अगर सड़कों के बीच में धार्मिक ढांचे आ गए तो सभ्य समाज कैसे बचेगा?: दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार को स्पष्ट स्टैंड लेने के लिए कहा
Shahadat
17 May 2022 5:08 PM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को बिना किसी अनुमति या प्रतिबंधों के सड़कों के बीच में धार्मिक संरचनाओं (स्ट्रक्चर) के बड़े पैमाने पर निर्माण पर गंभीर चिंता व्यक्त की।
एक्टिंग चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस नवीन चावला की खंडपीठ ने सरकार से कहा:
"एक सभ्य समाज इस तरह कैसे चलेगा, अगर सड़क के बीच में चीजें आ रही हैं? आपको स्पष्ट तौर पर संदेश देना होगा कि यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आपको मजबूती से सड़क पर उतरना चाहिए और अतिक्रमण करने वाले को वहां से हटाना चाहिए।"
बेंच एडवोकेट एसडी विंडलेश द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। उक्त याचिका में शहर के भजनपुरा इलाके में सड़कों के बीच में अतिक्रमण और धार्मिक स्ट्रक्चर का उल्लेख किया गया है। एडवोकेट व्यक्तिगत रूप से पेश हुई थी। उन्होंने तर्क दिया कि इस तरह के अतिक्रमण से यातायात बाधित होता है और निवासियों और राहगीरों को कठिनाई होती है।
दूसरी ओर, दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील गौतम नारायण ने पीठ को सूचित किया कि अवैध संरचनाओं को ध्वस्त करने का मुद्दा पहले से ही सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन है।
जबकि बेंच का विचार था कि याचिका के साथ संलग्न तस्वीरों से "चौंकाने वाली स्थिति" का पता चलता है, इसने प्रतिवादियों को प्रासंगिक दस्तावेजों को रिकॉर्ड में लाने का समय दिया।
बेंच ने कहा,
"हम यह समझने नहीं पा रहे हैं कि राज्य मूक दर्शक कैसे हो सकता है और इस तरह की अवैधताओं को होने दे सकता है। हमारे विचार में राज्य को ऐसे मामलों में एक स्पष्ट, निश्चित और दृढ़ स्टैंड लेना चाहिए। अतिक्रमणकारियों को संदेश दें कि इस तरह के अतिक्रमण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और जैसे ही उन्हें उठाने की मांग की जाएगी उन्हें हटा दिया जाएगा। इस तरह के ढांचे को बनाने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई भी की जाएगी।"
उठाई गई शिकायत के मद्देनजर की गई कार्रवाई पर भी स्टेटस रिपोर्ट मांगी गई है। हालांकि, बेंच ने आदेश दिया कि प्रतिवादी के रूप में सूचीबद्ध दो विधायकों के नाम हटा दिए जाएं।
मामले की अगली सुनवाई 16 नवंबर को होगी।
केस टाइटल: एसडी विंडलेश बनाम जीएनसीटीडी