'पत्नी की अवैध हिरासत में है पति', मद्रास उच्च न्यायालय ने जांच के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया

LiveLaw News Network

23 Nov 2020 4:45 AM GMT

  • पत्नी की अवैध हिरासत में है पति, मद्रास उच्च न्यायालय ने जांच के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया

    Madras High Court

    मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार (20 नवंबर) को एक व्यक्ति के आरोपों कि उसका दोस्त (बंदी) उसकी अपनी पत्नी (बंदी की पत्नी) की अवैध हिरासत में है, की जांच के लिए एक एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया।

    जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस डी कृष्णकुमार की खंडपीठ ने कथित बंदी के दोस्त अंतर सिंह की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें आरोप लगाया गया था कि बदी तीसरी प्रतिवादी की अवैध हिरासत में है, जो कोई और नहीं बल्‍कि उसकी पत्नी है।

    तर्क

    याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि तीसरी प्रतिवादी (कथित बंदी की पत्नी) ने अपने पति (बंदी) को दो अन्य व्यक्तियों के साथ अवैध हिरासत में रखा है और उसका जबरन इलाज कर रही है, जैसे कि वह एक शराबी है।

    यह बताया गया कि बंदी की स्थिति अनिश्चित है और वह शराब के प्रभाव में किसी भी समय नहीं रहता है।

    दूसरी ओर, तीसरे प्रतिवादी (पत्नी) की ओर से पेश वकील ने आरोप को झूठ बताया और कहा कि याचिकाकर्ता (कथित बंदी का दोस्त) बंदी के साथ शराब पीता था।

    यह दलील दी गई कि तीसरी प्रतिवादी (पत्नी) बंदी (उसका पति) की आदतों को छु़ड़ाना चाहती थी, इसलिए, उसने उसे एक अधिकृत नशामुक्ति केंद्र, ग्रीन लाइफ फाउंडेशन (नशामुक्ति सह पुनर्वास केंद्र), चेन्नई में भर्ती कराया और वर्तमान में उसका इलाज चल रहा है।

    वकील ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील की, तीसरे पक्ष के साथ तीसरी प्रतिवादी के संबंध में पेश दलीलों का खंडन किया, सा‌थ ही इस दलील कि, पति को अपनी संपत्ति को पत्नी को हस्तांतरित करने के लिए कागजात पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया जा रहा है, का भी खंडन किया। ।

    आदेश

    दोनों पक्षों को सुनने के बाद, न्यायालय ने आदेश दिया,

    "प्रस्तुतिकरण को ध्यान में रखते हुए, विशेष रूप से यह आरोप कि बंदी की स्थिति अनिश्चित है क्योंकि उसकी जीवन खतरे में है, साथ ही उसकी आदतों से संबंधित मुद्दे को देखते हुए, हम उपरोक्त तथ्यों को सुनिश्‍चित करने के लिए सुश्री एस.लक्ष्मी को एडवोकेट कमिश्नर के रूप में नियुक्त करने के इच्छुक हैं।"

    न्यायालय ने निर्देश दिया कि एडवोकेट कमिश्नर, तीसरी प्रतिवादी (पत्नी) और बंदी की जांच करेगा और बुधवार (25.11.2020) तक एक रिपोर्ट दाखिल करेगा।

    कोर्ट ने निर्देश दिया है कि रिपोर्ट में नशामुक्ति सह पुनर्वास केंद्र से भी जांच के बयान दर्ज हों और यह रिपोर्ट बंदी की आदत और उसकी शारीरिक स्थिति के बारे में बताएगी।

    मामले को आगे सुनवाई के लिए बुधवार (25 नवंबर) को पोस्ट किया गया है।

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