उदयपुर में 26 आदेशों के माध्यम से 506 घंटे के लिए इंटरनेट शटडाउन: राजस्थान हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया
Shahadat
19 May 2022 10:41 AM IST
राजस्थान हाईकोर्ट ने क्षेत्र के संभागीय आयुक्त द्वारा बार-बार पारित किए जा रहे "इंटरनेट शटडाउन" आदेशों की वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया।
आरोप लगाया गया कि अनुराधा भसीन बनाम भारत संघ में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से कम से कम 26 शटडाउन आदेश के माध्यम से उदयपुर डिवीजन में लगभग 506 घंटे के लिए इंटरनेट एक्सेस को प्रतिबंधित कर दिया गया है। उक्त आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा गया था कि केवल असाधारण परिस्थितियों में ही इंटरनेट शटडाउन का सहारा लिया जाना चाहिए।
एक्टिंग चीफ जस्टिस मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव और जस्टिस मदन गोपाल व्यास की खंडपीठ ने मामले में नोटिस जारी किया।
उदयपुर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के साथ-साथ होटल एसोसिएशन, उदयपुर द्वारा जनहित याचिका दायर की गई है। इस याचिका में राज्य को अपनी आधिकारिक वेबसाइटों के साथ-साथ ट्विटर हैंडल यानी @RajGovOfficial पर इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करने वाले सभी आदेशों को तुरंत प्रकाशित करने का निर्देश दिए जाने की मांग की गई है।
इसके अलावा, जनहित याचिका ने प्रतिवादी को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने की मांग की कि पुनर्विचार समिति दूरसंचार सेवा (सार्वजनिक आपातकाल या सार्वजनिक सुरक्षा) नियम, 2017 के नियम 2 (6) के अनुसार, अपने निष्कर्षों को दर्ज करे। इसने अनुराधा भसीन में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करने के लिए प्रतिवादी को निर्देश देने की भी प्रार्थना की।
इसके अलावा, याचिका में प्रतिवादी को दूरसंचार सेवा (सार्वजनिक आपातकाल या सार्वजनिक सुरक्षा) नियम, 2017 के नियम 2 (6) के तहत पुनर्विचार समिति के निष्कर्षों को इंटरनेट शटडाउन के प्रत्येक उदाहरण के लिए अनुराधा भसीन, 24.09.2020 और 28.09.2020 के बीच जारी किए गए 18 आदेशों, 25.09.2021 को जारी किए गए 6 आदेश और 27.10.2021 को जारी किए गए आदेशों सहित प्रकाशित करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि उदयपुर संभाग में रहने वाले लोग प्रतिवादी द्वारा संभागीय आयुक्त, उदयपुर के माध्यम से इंटरनेट सेवाओं के बार-बार और बेवजह शटडाउन से व्यथित हैं। इसमें कहा गया कि ये आदेश विरोध के जवाब में धोखाधड़ी/कानून और व्यवस्था की चिंताओं को रोकने के लिए जारी किए गए थे। परिणामस्वरूप, याचिकाकर्ताओं सहित उदयपुर मंडल में रहने वाले व्यक्तियों को अपूरणीय आर्थिक नुकसान हुआ।
इसके अलावा, याचिका के अनुसार, प्रतिवादी ने इन आदेशों की प्रति भी प्रकाशित नहीं की और इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन द्वारा आरटीआई आवेदन के माध्यम से आदेश प्राप्त किए गए। याचिका में कहा गया कि 2012 के बाद से 549 दस्तावेज इंटरनेट शटडाउन में से राजस्थान ने 80 बार इंटरनेट बंद करने के आदेश जारी किए हैं।
याचिका में यह भी कहा गया कि इस अदालत ने धीरेंद्र सिंह राजपुरोहित बनाम राजस्थान राज्य [सी.डब्ल्यू. 10304/2018] 28.11.2018, जिससे उत्तरदाताओं ने हलफनामा लिया कि गृह विभाग ने राजस्थान में सभी संभागीय आयुक्तों को परीक्षा के दौरान इंटरनेट शटडाउन नहीं करने का निर्देश दिया था, का भी उल्लेख किया गया।
याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व सीनियर एडवोकेट मनीष शिशोदिया ने किया। याचिका एडवोकेट वृंदा भंडारी, अभिनव सेखरी, तन्मय सिंह, जयदीप सिंह सलूजा, कृष्णेश बापट, आनंदिता मिश्रा और अमला दशरथी के माध्यम से दायर की गई है।
केस शीर्षक: उदयपुर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री और अन्य बनाम राजस्थान राज्य