"कोई भी आकर हॉकिंग शुरू कर दे तो तो यह जंगल राज की ओर ले जाएगा": दिल्ली हाईकोर्ट ने स्ट्रीट वेंडिंग योजना के कार्यान्वयन की पैरोकारी की
LiveLaw News Network
9 Nov 2021 1:08 PM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट के तहत स्ट्रीट वेंडिंग के लिए तय की गई वैधानिक योजना के कार्यान्वयन की पैरोकारी की है। हाईकोर्ट ने सोमवार को टिप्पणी की कि अगर किसी को हॉकिंग और वेंडिंग में शामिल होने की अनुमति दी जाती है तो शहर 'जंगल राज' बन जाएगा।
जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस अमित बंसल एक याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें प्रतिवादी अधिकारियों को कनॉट प्लेस क्षेत्र में अवैध हॉकिंग और स्क्वैटिंग पर स्थायी रोक लगाने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी।
पीठ ने कहा,
"योजना होनी चाहिए। एक समिति द्वारा सर्वेक्षण होना चाहिए। कुछ नहीं हुआ है। योजना तैयार नहीं की गई है। ऐसा नहीं हो सकता है कि पूरा शहर खुला रहे। कोई भी आ सकता है और हॉकिंग और वेंडिंग शुरू कर सकता है। पूरा शहर जंगल राज बन जाएगा।"
अधिनियम की धारा 12 के अनुसार,
यह प्रावधान किया गया है कि प्रत्येक स्थानीय प्राधिकरण, योजना प्राधिकरण के परामर्श से और टाउन वेंडिंग कमेटी की सिफारिशों पर, हर पांच साल में एक बार स्ट्रीट वेंडर्स के व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए एक योजना तैयार करेगा...। इसमें यह भी प्रावधान है कि योजना अनुमोदन के लिए उपयुक्त सरकार को प्रस्तुत की जाएगी और सरकार योजना को अधिसूचित करने से पहले स्ट्रीट वेंडर्स के लिए लागू मानदंडों का निर्धारण करेगी।
कोर्ट ने यह भी कहा कि दिल्ली को संगठित वेंडिंग का शहर बनाने के लिए नगर निगमों और दिल्ली सरकार सहित प्रशासन की सभी साखाओं को स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट के प्रावधानों को लागू करना चाहिए।
कोर्ट ने मामले को 18 नवंबर तक पोस्ट करते हुए निर्देश दिया कि इस संबंध में अधिकारियों द्वारा उठाए गए कदमों को सुनवाई की अगली तारीख पर अदालत के समक्ष रखा जाए।
इससे पहले, न्यायालय ने कहा था कि अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में नगरपालिका प्राधिकरण, मौजूदा मामले में एनडीएमसी, की गंभीर विफलता नागरिकों के जीवन के अधिकार पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है, जिसमें स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण का अधिकार भी शामिल है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने कनॉट प्लेस में नो हॉकिंग और नो वेंडिंग क्षेत्रों में अवैध हॉकिंग, स्क्वैटिंग या वेंडिंग गतिविधियों पर नाराजगी व्यक्त करते हुए एनडीएमसी और दिल्ली पुलिस के अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुमोदित योजनाओं, उसके और हाईकोर्ट के आदेशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए "कड़ी चेतावनी" जारी की थी।
इसी प्रकार के मामले में कोर्ट ने स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट, 2014 के अधिकार को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करते हुए इस तथ्य पर अपनी नाराजगी व्यक्त की था कि टाउन वेंडिंग कमेटी में कोई विशेषज्ञ नहीं है और वह चुनौती को सुनना चाहेगी ताकि कार्यान्वयन प्रक्रिया में खामियों का पता लगाया जा सके।
कोर्ट ने कहा था कि व्यवसाय करने का अधिकार एक मौलिक अधिकार है, लेकिन यह उचित प्रतिबंधों और वेंडिंग अभ्यास नियमित ढंग से उचित लाइसेंस के साथ करनी चाहिए।
अदालत ने सुझाव दिया था कि सुरक्षा, स्वच्छता और सड़कों आदि सहित विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए योजना को विकसित किया जाना चाहिए।
केस शीर्षक: नई दिल्ली ट्रेडर्स एसोसिएशन बनाम नई दिल्ली नगर निगम और अन्य