आपातकाल के राजनीतिक कैदी बनकर कितने लोग धोखाधड़ी से पेंशन ले रहे हैं: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से जवाब मांगा

LiveLaw News Network

28 Dec 2021 1:32 PM GMT

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट


    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि उत्तर प्रदेश राज्य को यह बताने का निर्देश दिया है कि कितने लोग खुद को फर्जी तरीके से आपातकाल में हिरासत में लिया गया दिखाकर पेंशन ले रहे हैं।

    चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और ज‌स्टिस पीयूष अग्रवाल की पीठ पीलीभीत के लोकतंत्र रक्षक सेनानी संगठन के अध्यक्ष अशोक कुमार शमसा द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर विचार कर रही थी , जिन्होंने अदालत के समक्ष दावा किया है कि कई लोग आपातकाल के दौरे के राजनीतिक बंदियों के लिए तय मासिक पेंशन धोखाधड़ी से प्राप्त कर रहे हैं।

    याचिकाकर्ता की ओर से यह तर्क दिया गया है कि उसके अनुमान के अनुसार लगभग 1500 व्यक्ति फर्जी तरीके से पेंशन प्राप्त कर रहे हैं। यह भी प्रस्तुत किया गया है कि याचिकाकर्ता प्रशासन द्वारा फर्जी नामों में की गई जांच से संतुष्ट नहीं हैं।

    उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में पहली बार इस मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन से रिपोर्ट मांगी थी और उसके बाद प्रशासन द्वारा की गई जांच में पांच लोग ऐसे पाए गए थे, जो यह पेंशन फर्जी तरीके से ले रहे थे।

    जनहित याचिका में यह तर्क दिया गया है कि अकेले पीलीभीत जिले में कई लोगों को लोकतंत्र सेनानियों के पेंशन का हकदार बनाया गया है, भले ही वे उस समय राजनीतिक कैदियों के रूप में जेल नहीं गए थे, बल्कि उन्हें चेन स्नेचिंग या हत्या के प्रयास के आरोप में जेल भेज दिया गया था।

    इसके अलावा, जनहित याचिका में कहा गया है कि पिछले तीन वर्षों में, प्रशासन को शिकायत दर्ज करके कार्रवाई की मांग की गई थी, लेकिन कार्रवाई करने के बजाय, जिला प्रशासन ने ऐसे व्यक्तियों के पेंशन के लिए उनके दावे को स्वीकार करके, उनकी संख्या को दोगुना कर दिया, जो कथित तौर पर MISA और DIR कानूनों के तहत जेलों में बंद थे।

    गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में करीब 6000 ऐसे लोकतंत्र सेनानी हैं और उन्हें दी जाने वाली पेंशन पर सरकार का 35.35 करोड़ रुपये से ज्यादा हर महीने खर्च हो रहा है। इसके अलावा, ऐसे पेंशनभोगियों को रोडवेज बसों में मुफ्त यात्रा सेवा और जिला अस्पतालों में मुफ्त चिकित्सा सुविधा भी प्रदान की जाती है।

    मामले को आगे की सुनवाई के लिए 18 अप्रैल, 2022 को होगी।

    केस शीर्षक - अशोक कुमार शमसा और अन्य बनाम यूपी राज्य और अन्य


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