पत्नी को गंभीर खतरे के तहत तलाक की कार्यवाही में भाग लेने के लिए 55 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती हैः पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने ट्रांसफर याचिका को अनुमति दी

LiveLaw News Network

6 May 2022 11:00 AM GMT

  • P&H High Court Dismisses Protection Plea Of Married Woman Residing With Another Man

    Punjab & Haryana High Court

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने (28 अप्रैल, 2022) पिछले सप्ताह तलाक के एक मामले में एक पत्नी द्वारा दायर ट्रांसफर याचिका को अनुमति देते हुए कहा है कि एक नाबालिग बच्चे की मां/पत्नी के लिए 55 किमी की दूरी तय करना मुश्किल है। इसलिए इस आधार पर उसकी ट्रांसफर याचिका को स्वीकार किया जाता है।

    जस्टिस फतेह दीप सिंह की खंडपीठ ने कहा कि यह निश्चित रूप से असाधारण प्रकृति की अनुचित कठिनाई का मामला है, जिसमें न्यायालय द्वारा हस्तक्षेप की आवश्यकता है।

    इस मामले में आवेदक-पत्नी ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश, संगरूर के न्यायालय में लंबित तलाक की याचिका को मानसा में सक्षम क्षेत्राधिकार के किसी अन्य न्यायालय में ट्रांसफर करने की मांग की थी। आवेदक का कहना है कि दोनों स्थानों के बीच की दूरी लगभग 55 किलोमीटर है।

    यह विचार करने के बाद कि प्रतिवादी-पति ने पहले पत्नी के रिश्तेदारों पर हमला किया है और फिरौती के लिए अपहरण के आपराधिक आरोपों का भी सामना कर रहा है, अदालत ने माना कि पति एक दुःसाहसी/डेस्पराडो प्रतीत होता है और निश्चित रूप से यह पत्नी के लिए एक गंभीर खतरा होगा यदि वह संगरूर में सुनवाई में भाग लेती है, खासकर जब उसके पास देखभाल करने के लिए एक छोटा बच्चा है।

    यह तथ्य ध्यान में रखा जाना चाहिए कि जैसा कि आवेदन में कहा गया है और जो निर्विवाद रहा है, कि प्रतिवादी पति ने अपने रिश्तेदारों के साथ पहले भी पत्नी के रिश्तेदारों पर हमला किया है और इस हमले में आई चोटों के कारण पत्नी के चाचा बलजीत सिंह की मृत्यु हो गई थी। जिसके संबंध में एक एफआईआर पुलिस स्टेशन मूनक में दर्ज की गई और इस मामले में पति को दोषी ठहराया गया है। इसके अलावा पति पर फिरौती के लिए अपहरण का आपराधिक आरोप भी लगाया गया है और इस संबंध में पुलिस स्टेशन सिटी टोहाना, जिला फतेहाबाद में एफआईआर दर्ज की गई है। इस प्रकार, यह अच्छी तरह से स्पष्ट है कि पति दुःसाहसी प्रतीत होता है और निश्चित रूप से यह पत्नी के लिए एक गंभीर खतरा होगा यदि वह संगरूर में सुनवाई में शामिल होती है, खासकर जब उसके पास देखभाल करने के लिए एक छोटा नाबालिग बच्चा है।

    कोर्ट ने आगे कहा कि यह निश्चित रूप से असाधारण प्रकृति की अनुचित कठिनाई का मामला है इसलिए वर्तमान आवेदन को अनुमति देने के लिए इस अदालत द्वारा हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है।

    इन परिस्थितियों को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि यह निश्चित रूप से असाधारण प्रकृति की अनुचित कठिनाई का मामला है और इस न्यायालय द्वारा वर्तमान आवेदन को अनुमति देने के लिए हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है।

    तदनुसार, अदालत ने याचिका के ट्रांसफर की अनुमति दे दी।

    केस का शीर्षक- सिमरनजीत कौर उर्फ सिमरन कौर बनाम भिंडर पाल सिंह

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