पत्नी की हत्या का दोषी पति दहेज के सामान रखने का हकदार नहीं: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

Avanish Pathak

20 Dec 2022 1:43 PM GMT

  • पत्नी की हत्या का दोषी पति दहेज के सामान रखने का हकदार नहीं: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

    Punjab & Haryana High court

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के मद्देनजर पत्नी की हत्या का दोषी पति दहेज की वस्तुओं पर स्वामित्व का दावा करने का हकदार नहीं है।

    जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस सुखविंदर कौर की पीठ ने इस दलील को खारिज कर दिया कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 15 (1) के तहत मृत्यु के बाद पत्नी का सामान उसके बच्चों और पति का हो जाएगा, और कहा कि उत्तराधिकार से संबंधित हिंदू कानून के प्रावधानों को लागू करने के लिए दहेज निषेध अधिनियम की अनदेखी नहीं की जा सकती।

    कोर्ट ने कहा,

    "श्वेता सिंह की मृत्यु शादी के सात साल के भीतर हो गई। विवाह के बाहर कोई मुद्दा नहीं था। रिकॉर्ड से पता चलता है कि उनकी अप्राकृतिक मौत हुई थी। इस प्रकार, मामला पूरी तरह से दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 6 (3) के अंतर्गत आता है।"

    अदालत फाजिल्का कोर्ट के 14.08.2015 के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने अपने आदेश में दहेज के सामान को पति के बजाया मृत पत्नी श्वेता सिंह के पिता को देने का आदेश दिया था।

    जुलाई 2014 में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश फाजिल्का ने पति-अपीलकर्ता को पत्नी की हत्या के अपराध का दोषी ठहराया था और जुर्माने के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

    अपीलकर्ता ने तर्क दिया कि उसकी मृत-पत्नी के पिता को दहेजा का सामान देने का आदेश स्पष्ट रूप से अवैध, कानून में गलत और रिकॉर्ड में मौजूद तथ्यों और सबूतों के खिलाफ है।

    यह तर्क दिया गया कि चूंकि वह अपने घर से पुलिस द्वारा बरामद किए गए गहनों और सामानों का मालिक है, इसलिए उसे शिकायतकर्ता-पिता के पक्ष में जारी नहीं किया जा सकता है।

    राज्य की ओर से पेश वकील ने तर्क दिया कि गहने और सामान शिकायतकर्ता ने अपनी मृत-बेटी को विवाह के समय दिए थे और इसलिए, मृतक का पिता होने के नाते शिकायतकर्ता इसे प्राप्त करने का हकदार है।

    राज्य ने बलबीर सिंह बनाम हरियाणा राज्य, 2010 (2) आरसीआर (आपराधिक) 371 और राज्य बेलाकवाड़ी पुलिस के माध्यम से बनाम मल्लेशा, 2002 (3) आरसीआर (आपराधिक) 157 के मामलों पर भरोसा जताया।

    कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता ने स्वामित्व साबित करने के लिए कोई सामग्री प्रस्तुत नहीं की है। इस तर्क पर कि निचली अदालत हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 15 (1) पर विचार करने में विफल रही, अदालत ने कहा:

    "... अपीलकर्ता जब यह तर्क देता है कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 15 (1) के प्रावधान लागू किया जाए, तब उसकी ओर से निहित स्वीकृति दी जा रही है कि वह इन सामानों का मालिक नहीं है।"

    कोर्ट ने दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 6(3) का भी उल्लेख किया, जिसके अनुसार, जहां एक महिला की मृत्यु विवाह के सात साल के भीतर हो जाती है, प्राकृतिक कारणों के बजाय अन्य कारणों से, धारा 6(1) के तहत यदि उसकी कोई संतान नहीं है तो उसकी संपत्ति उसके माता-पिता को दी जाएगी।

    बलबीर सिंह और मल्लेशा के मामले में दिए गए फैसले पर भरोसा करते हुए कोर्ट ने कहा कि पति बरी होने के बाद भी दहेज के सामान रखने का हकदार नहीं होगा और दहेज के सामान क्रमशः पिता और मृतक के परिवार को हस्तांतरित कर दिए गए थे।

    केस टाइटल: संदीप तोमर बनाम पंजाब राज्य

    साइटेशन: CRA-S-5048-SB-2015 (O&M)


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