सेक्स री-असाइनमेंट सर्जरी के लिए बीमा कवर; ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए शेल्टर होम की स्थापना पर विचार; चंडीगढ़ प्रशासन ने उच्च न्यायालय से कहा

Avanish Pathak

21 Dec 2022 2:40 PM GMT

  • सेक्स री-असाइनमेंट सर्जरी के लिए बीमा कवर; ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए शेल्टर होम की स्थापना पर विचार; चंडीगढ़ प्रशासन ने उच्च न्यायालय से कहा

    Punjab & Haryana High court

    चंडीगढ़ प्रशासन ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट को हाल ही में सूचित किया कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए आश्रय स्थापित करने की योजना 'गरिमा गृह' के रूप में पहले ही शुरू की जा चुकी है और जल्द ही इसे लागू करने की संभावना है।

    प्रशासन ने अदालत को यह भी बताया कि सेक्स री-असाइनमेंट सर्जरी के लिए बीमा कवर के प्रावधान की एक योजना पर भी विचार किया जा रहा है और ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड द्वारा उपलब्ध विभिन्न लाभों का विज्ञापन करने के लिए सक्रिय कदम उठाए जा रहे हैं।

    जस्टिस सुधीर मित्तल की पीठ के समक्ष एक ट्रांसजेंडर छात्र की ओर से दायर रिट याचिका में प्रस्तुतियां दी गईं थीं, जो पंजाब विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में अध्ययनरत था, जो विश्वविद्यालय में उचित छात्रावास आवास की अनुपलब्धता से व्यथित था।

    हालांकि ट्रांसजेंडर छात्र को अंततः कामकाजी महिला छात्रावास में आवास प्रदान किया गया था, अदालत ने 16 नवंबर को कहा कि भेदभाव के मुद्दे को अभी भी संबोधित किया जाना बाकी है।

    न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता ने पहले यूटी प्रशासन को इस संबंध में शिकायतें दी थीं, लेकिन कोई राहत नहीं दी गई थी, जिसके कारण न्यायालय ने जोर देकर कहा कि, "यह सुनिश्चित करना आवश्यक था कि यूटी के ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड जैसे निकाय शक्ति संपन्न हों ।"

    न्यायालय ने तब ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड, चंडीगढ़ के कामकाज की भी समीक्षा की थी और कहा था कि हालांकि इसका गठन ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के पारित होने से पहले किया गया था, लेकिन इसने कुल सात बैठकें ही की।

    जिसके बाद हाईकोर्ट ने ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड के अध्यक्ष को 15 दिसंबर को उसके समक्ष पेश होने के लिए कहा था। ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड के अध्यक्ष अमित कुमार पिछले हफ्ते अदालत के समक्ष उपस्थित हुए थे।

    कुमार ने अदालत को आश्वासन दिया कि "भविष्य में ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड की बैठकें त्रैमासिक आयोजित की जाएंगी।"

    याचिकाकर्ता को राहत के संबंध में जस्टिस मित्तल ने कहा,

    "चूंकि याचिकाकर्ता को पहले से ही कामकाजी महिला छात्रावास में आवास प्रदान किया गया है, इसलिए रिट याचिका को निष्प्रभावी कर दिया गया है और इस प्रकार इसे निस्तारित किया जाता है।"

    केस टाइटल: याशिका उर्फ आशीष बनाम पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ और अन्य

    साइटेशसन: 2022 की सिविल रिट याचिका संख्या 5782


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