवादी नंबर 3 के साथ रहने पर जोर दिया। प्र‌तिवादी संख्या 3 ने भी लड़की की अच्छी देखभाल का वादा किया।

    प्रतिवादी संख्या 3 वापी में आजीविका कमाता था, हालांकि, उन्होंने अब उसने वापी में काम बंद कर दिया था ताकि उत्तर प्रदेश वापस जा सके क्योंकि उसे वापी में रहना सुरक्षित नहीं लग रहा था।

    न्यायालय ने अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीशों से अनुरोध किया था कि वे सुनिश्चित करें कि पक्षों के बीच बैठक सौहार्दपूर्ण वातावरण में आयोजित की जाए। कोर्ट को बताया गया कि बैठक भले ही सौहार्दपूर्ण ढंग से चले, लेकिन इसमें कोई समझौता होने की संभावना नहीं है।

    कोर्ट का आदेश

    इस संदर्भ में, न्यायालय ने उल्लेख किया, "चूंकि दंपति उत्तर प्रदेश वापस जाने के इच्छुक हैं और वापी में नहीं रहना चाहते हैं, पुलिस अधीक्षक, वलसाड उन्हें उत्तर प्रदेश के प्रयागराज भेजने की व्यवस्था करेंगे। यदि आवश्यक हो, तो वह उत्तर प्रदेश में अपने समकक्ष से भी संपर्क करें ताकि वहां भी दंपति को सुरक्षा उपलब्ध हो सके।"

    इसके अलावा, कोर्ट ने कहा, "लड़की किसी अवैध कस्टडी में नहीं है, उसने अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी की है, जो संयोग से उसकी जाति का नहीं है, इसलिए ऐसा कारण नहीं दिखता कि याचिका पर सुनवाई जारी रखी जाए...."

    अंत में, आवेदक के वकील को, अदालत के अधिकारी के रूप में आदेश को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया। साथ ही उन्हें कहा गया कि वह न्यायालय द्वारा जारी किए गए आदेश और निर्देशों को भी याचिकाकर्ता को भी बताएंगे, ताकि याचिकाकर्ता कानून हाथ में लेने का प्रयास न करे।

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