बीमाकर्ता को मोटर वाहन अधिनियम के तहत अपनी देयता से बचने के लिए लापरवाही और उचित देखभाल का अभाव दिखाना चाहिए: जेएंडके एंड एल हाईकोर्ट

Avanish Pathak

25 Aug 2022 12:15 PM GMT

  • बीमाकर्ता को मोटर वाहन अधिनियम के तहत अपनी देयता से बचने के लिए लापरवाही और उचित देखभाल का अभाव दिखाना चाहिए: जेएंडके एंड एल हाईकोर्ट

    जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि मोटर वाहन अधिनियम के तहत मौजूद ना होना, नकली या अमान्य ड्राइविंग लाइसेंस या प्रासंगिक समय पर चालक की अयोग्यता बीमित व्यक्ति या तीसरे पक्ष के खिलाफ बीमाकर्ता के लिए उपलब्ध बचाव नहीं हो सकता।

    बीमित व्यक्ति के प्रति दायित्व से बचने के लिए, बीमाकर्ता को यह साबित करना होगा कि बीमित व्यक्ति लापरवाही का दोषी था और उचित देखभाल करने में विफल रहा।

    जस्टिस विनोद चटर्जी कौल की पीठ एक अपील में न्यायालय की समन्वय पीठ द्वारा पारित निर्णय के पुनर्विचार पर सुनवाई कर रही थी। रिकॉर्ड के अवलोकन से पता चला कि एक दुर्घटना में घायल हुए दावेदार ने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण, अनंतनाग के समक्ष 40 लाख रुपये मुआवजे की मांग की थी। बीमा कंपनी ने ट्रिब्यूनल के समक्ष दावा याचिका का इस आधार पर विरोध किया कि उल्लंघन करने वाले वाहन के चालक के पास वैध और प्रभावी ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था और उस पर पीएसवी समर्थन के बिना था।

    एक अवॉर्ड के आधार पर ट्रिब्यूनल ने दावेदार को 4,13,000 रुपये मुआवजे का हकदार पाया, साथ ही दावे की स्थापना की तारीख से वसूली तक 6% प्रतिवर्ष ब्याज भी देय पाया। निर्णय से व्यथित होकर बीमा कंपनी ने एक अपील दायर की, जिसे हाईकोर्ट की एक समन्वय पीठ ने बीमा कंपनी को रिकवरी का अधिकार प्रदान करते हुए अनुमति दी। इसी आदेश पर पुनर्विचार की मांग की जा रही थी।

    पुनर्विचार याचिकाकर्ताओं के वकील ने तर्क दिया कि उच्च न्यायालय ने आक्षेपित निर्णय पारित करते समय इस तथ्य पर ध्यान नहीं दिया था कि ट्रिब्यूनल ने ड्राइविंग लाइसेंस सहित मामले के सभी पहलुओं को स्पष्ट रूप से निस्तारित किया था, क्योंकि ट्रिब्यूनल ने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम स्वर्ण सिंह और अन्य (2004) में निर्धारित कानून का उल्लेख किया था।

    अपीलकर्ता-बीमा कंपनी के वकील ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने बीमा कंपनी को उल्लंघन करने वाले वाहन के मालिक से मुआवजा राशि वसूल करने का अधिकार दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि दुर्घटना के समय वाहन चालक के पास प्रभावी ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था क्योंकि उसके ड्राइविंग लाइसेंस पर कोई पीएसवी समर्थन नहीं था।

    इस मामले पर फैसला सुनाते हुए पीठ ने कहा कि इस मामले में सामन्य कानून है कि हल्के मोटर वाहन के लिए ड्राइविंग लाइसेंस धारक किसी भी हल्के मोटर वाहन को चलाने के में सक्षम है, जो यात्रियों की गाड़ी के रूप में इस्तेमाल हो सकता है, यानी एक सार्वजनिक वाहन के रूप में। पीठ ने रेखांकित किया कि मोटर वाहन अधिनियम हल्के मोटर वाहन चलाने के लाइसेंस पर पीएसवी (यात्री सेवा वाहन) के समर्थन को निर्धारित नहीं करता है।

    मामले की विस्तार से जांच करते हुए बेंच ने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम स्वर्ण सिंह और अन्य (2004) में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा किया, जिसमें कोर्ट ने मोटर वाहन अधिनियम के अध्याय XI के तहत प्रदान किए गए तीसरे पक्ष के जोखिमों के खिलाफ वाहनों का बीमा किया था।

    इस तर्क को निस्तारित करते हुए कि दुर्घटना के समय वाहन चालक के पास प्रभावी ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था, बेंच ने मुकुंद देवांगन बनाम ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड एआईआर 2017 पर भरोसा करते हुए बताया कि हल्के मोटर वाहन को चलाने का लाइसेंस रखने वाला व्यक्ति ऐसे वर्ग के वाहन को भी चला सकता है और इस आशय के लिए अलग से किसी समर्थन की आवश्यकता नहीं है।

    इस प्रकार तत्काल पुनर्विचार याचिका की अनुमति दी गई और बीमा कंपनी को मालिक से मुआवजे की वसूली का अधिकार निर्णय से हटा दिया गया।

    केस टाइटल: नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम मुश्ताक अहमद कुतारी

    साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (जेकेएल) 118

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