ऊंची रैंक के एक अधिकारी का लापता होना गंभीर मामलाः आईपीएस अधिकारी लापता होने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से जवाब मांगा

LiveLaw News Network

29 May 2021 11:15 AM GMT

  • ऊंची रैंक के एक अधिकारी का लापता होना गंभीर मामलाः आईपीएस अधिकारी लापता होने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से जवाब मांगा

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार (27 मई) को उत्तर प्रदेश सरकार से उस हैबियस कार्पस रिट याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है, जिसमें एक आईपीएस अधिकारी मणि लाल पाटीदार को पेश करने की मांग की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि वह नवंबर 2020 से लापता है।

    न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति सैयद आफताब हुसैन रिजवी की खंडपीठ अधिवक्ता डॉ मुकुट नाथ वर्मा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें प्रार्थना की गई है कि उनके मुवक्किल श्री मणि लाल पाटीदार, आईपीएस, पूर्व पुलिस अधीक्षक, महोबा, यूपी को पेश करने के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण की प्रकृति में एक रिट जारी की जाए।

    उन्होंने अदालत से इस मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो से जांच करवाने का आदेश देने का भी अनुरोध किया।

    कोर्ट के समक्ष मामला

    यह प्रस्तुत किया गया कि 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी मणिलाल पाटीदार खनन माफिया के खिलाफ अभियान चला रहे थे और इस संबंध में प्रशासन के कुछ वर्गों के साथ उनके संबंधों में खटास आ गई और परिणामस्वरूप, उन्हें कुछ मामलों में झूठा फंसाया दिया गया।

    आगे कहा गया कि 15 नवंबर, 2020 को, पाटीदार ने याचिकाकर्ता (उनके वकील) को एक व्हाट्सएप कॉल करके सूचित किया था कि वह लंबित कानूनी मामलों के संबंध में 27 नवंबर, 2020 को उनसे मिलने आएंगे, हालांकि वह नहीं आए।

    इस प्रकार, याचिकाकर्ता ने अदालत के समक्ष आरोप लगाया कि हो सकता है कि राज्य प्रशासन में उच्च पदस्थ अधिकारियों ने कुछ गलत किया होगा जिसके परिणामस्वरूप मणिलाल पाटीदार लापता हो गया है और उसका पता नहीं चल रहा है।

    अंत में, यह भी कहा गया कि वह प्रशासन में कुछ गड़बड़ियों को उजागर करने जा रहे थे, इसलिए संभव है कि उनकी जान को खतरा हो या हो सकता है कि वह प्रतिवादियों की गैरकानूनी हिरासत में हो। इन सभी आशंकाओं को व्यक्त करते हुए एक हैबियस कार्पस याचिका दायर की गई है।

    राज्य की दलीलें

    अतिरिक्त महाधिवक्ता ने प्रस्तुत किया कि पाटीदार का कुछ मामलों में नाम सामने आया था और उन्होंने इस अदालत में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन दायर किए थे, जिन्हें खारिज कर दिया गया था। इस अदालत में अग्रिम जमानत के लिए उनकी प्रार्थना पर उनका प्रतिनिधित्व करने के लिए वह विभिन्न वकीलों के संपर्क में भी थे।

    आगे यह आरोप लगाया गया कि पाटीदार उन मामलों में अपनी गिरफ्तारी से बचने की कोशिश कर रहे हैं जिनमें उनका नाम शामिल है और इस प्रकार, प्रशासन को बदनाम करने के लिए, तत्काल हैबियस कार्पस याचिका एक अप्रत्यक्ष उद्देश्य से दायर की गई है।

    कोर्ट का आदेश

    शुरुआत में, कोर्ट ने पाया कि चूंकि पाटीदार लापता हो गया है और प्रतिवादियों के वकील भी इस बात पर विवाद नहीं कर रहे हैं कि मणिलाल पाटीदार का पता नहीं चल रहा है। ऐसे में मणिलाल पाटीदार कहां है यह पता लगाने के लिए मामले की जांच करनी होगी और यह भी क्या वह है जिंदा है या मुर्दा।

    इसके अलावा, कोर्ट ने कहा कि,

    ''इस बात पर कोई विवाद नहीं है कि मणिलाल पाटीदार उत्तर प्रदेश राज्य के पुलिस बल में थे और पुलिस अधीक्षक, महोबा के स्तर के एक उच्च पदस्थ अधिकारी थे। ऐसा व्यक्ति पिछले कुछ महीनों समय से लापता है,जो एक गंभीर मुद्दा है।''

    इसलिए, कोर्ट ने निर्देश दिया किः

    ''यह पता लगाना महत्वपूर्ण होगा कि उसे पकड़ने के लिए जांच एजेंसी सहित प्रशासन द्वारा क्या कदम उठाए गए थे, विशेष रूप से, जब, प्रतिवादियों ने स्वयं बताया है कि उसकी अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी गई थी।''

    मणिलाल पाटीदार के खिलाफ पहले से लंबित/स्थापित मामलों की जांच करने वाली जांच एजेंसी को विशेष रूप से निम्न तथ्यों पर एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया हैः

    -मणिलाल पाटीदार के ठिकाने का पता लगाने के बाद उन्हें गिरफ्तार करने के लिए उनके द्वारा क्या प्रयास किए गए, खासकर, जब मणि लाल पाटीदार द्वारा दायर की गई अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी गई;

    -क्या मणिलाल पाटीदार के परिवार के सदस्यों से किसी भी स्तर पर उसके लापता होने के संबंध में कोई शिकायत या अभ्यावेदन प्राप्त हुआ है, यदि हां, तो ऐसी शिकायत पर क्या कार्रवाई की गई;

    -क्या जांच एजेंसी ने मणिलाल पाटीदार द्वारा अपने रिश्तेदारों, दोस्तों, वकीलों से संपर्क करने के लिए उपयोग किए जाने वाले ज्ञात मोबाइल नंबरों की निगरानी की है, यदि हां, तो उसकी अंतिम लोकेशन कहां की थी;

    -क्या मणिलाल पाटीदार के परिवार के सदस्यों के बयान उसके ठिकाने का पता लगाने के लिए दर्ज किए गए हैं, यदि हां, तो उन बयानों की प्रकृति का खुलासा किया जाए;

    -क्या मणिलाल पाटीदार की गिरफ्तारी/उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए सीआरपीसी की धारा 82/83 के तहत कोई कठोर कदम उठाए गए थे, यदि हां, तो इसका खुलासा किया जाए।

    केस का शीर्षक:डॉ मुकुट नाथ वर्मा बनाम यूपी राज्य व 11 अन्य

    आदेश डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



    Next Story