एनडीपीएस एक्ट के तहत जब्त वाहन की अंतरिम कस्टडी सीआरपीसी 451 और 457 के तहत दी जा सकती है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

Avanish Pathak

30 Aug 2022 4:02 PM GMT

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट


    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि मजिस्ट्रेट/विशेष न्यायाधीश, एनडीपीएस एक्‍ट के पास सीआरपीसी की धारा 451 और 457 के प्रावधान के तहत वाहन/व्‍ह‌िकल (एनडीपीएस एक्ट के तहत जब्त) की अंतरिम कस्टडी के लिए आवेदन पर विचार करने की शक्ति है।

    जस्टिस साधना रानी (ठाकुर) ने कहा,

    "एनडीपीएस एक्ट की धारा 36-सी और 51 को देखन से यह समझ आता है कि सीआरपीसी के प्रावधान, जहां तक ​​विशेष कानून एनडीपीएस एक्ट के विरोध में नहीं हैं, एनडीपीएस एक्ट पर लागू होंगे और जैसा कि एनडीपीएस एक्ट वाहन की अंतरिम कस्टडी के लिए कोई प्रक्रिया निर्धारित नहीं है सीआरपीसी की धारा 451 और 457 विशेष रूप से लंबित मुकदमे की संपत्ति की कस्टडी और निस्तारण और संपत्ति की जब्ती पर पुलिस द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया से संबंधित है।

    मामला

    एनसीबी की टीम ने विचाराधीन ट्रक (टाटा मिनी ट्रक) को रोका था और वाहन से 975 किलोग्राम गांजा की कथित रिकवरी द‌िखाई गई थी। वाहन मालिक की भूमिका का पता लगाने के लिए कथित तौर पर एनसीबी ने कई नोटिस भेजे थे, हालांकि एनसीबी के बयान के अनुसार, पुनर्विचारकर्ता ने एनसीबी के कार्यालय में उपस्थित होने से परहेज किया।

    हालांकि, पुनर्विचारकर्ता ने इस तथ्य से इनकार किया कि उन्हें एनसीबी से कोई नोटिस प्राप्त हुआ था, हालांकि यह एक स्वीकृत तथ्य है कि पुनर्विचारकर्ता एनसीबी के कार्यालय में उपस्थित नहीं हुए और पुनर्विचारकर्ता की अनुपस्थिति के कारण, टाटा मिनी ट्रक के संबंध में जब्ती की कार्यवाही शुरू नहीं किया जा सका और जांच अभी भी जारी है।

    इसके बाद, पुनर्विचारकर्ता ने विशेष जज एनडीपीएस एक्ट/अतिरिक्त सत्र जज, इलाहाबाद के समक्ष टाटा मिनी ट्रक को मुक्त कराने के लिए आवेदन दायर किया, हालांकि इसे खारिज कर दिया गया। जिसके बाद उसी आदेश को चुनौती देते हुए पुनर्विचारकर्ता ने हाईकोर्ट से संपर्क किया।

    पुनर्विचारकर्ता द्वारा यह तर्क दिया गया कि उनके वाहन को सुंदरभाई अंबालाल देसाई बनाम गुजरात राज्य, (2002)10 एससीसी 283 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले और धीरेंद्र सिंह थापा बनाम यूपी राज्य और अन्य [क्रिमिनल रीविजन नंबर 1926 ऑफ 2018] में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले की रोशनी में सीआरपीसी (धारा 451 और 457) के प्रावधानों के अनुसार रिहा किया जाए।

    अवलोकन

    शुरुआत में, अदालत ने कहा कि एनडीपीएस एक्ट की धारा 52-ए जब्त नशीले पदार्थों और मादक पदार्थों के जब्ती और निस्तारण का प्रावधान करती है, हालांकि, मौजूदा मामले में वाहन को अभी तक जब्त नहीं किया गया था।

    इसके अलावा, कोर्ट ने रत्नाम्मा बनाम राज्य, पीएसआई, चन्नागिरी पुलिस स्टेशन द्वारा प्रतिनिध‌ित्व 2022 लाइव लॉ (कर) 216 के मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट के हालिया फैसले का उल्लेख किया, जिसमें यह माना गया था कि एक मजिस्ट्रेट या विशेष कोर्ट को ( नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट के तहत) आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 451 और 457 के प्रावधानों के तहत एनडीपीएस एक्ट के प्रावधानों से उत्पन्न मामलों में वाहन की 'अंतरिम कस्टडी' के लिए आवेदन पर विचार करने की शक्ति/क्षेत्राधिकार प्रदान किया गया है।

    इसे देखते हुए कोर्ट की राय थी कि सुंदरभाई अम्बालाल देसाई (सुप्रा) में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून एनडीपीएस एक्ट के तहत जब्त किए गए वाहन पर भी लागू होगा और इस प्रकार, मजिस्ट्रेट/विशेष जज, एनडीपीएस एक्ट के पास सीआरपीसी की धारा 451 और 457 के प्रावधान के तहत वाहन की अंतरिम कस्टडी के लिए आवेदन पर विचार करने की शक्ति होगी।

    इस प्रकार पुनर्विचार की अनुमति दी गई और विशेष जज एनडीपीएस एक्ट/अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, इलाहाबाद द्वारा 29 अक्टूबर, 2021 को पारित आदेश को रद्द कर दिया गया।

    केस टाइटल- राजधारी यादव बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्‍य [CRIMINAL REVISION No. - 3607 of 2021]

    केस साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (एबी) 401

    आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

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