यूपीआई बिचौलियों से जुड़े मामलों में मजिस्ट्रेट उनकी बात सुने बिना उनके अकाउंट से रूपए ट्रांसफर करने का निर्देश नहीं दे सकते: कर्नाटक हाईकोर्ट
Shahadat
10 Nov 2022 2:33 PM IST
कर्नाटक हाईकोर्ट ने न्यायिक मजिस्ट्रेटों को बिचौलियों से जुड़े मामलों में पहले बैंक अकाउंट होल्डर्स को सुनने का निर्देश दिया और उसके बाद ही सीआरपीसी की धारा 451 और 457 के तहत आवेदनों से निपटने के दौरान अमाउंट ट्रांसफर करने के निर्देश पारित करने को कहा।
अदालत ने मजिस्ट्रेटों से कहा कि वे सीआरपीसी की धारा 451 और 457 के तहत दायर आवेदनों को "अनौपचारिक तरीके से" अनुमति न दें।
जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने कहा,
"यह अदालत ऐसे कई मामलों का सामना कर रही है जहां अकाउंट को फ्रीज, डीफ्रोजन किया गया और शिकायतकर्ता [दावा] संदिग्ध या आरोपी से बकाया राशि को तीसरे पक्ष के अकाउंट में शिकायतकर्ता के अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया गया, जो कार्रवाई कानून के सभी नियमों के विपरीत है।"
उन्होंने आगे कहा,
"इसलिए इस न्यायालय के लिए यह आवश्यक हो गया है कि वह मजिस्ट्रेटों को निर्देश दे कि सीआरपीसी की धारा 451 और 457 के तहत आवेदनों पर विचार करते समय विशेष रूप से उन मामलों में जहां याचिकाकर्ता जैसे मध्यस्थ शामिल हैं, उन मध्यस्थों को सुनने और फिर सीधे राशि ट्रांसफर करने का और सीआरपीसी की धारा 451 और 457 के तहत दायर आवेदन को आकस्मिक रूप से अनुमति न दें।"
अदालत ने कहा कि मजिस्ट्रेटों को यह नोट करने की आवश्यकता है कि वे तीसरे पक्ष की संपत्तियों से निपट रहे हैं और सीआरपीसी की धारा 451 और 457 के तहत आवेदन पर निर्णय ले रहे हैं। न्यायिक अधिकारियों की ओर से केवल इसलिए कि यह क्षतिपूर्ति का विषय है, "हास्यास्पद कृत्य" नहीं बन सकता।
अदालत ने कहा,
"यह सुरक्षा का सवाल नहीं है, बल्कि यह उस व्यक्ति की संपत्ति के अधिकार का सवाल है, जिसके अकाउंट से बिना किसी सूचना के पैसा ट्रांसफर किया जाता है।"
अदालत ने आगे कहा कि सीआरपीसी की धारा 102 के तहत अकाउंट को फ्रीज करने की शक्ति है, जो उपलब्ध है। लेकिन यदि राशि को किसी अन्य अकाउंट में ट्रांसफर करने की मांग की जाती है तो जिस अकाउंट होल्डर अकाउंट खाता फ्रीज तो याचिका उसके जमा राशि के ट्रांसफर के उद्देश्य से सुनी जाएगी।
अदालत ने मजिस्ट्रेटों से आवेदनों पर विचार करते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान देने को कहा:
(क) क्या जांच अधिकारी ने आरोपी की पहचान कर ली है?
(ख) क्या जांच अधिकारी द्वारा आरोपी के खाते की पहचान की गई है?
(सी) यदि प्रतिद्वंद्वी दावेदार आरोपी नहीं है तो क्या उस अकाउंट होल्डर को सूचना दी जाती है, जिसके अकाउंट से पैसा शिकायतकर्ता के अकांउट में ट्रांसफर करने की मांग की जाती है और विशेष अकाउंट से राशि के ट्रांसफर का ऐसा आदेश केवल उस व्यक्ति को सुनने के बाद, जिसके खाते से पैसे को शिकायतकर्ता के खाते में स्थानांतरित करने से पहले उसके खाते में स्थानांतरित करने की मांग की जाती है।
अदालत ने कहा,
"मजिस्ट्रेट सीआरपीसी की धारा 451 और 457 के तहत आवेदनों पर विचार कर रहे हैं, उक्त प्रावधानों के तहत आदेश पारित करते समय केवल उपरोक्त प्रकार के मामलों में ही उपरोक्त निर्देशों को ध्यान में रखेंगे।"
फोनपे प्राइवेट लिमिटेड और उसके निदेशक राहुल चारी द्वारा अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका को अनुमति देते हुए निर्देश पारित किए गए, जिसमें चारी के अकाउंट से शिकायतकर्ता के अकाउंट में राशि ट्रांसफर करने का निर्देश दिया गया, जो साइबर अपराध का शिकार है।
अदालत ने कहा,
"पहली याचिकाकर्ता [चारी] के खाते से डेबिट की गई राशि तुरंत उसके खाते में वापस कर दी जाएगी।"
केस टाइटल: राहुल चारी और अन्य बनाम कर्नाटक राज्य और अन्य
केस नंबर: रिट याचिका नंबर 2865/2022
साइटेशन: लाइव लॉ (कार) 454/2022
आदेश की तिथि: 17 अक्टूबर, 2022
उपस्थिति: नितिन रमेश, याचिकाकर्ताओं के वकील, के.एस.अभिजीत, एचसीजीपी आर1 के लिए और एडवोकेट विक्रम उन्नी राजगोपाल आर3 के लिए।
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