''क्या यह तलवार लटकाना नहीं है?'' बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई पुलिस से पूछा,क्या वे टीआरपी केस में अर्नब गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी के खिलाफ आगे जांच करना चाहते हैं?

LiveLaw News Network

17 March 2021 8:00 PM IST

  • क्या यह तलवार लटकाना नहीं है? बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई पुलिस से पूछा,क्या वे टीआरपी केस में अर्नब गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी के खिलाफ आगे जांच करना चाहते हैं?

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को मुंबई पुलिस से यह जानने की कोशिश की है कि क्या उनका टीआरपी केस में एआरजी आउटलेयर मीडिया प्राइवेट लिमिटेड और अर्नब गोस्वामी के खिलाफ आगे जांचने करने का कोई इरादा है?,जबकि दो आरोपपत्रों के बाद भी, चैनल पुलिस रिकॉर्ड में केवल एक संदिग्ध है।

    कोर्ट ने देखा कि एआरजी और गोस्वामी को मामले में दो चार्जशीट दाखिल करने के बाद भी केवल 'संदिग्ध' के रूप में दिखाया गया है,जिसके बाद कोर्ट ने यह सवाल पूछा।

    जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस मनीष पितले की खंडपीठ ने कहा कि वे उस याचिका पर सुनवाई कर रहे हैं - जो टीआरपी घोटाले की एफआईआर और आरोपपत्रों को अनुरक्षणीयता व मैरिट के आधार पर खारिज करने की मांग करती है। कोर्ट ने कहा कि अगर एआरजी अपनी याचिका में सफल हो गई तो जांच का क्या होगा?

    अदालत ने अभियोजन पक्ष से भी यह पूछा कि वह बताएं कि टीआरपी घोटाले में अपनी जांच पूरी करने के लिए उनको कितने समय की आवश्यकता है।

    जस्टिस शिंदे ने पूछा कि,

    ''अभी मुख्य प्रश्न यह है कि यदि यह याचिका सफल हो जाती है तो जांच का क्या होगा? आपको कितने समय की आवश्यकता है?''

    जब विशेष लोक अभियोजक शिशिर हिरे ने कहा कि उन्हें निर्देश लेने और फिर बयान देने की आवश्यकता होगी तो न्यायमूर्ति शिंदे ने कहा कि प्राथमिकी अक्टूबर 2020 में दर्ज की गई थी और अब मार्च 2021 चल रहा है।

    ''श्री हिरे कई मामलों में हमने देखा है,कई वर्षों से खिचड़ी पक रही है। क्या यह किसी के सिर पर तलवार लटकाना नहीं है?''

    कोर्ट ने यह सवाल उस समय पूछा,जब वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक मुंदरगी की तरफ से कहा गया कि दो चार्जशीट के बाद भी रिपब्लिक टीवी और अर्नब के खिलाफ पर्याप्त सामग्री एकत्र नहीं की गई है और चैनल को केवल ''संदिग्ध'' के रूप में दिखाया गया है।

    उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष ने यह नहीं कहा है कि वे याचिकाकर्ताओं के खिलाफ जांच जारी नहीं रखना चाहते हैं। ''अगर अदालत को लगता है कि जांच को रोका नहीं जा सकता है, तो याचिका को स्वीकार किया जाना चाहिए और कड़ी कार्रवाई से सुरक्षा दी जानी चाहिए क्योंकि आज मेरे खिलाफ कोई सामग्री नहीं है।''

    मुंदरगी ने कहा कि याचिकाकर्ता अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं अगर उनके खिलाफ कुछ ठोस पाया जाता है।

    उनके तर्कों पर प्रतिक्रिया देते हुए मुंबई पुलिस के लिए विशेष लोक अभियोजक शिशिर हिरे ने कहा कि ऐसा नहीं है कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई सामग्री नहीं थी।

    मुंदरगी ने कहा, ''अगर पर्याप्त सामग्री है तो उन्हें आरोपी क्यों नहीं बनाया गया है।''

    सीपी की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर आधारित तर्क

    टीआरपी स्कैम में एफआईआर दर्ज किए जाने के दो दिन बाद मुंबई पुलिस कमिश्नर द्वारा 8 अक्टूबर, 2020 को प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई थी,जो याचिकाकर्ता की उन दलीलों का आधार है, जिनमें कहा गया है कि पुलिस उनके खिलाफ गलत भावना के इरादे से काम कर रही है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में, रिपब्लिक टीवी का नाम लिया गया था जबकि एफआईआर में टीवी को आरोपी के रूप में नहीं दिखाया गया था।

    सुनवाई के दौरान, बुधवार को वरिष्ठ अधिवक्ता मुंदरगी ने कहा कि केवल दिसंबर में मुंबई पुलिस को आधिकारिक तौर पर बीएआरसी से फॉरेंसिक विश्लेषण रिपोर्ट की एक प्रति प्राप्त हुई थी।

    मुंदरगी ने पूछा कि,

    ''जबकि 8 अक्टूबर की प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीपी इस रिपोर्ट पर भरोसा कर रहे थे, ऐसा कैसे हो सकता है ?''

    आश्चर्यचकित होते हुए जस्टिस पितले ने कहा कि वह सीपी की प्रेस कॉन्फ्रेंस का प्रासंगिक हिस्सा देखना चाहते हैं। ''यहां एक स्पष्ट कथन है जिसमें बीएआरसी द्वारा प्रस्तुत विश्लेषणात्मक रिपोर्ट का जिक्र है।''

    विशेष लोक अभियोजक शिशिर हिरे ने कहा कि सीपी बीएआरसी द्वारा गठित तीसरे पक्ष के फोरेंसिक विश्लेषण पर भरोसा नहीं कर रहे थे, लेकिन बीएआरसी की एक अन्य रिपोर्ट थी, जो जनवरी 2020 की एक आंतरिक रिपोर्ट थी। ''उन्हें कॉन्फ्रेंस से एक दिन पहले वह आंतरिक रिपोर्ट प्राप्त हुई थी।''

    उन्होंने कहा कि दोनों रिपोर्ट चार्जशीट का हिस्सा हैं। ''हम समाचार चैनल की जांच नहीं कर रहे थे, हम पूरे घोटाले की जांच कर रहे थे।''

    मुंदरगी ने हालांकि कहा कि जनवरी की रिपोर्ट केवल एक ग्राफ है न कि फोरेंसिक विश्लेषण। उन्होंने जोर देकर कहा कि सीपी प्रेस कॉन्फ्रेंस में फोरेंसिक विश्लेषण रिपोर्ट का जिक्र कर रहे थे जो उन्हें आधिकारिक तौर पर केवल दिसंबर 2020 में मिली थी।

    आरोप पत्र

    मुंदरगी ने तब आरोप पत्र के साथ दायर किए गए आरोपियों के बयानों को संदर्भित किया ताकि यह दिखाया जा सकेे कि अभियोजन पक्ष याचिकाकर्ताओं के खिलाफ अस्वीकार्य सामग्री पर भरोसा कर रहा था, जबकि एक अन्य चैनल जिसका नाम शुरू में सामने आया था,उसके खिलाफ जांच नहीं की जा रही है।

    जस्टिस पितले ने पूछा कि,''तो वे उन चैनलों के पीछे नहीं जा रहे हैं, जिनके नाम सामने आए हैं ?''

    मुंदरगी ने जवाब दिया कि,''आज वे कह रहे हैं कि दूसरे चैनल के खिलाफ कुछ भी नहीं मिला है।''

    इसके बाद न्यायमूर्ति शिंदे ने हिरे से कहा कि वह उनके द्वारा पूर्व में पूछे गए प्रश्नों पर निर्देश लेकर कोर्ट के समक्ष गुरुवार को अपना जवाब दायर करें।

    ''हम हर दिन 100 मामलों की सुनवाई कर रहे हैं। अगर हमें समय पर जवाब नहीं मिलेगा तो हम आगे नहीं बढ़ पाएंगे। वादकारियों के दृष्टिकोण से हमारा समय बहुत महत्वपूर्ण है।''

    पीठ ने इस बात पर अफसोस जताया कि कैसे उनसे अंतरिम आदेश के लिए भी कारण बताए जाने की उम्मीद की गई थी। पीठ ने कहा कि उनके दिमाग में कुछ ऐसी बातें हैं, जिनका वह तब तक खुलासा नहीं करना चाहती हैं, जब तक कि मुंबई पुलिस बयान नहीं देती है।

    वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक मुंदरगी को अधिवक्ता निरंजन मुंदरगी ने सहायता प्रदान की और लॉ फर्म फीनिक्स लीगल द्वारा निर्देशित किया गया।

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