सेवा की गलत समाप्ति के मामले में सेवा की निरंतरता और पिछले वेतन के साथ बहाली सामान्य नियम: तेलंगाना हाईकोर्ट
LiveLaw News Network
2 May 2022 7:04 PM IST
तेलंगाना हाईकोर्ट ने हाल ही में औद्योगिक न्यायाधिकरण द्वारा एक कर्मचारी की गलत तरीके से सेवा समाप्त करने के लिए दी गई राहत की पुष्टि की और रिट अपील को खारिज कर दिया। कर्मचार को 50% पिछले वेतन के साथ सेवा में बहाल करने की राहत दी गई थी।
मामला
एक रिट याचिका पर 21.10.2016 को आदेश जारी किया गया था, जिसके बाद उक्त अपील दायर की गई थी। मामले के तथ्य यह थे कि कर्मचारी पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की गई थी। 2000 में उसके खिलाफ आरोप पत्र जारी किया गया था और उसके बाद मामले की जांच की गई थी।
जांच अधिकारी ने कर्मचारी के खिलाफ आरोपों को साबित कर दिया था और अनुशासनात्मक प्राधिकारी ने 07.05.2001 को सजा का आदेश पारित किया, जिसके खिलाफ अपील की गई। हालांकि इसे भी अपीलीय प्राधिकारी ने खारिज कर दिया।
जिसके बाद कर्मचारी ने औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 के तहत धारा 2ए(2) के तहत एक याचिका दायर की। औद्योगिक न्यायाधिकरण ने 2005 में दिए आदेश के तहत कर्मचारी को 50% पिछले वेतन के साथ सेवा में बहाल करने का निर्देश दिया।
औद्योगिक न्यायाधिकरण द्वारा पारित अधिनिर्णय से व्यथित नियोक्ता ने एक रिट याचिका दायर की। हालांकि न्यायाधिकरण द्वारा पारित अधिनिर्णय को बरकरार रखा गया।
अवलोकन
चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस अभिनंद कुमार शाविली की खंडपीठ ने औद्योगिक न्यायाधिकरण द्वारा पारित निर्णय की सावधानीपूर्वक जांच की।
औद्योगिक न्यायाधिकरण द्वारा प्राप्त तथ्यों की जांच ने यह स्पष्ट कर दिया कि कर्मचारी अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों का दोषी नहीं था। इसके अलावा जांच अधिकारी द्वारा सबूत के अभाव में आरोपों को साबित करना अनुचित था। सिंगल जज ने रिट याचिका में अपने आदेश में इसकी पुष्टि की थी।
इसके अलावा राहत के संबंध में सिंगल जज ने एएल कालरा बनाम द प्रोजेक्ट एंड इक्विपमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (1984) पर भरोसा किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने उसे सेवा से हटाए जाने को अवैध ठहराते हुए पिछले वेतन के भुगतान के मुद्दे पर विचार करते हुए कहा था कि यद्यपि वह अपने निष्कासन की अवधि के दौरान कहीं और कार्यरत था, फिर भी वह पिछली मजदूरी के 50% का हकदार था।
सुप्रीम कोर्ट जेके सिंथेटिक्स लिमिटेड बनाम केपी अग्रवाल (2007) में माना कि सेवा की गलत समाप्ति के मामलों में, सेवा की निरंतरता और पिछली मजदूरी के साथ बहाली सामान्य नियम था।
हालांकि, न्यायनिर्णायक प्राधिकारी को बैक वेज के मुद्दे का निर्णय करते समय कर्मचारी की सेवा की लंबाई, कदाचार की प्रकृति, नियोक्ता की वित्तीय स्थिति और इसी तरह के अन्य कारकों को भी ध्यान में रखना पड़ सकता है।
इसलिए, न्यायालय ने आक्षेपित आदेश में हस्तक्षेप नहीं किया और कर्मचारी की सेवा में बहाली की पुष्टि की। रिट अपील खारिज कर दी गई।
केस शीर्षक: डीएम, टीएसआरटीसी बनाम गोलामंडल सुब्बा राजू आनो