पिछले तीन सालों में कितने क़ैदियों को ज़मानत मिलने के 24 घंटे के भीतर नहीं छोड़ा गया, दिल्ली हाईकोर्ट ने डीजी (जेल) से जांच रिपोर्ट देने को कहा

LiveLaw News Network

23 July 2020 3:15 AM GMT

  • पिछले तीन सालों में कितने क़ैदियों को ज़मानत मिलने के 24 घंटे के भीतर नहीं छोड़ा गया, दिल्ली हाईकोर्ट ने डीजी (जेल) से जांच रिपोर्ट देने को कहा

    दिल्ली हाईकोर्ट ने महानिदेशक (जेल) से यह जांच करने को कहा है कि कितने क़ैदियों को अदालत से ज़मानत मिलने के 24 घंटे के भीतर जेल से नहीं छोड़ा गया और क़ैदी इसकी वजह नहीं थे।

    न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सुब्रमोनियम प्रसाद की खंडपीठ ने जेल निदेशक को इस बारे में स्थिति रिपोर्ट पेश करने को कहा और यह भी कहा कि इसमें आदेश की तारीख़, केस नंबर, छोड़े जाने की तारीख़ और ग़ैरक़ानूनी रूप से जेल में कितने दिनों तक रखा गया।

    एक क़ैदी की याचिका पर अदालत ने यह आदेश दिया है जिसे अदालत से ज़मानत मिलने के बाद भी जेल में ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से रखा गया।

    केंद्रीय जेल-1 के अधीक्षक के हलफ़नामे पर ग़ौर करते हुए कोर्ट ने इस व्यक्ति को ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से 15.06.2020 से 25.06.2020 के बीच जेल में रखने के लिए जेल अथॉरिटी के बहानों पर गहरा असंतोष जताया।

    याचिकाकर्ता ने कहा कि उसे नेगोशबल इंस्ट्रुमेंट्स एक्ट की धारा 138 के तहत दोनों ही शिकायतों में ज़मानत मिल गई थी और निर्देश के मुताबिक़ उसने सारी औपचारिकताएं दिसंबर 2019 में ही पूरी कर दी थी।

    इसे देखते हुए कोर्ट ने कहा कि अगर आरोपी की स्थिति के बारे में कोई भ्रम था तो इस बारे में उचित समय पर ज़रूरी क़दम उठाने की ज़िम्मेदारी जेल अधीक्षक की थी और उसे संबंधित कोर्ट से आवश्यक स्पष्टीकरण प्राप्त करना चाहिए था।

    कोर्ट ने आगे ग़ौर करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को निचली अदालत ने जो सज़ा दी थी वह सज़ा वह जनवरी 2020 के अंत तक पूरी कर चुका है।

    अधीक्षक के माफ़ीनामे को अस्वीकार करते हुए कोर्ट ने उसे इस बारे में जाँच करने और इसकी स्थिति रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा है।

    इस मामले की अगली सुनवाई अब 6 अगस्त को होगी।

    आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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