भारत कन्या की पूजा करता है, फिर भी पीडोफिलिया के मामले बढ़ रहे हैं: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 13 साल की बच्ची के दुष्कर्म आरोपी को जमानत देने से इनकार किया

LiveLaw News Network

19 Aug 2021 11:14 AM GMT

  • भारत कन्या की पूजा करता है, फिर भी पीडोफिलिया के मामले बढ़ रहे हैं: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 13 साल की बच्ची के दुष्कर्म आरोपी को जमानत देने से इनकार किया

    इस बात पर जोर देते हुए कि भारत कन्या की पूजा करता है, हालांकि साथ ही, देश में पीडोफिलिया के मामले बढ़ रहे हैं , इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उस व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया, जिस पर 13 वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार का मामला दर्ज किया गया है।

    जस्टिस संजय कुमार सिंह की खंडपीठ ने कहा, "ऐसी स्थिति में, अगर सही समय पर न्यायालय से सही निर्णय नहीं लिया जाता है, तो पीड़ित/आम आदमी का विश्वास न्याय व्यवस्था में नहीं रह जाएगा। इस प्रकार के अपराध को रोकने यह समय है।"

    मामला

    अदालत एक ऐसे व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने 13 वर्षीय एक लड़की के साथ कथित तौर पर बलात्कार किया था। लड़की जब वह घर में अकेली थी और उसके परिवार के सभी सदस्य चारा काटने के लिए खेत में गए थे।

    आरोप था कि स्थिति का फायदा उठाकर प्रार्थी जबरन पीड़‌िता के घर में घुसा और जान से मारने की धमकी देकर उसके बाल पकड़कर कमरे के अंदर घसीटा और उसके साथ जबरन दुष्कर्म किया।

    इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के दौरान अचानक मुखबिर, उसका बेटा रोहित और मगन नाम का एक व्यक्ति घर में आ गए और दरवाजा खटखटाया, लेकिन जब वे घर में दाखिल हुए, तो उन्होंने देखा कि पीड़िता नग्न अवस्था में बेहोश पड़ी है और आवेदक ने दीवार पर चढ़कर भागने की कोशिश की।

    हालांकि, वह पकड़ लिया गया और जब पीड़िता को होश आया तो उसने पूरी घटना बताई। इसके बाद मुखबिर के परिजनों ने फोन पर पुलिस को घटना की सूचना दी गई, जिस पर पुलिस ने मुखबिर के घर से आवेदक को गिरफ्तार कर लिया।

    आवेदक के वकील ने तर्क दिया कि पीड़िता और आवेदक के बीच प्रेम संबंध था और उसने खुद आवेदक को बुलाया था, लेकिन पीड़िता के परिवार के सदस्यों ने उसे पकड़ लिया।

    न्यायालय की टिप्पणियां

    शुरुआत में, अदालत ने कहा कि पीड़िता की उम्र लगभग 13 वर्ष है और वह पांचवीं कक्षा में पढ़ रही है। मेडिकल परीक्षण करने वाले डॉक्टर की राय में उसके शरीर पर हिंसा और यौन हिंसा के लक्षण देखे जाने से इंकार नहीं किया जा सकता है।

    इस प्रकार, यह देखते हुए कि इस मामले में, एक छोटी मासूम लड़की के साथ बलात्कार किया गया था, जो इसका अर्थ नहीं समझती, अदालत ने इस प्रकार कहा,

    " बलात्कार एक जघन्य अपराध है। पीड़िता शर्मिंदगी, घृणा, अवसाद, अपराधबोध और यहां तक ​​कि आत्महत्या की प्रवृत्ति के मनोवैज्ञानिक प्रभावों से ग्रस्त है। ऐसे कई मामले दर्ज नहीं किए जाते हैं। बलात्कार के मामलों में, पीड़ित दुर्व्यवहार करने वाले के बारे में रिपोर्ट करने के लिए तैयार नहीं होते। पीड़िता के परिवार अपनी छवि की रक्षा के लिए यौन अपराधों के बारे में चुप रहते हैं। जो पीड़ित/ छोटे बच्ची यौन शोषण का अनुभव करते हैं, वह वयस्क होने पर ऐसे दुर्व्यवहार के प्रति ज्यादा कमजोर होते हैं। उपचार धीमा और व्यवस्थित है। "

    मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, पक्षकारों की ओर से प्रस्तुत प्रस्तुतियां, अपराध की गंभीरता और सजा की गंभीरता को देखते हुए, अदालत ने आवेदक को जमानत देने का कोई अच्छा आधार नहीं पाया और इस वजह से जमानत अर्जी खारिज कर दी गई।

    केस - जसमन सिंह @ पप्पू यादव बनाम यूपी राज्य और अन्य

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