अंतरिम भरणपोषण | अलग रह रही पत्नी को दावे की तारीख से न्यूनतम राशि देय होगी, यह उसके जीवन और स्वतंत्रता को गरिमापूर्ण बनाने के लिए आवश्यक : इलाहाबाद हाईकोर्ट

Avanish Pathak

30 Aug 2023 12:57 PM GMT

  • अंतरिम भरणपोषण | अलग रह रही पत्नी को दावे की तारीख से न्यूनतम राशि देय होगी, यह उसके जीवन और स्वतंत्रता को गरिमापूर्ण बनाने के लिए आवश्यक : इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वैवाहिक विवाद जुड़े एक मामले में कहा है कि अलग रह रही पत्नी को उसके जीवन और स्वतंत्रता को गरिमापूर्ण बनाए रखने के लिए दावे की तारीख से न्यूनतम राशि का भुगतान किया जाना चाहिए। कोर्ट ने अंतरिम भरण-पोषण पर फैमिली कोर्ट के एक फैसले के खिलाफ दायर की गई अपील यह ‌टिप्‍पणी की।

    जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस राजेंद्र कुमार-चतुर्थ की खंडपीठ ने फैमिली कोर्ट के आदेश के तहत पत्नी और बच्चों को दिए गए 7,000 रुपये के अंतरिम भरण-पोषण को बरकरार रखा।

    तथ्य

    पुष्पेंद्र सिंह (पति/अपीलकर्ता) और श्रीमती सीमा (पत्नी/प्रतिवादी) की तीन संताने हैं। पत्नी ने फैमिली कोर्ट के समक्ष हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 24 के तहत एक आवेदन दायर किया।

    फैमिली कोर्ट ने पत्नी और तीन बच्चों के जीवन और सम्मान को बनाए रखने के लिए 7,000/- प्रति माह का भरण-पोषण, पत्नी को एकमुश्त कानूनी खर्च के लिए 10,000/- रुपये देने का आदेश दिया।

    पति ने फैमिली कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट ने में चुनौती दी। उसकी ओर से दलील दी गई कि अंतरिम गुजारा भत्ता बहुत ज्यादा है। उसने पत्नी पर व्यभिचार का आरोप लगाया। उसने के कहा कि उसकी पत्नी का उसके सगे भाई के साथ संबंध था।

    फैसला

    अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता दिसंबर 2014 से केंद्रीय अर्धसैनिक बल यानी आईटीबीपी में कार्यरत था, और उसने 40,032/- रुपए मासिक वेतन प्राप्त होता है।

    न्यायालय ने कहा कि पति के भाई के साथ व्यभिचार अंतरिम भरण-पोषण के आदेश को चुनौती देने के लिए पर्याप्त आधार नहीं है, क्योंकि पति के तीन बच्चे थे, जो अलग हो चुकी पत्नी के साथ रह रहे थे। जबकि उसके पास सम्मान के साथ चार जिंदगियां का गुजारा चलाने के लिए आय का कोई गुजारा चलाने के लिए आय का कोई स्वतंत्र स्रोत नहीं था।

    न्यायालय ने माना है कि अलग रह रही पत्नी को न्यूनतम गरिमा के साथ अपने जीवन और स्वतंत्रता को सुरक्षित रखने के लिए दावे की तारीख से न्यूनतम राशि का भुगतान किया जाना चाहिए। न्यायालय ने निर्देश दिया कि अगर पति न्यायालय की ओर से निर्धारित किश्तों में बकाया राशि का भुगतान करता है तो उसके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।

    केस टाइटल: पुष्पेंद्र सिंह बनाम श्रीमती सीमा

    केस नंबर: प्रथम अपील नंबर - 959/2023

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