इंटर-कंट्री अडॉप्शन: दिल्ली हाईकोर्ट ने जवाब दाखिल करने में विफल रहने पर CARA के सीईओ को पेश होने का निर्देश दिया

Shahadat

1 Aug 2022 6:15 AM GMT

  • इंटर-कंट्री अडॉप्शन: दिल्ली हाईकोर्ट ने जवाब दाखिल करने में विफल रहने पर CARA के सीईओ को पेश होने का निर्देश दिया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने इंटर-कंट्री अडॉप्शन से संबंधित याचिकाओं के समूह में समय पर प्रतिक्रिया दाखिल करने में प्राधिकरण की विफलता पर केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) के सीईओ को पेश होने के निर्देश दिया।

    जस्टिस प्रतिभा एम सिंह द्वारा इस साल फरवरी में COVID-19 महामारी के दौरान अनाथ बच्चों के मामले में गोद लेने की सुविधा के लिए CARA की प्रतिक्रिया की मांग करने के बाद यह घटनाक्रम सामने आया।

    न्यायालय भारतीय बच्चों को अंतरराष्ट्रीय गोद लेने से संबंधित तीन मामलों पर विचार कर रहा है।

    तीनों मामलों में बच्चे अपने अपने जैविक माता-पिता के साथ भारत में ही हैं, लेकिन दत्तक माता-पिता विदेश में बस गए हैं। गोद लेने HAMA (Hindu Adoptions and Maintenance Act) के प्रावधानों के तहत किए गए हैं। हालांकि, पासपोर्ट और वीजा प्राप्त करने सहित विदेशों में बच्चों की आवाजाही में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ा रहा है। इसके अलावा, दत्तक माता-पिता को CARA से एनओसी प्राप्त करना आवश्यक है।

    न्यायालय ने याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान न्यायालय की सहायता के लिए एडवोकेट अतुल नागराजन को एमिक्स क्यूरी नियुक्त किया है।

    केंद्र के वकील ने 23 मई को निर्देश लेने और फरवरी के आदेशानुसार नई और अपेडट स्टेटस रिपोर्ट दर्ज करने के लिए समय मांगा। हालांकि, अभी तक उक्त रिपोर्ट कोर्ट में पेश नहीं की गई है और प्राधिकरण का प्रतिनिधित्व करने वाला वकील भी कोर्ट के समक्ष पेश नहीं हुआ है।

    अदालत ने 25 जुलाई को हुई सुनवाई में कहा,

    "जहां तक ​​कुछ याचिकाकर्ताओं का सवाल है, अभी अदालत को भी सही स्थिति के बारे में नहीं पता है।"

    इसमें कहा गया,

    "उपरोक्त को 23 मई, 2022 के आदेश में भी शामिल किया गया है, जिसमें स्टेटस रिपोर्ट मांगी गई थी। हालांकि, कोई स्टेटस रिपोर्ट पेश नहीं की गई है और न ही CARAकी ओर से पेश हुआ है। तदनुसार, तृप्ति गुर्हा, कारा की सीईओ को इस न्यायालय के समक्ष मामले की सुनवाई की अगली तारीख पर पेश होने का निर्देश दिए जाने को उचित समझा जाता है।"

    एमिक्स क्यूरी द्वारा कोर्ट को सूचित किया गया कि हेल्पलाइन के रूप में काम करने वाले टोल फ्री नंबर का जवाब कारा के अधिकारियों द्वारा दिया जाता है। हालांकि, यह जोड़ा गया कि उक्त अधिकारियों को प्रश्नों का उत्तर देने और पालन की जाने वाली प्रक्रिया के बारे में मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए पूरी तरह से प्रशिक्षित नहीं किया गया है।

    इसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई 8 सितंबर को तय की।

    इससे पहले, एमिक्स क्यूरी ने COVID-19 महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों को गोद लेने से संबंधित मुद्दे पर प्रकाश डाला। विशेष रूप से उन बच्चों के मामले में अंतरराष्ट्रीय दत्तक ग्रहण के संबंध में जिनके रिश्तेदार उन्हें गोद लेना चाहते हैं।

    इससे पहले, CARA ने अदालत को सूचित किया कि वह एडवोकेट को 'अधिकृत प्रतिनिधि' के रूप में पेश होने की अनुमति देने पर विचार करेगी ताकि विभिन्न औपचारिकताओं को समन्वयित किया जा सके और अंतर-देशीय गोद लेने की प्रक्रिया में आवश्यक विभिन्न औपचारिकताओं को पूरा किया जा सके। इसने यह भी कहा कि यदि जैविक या दत्तक माता-पिता द्वारा वर्चुअल मीटिंग्स की आवश्यकता होती है तो इसकी व्यवस्था की जाएगी।

    केस टाइटल: राजविंदर कौर और अन्य बनाम केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण

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