इंद्राणी मुखर्जी ने जेल दंगा मामले को रद्द कराने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया, जेल अधिकारियों पर हिंसा का आरोप लगाया

Shahadat

30 May 2022 6:15 PM IST

  • इंद्राणी मुखर्जी ने जेल दंगा मामले को रद्द कराने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया, जेल अधिकारियों पर हिंसा का आरोप लगाया

    आईएनएक्स मीडिया की सह-संस्थापक और हत्या की आरोपी इंद्राणी मुखर्जी ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया। मुखर्जी ने अपनी अपील में खुद के खिलाफ जेल दंगा मामले को रद्द करने की मांग की गई है। इस मामले में 2017 में भायखला जेल के अंदर आजीवन सजा की दोषी मंजुला शेट्टी की हिरासत में मौत का मामला सामने आया था। .

    ए़डवोकेट सना रईस खान के माध्यम से दायर अपनी याचिका में इंद्राणी ने दावा किया कि पुलिस ने उसे परेशान करने और प्रताड़ित करने के लिए एफआईआर दर्ज की है। उसने जेल अधिकारियों पर हमले का हिस्सा होने या जेल के अंदर अनावश्यक उपद्रव पैदा करने से इनकार किया।

    पचास वर्षीय इंद्राणी ने कहा कि साथी कैदी को जेल अधिकारी द्वारा पीटा गया और उसकी हत्या के बाद सभी कैदी गुस्से में थे और केवल एफआईआर दर्ज कराना चाहते थे। इसके लिए कैदियों को लोहे की रॉड से भी पीटा।

    याचिका में कहा गया,

    "जेल अधिकारियों ने 24 जून, 2017 को भायखला जेल में जेल अधिकारियों के हाथों अवैध हत्या को दबाने के लिए लोहे की छड़ और बांस के डंडों के साथ हमलों का सामने किया, जिसमें याचिकाकर्ता (इंद्राणी) भी घायल हो गई। उसे जेल अधिकारियों द्वारा इस्तेमाल की गई कुंद वस्तु और गंभीर चोटों का सामना करना पड़ा था।"

    इंद्राणी साढ़े छह साल के लिए भायखला महिला जेल में बंद थी। उसे 2015 में उसकी 26 वर्षीय बेटी शीना बोरा की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उसे इस महीने की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी थी।

    शीना बोरा हत्याकांड में इंद्राणी के साथ उनके पूर्व पति मीडिया कारोबारी पीटर मुखर्जी और संजीव खन्ना भी आरोपी हैं।

    जेल में दंगा करने का मामला

    24 जून, 2017 को मुंबई पुलिस ने इंद्राणी और 200 से अधिक अन्य लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120बी, 353, 332, 435, 504, 506, 109,141, 142, 145, 146, 147, 149 और सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की रोकथाम अधिनियम की धारा 7 के तहत कथित अपराधों के लिए मामला दर्ज किया था।

    अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि भायखला में इंद्राणी और अन्य कैदी एक-दूसरे पर चिल्लाने, प्लेट, बर्तन और प्लास्टिक बैरल पुलिस अधिकारियों पर फेंकने और आदेशों की अवज्ञा करने के लिए उकसा रहे थे।

    एफआईआर में आगे आरोप लगाया गया कि एक आरोपी ने जेल का दरवाजा तोड़ा और बाकी कैदी विरोध में जेल की छत पर पहुंच गए।

    हाईकोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में इंद्राणी ने दावा किया कि कथित दंगे के दिन उनके खिलाफ एफआईआर में आरोप "फर्जी," "सामान्य" और "अस्पष्ट" हैं।

    इसके अलावा, जेल का दरवाजा तोड़ने में उसकी कोई भूमिका नहीं थी। इंद्राणी ने बताया कि इस मामले में सभी गवाह पुलिस अधिकारी हैं, जो इच्छुक गवाह हैं।

    इंद्राणी का कहना है कि हिरासत में मौत के मामले में गवाह बनने के खिलाफ तत्कालीन अधीक्षक ने उन्हें धमकी दी थी।

    इंद्राणी ने कहा कि आपराधिक धमकी और हमले की शिकायत अदालत में की गई और बाद में उक्त अधिकारी को नागपाड़ा पुलिस को भेज दिया गया।

    मंजुला शेट्टी की मृत्यु

    पुलिस को उसके बयानों में कई कैदियों द्वारा "दुष्ट महिला" के रूप में संदर्भित की गई जेलर मनीषा पोखरकर ने जेल कांस्टेबल बिंदू नाइकोड, वसीमा शेख, शीतल शेगांवकर, सुरेखा गुलवे और आरती शिंगने के साथ हिरासत में मौत के लिए मुकदमा चल रहा है।

    याचिका पर उचित समय पर सुनवाई होगी।

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