शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के संवैधानिक अधिकार को कैसे कम किया जा सकता है? कलकत्ता हाईकोर्ट ने सीपीआई (एम) नेता की याचिका पर पुलिस से पूछा

Shahadat

21 Feb 2023 6:08 AM GMT

  • शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के संवैधानिक अधिकार को कैसे कम किया जा सकता है? कलकत्ता हाईकोर्ट ने सीपीआई (एम) नेता की याचिका पर पुलिस से पूछा

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल पुलिस से पूछा कि उसने माकपा नेता तुषार कांति घोष को दक्षिण 24 परगना जिले के भांगोर इलाके में शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की अनुमति क्यों नहीं दी।

    जस्टिस राजशेखर मंथा की एकल पीठ ने भांगोर पुलिस थाने के प्रभारी निरीक्षक को स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया,

    "कैसे याचिकाकर्ता द्वारा शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के संवैधानिक अधिकार में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत आदेश जारी करके हस्तक्षेप किया जा सकता है। वर्तमान कानून और व्यवस्था की स्थिति पर दोबारा गौर किया जाएगा और इसका पुनर्मूल्यांकन किया जाएगा।”

    याचिकाकर्ता का मामला है कि वह भांगोर इलाके और कोलकाता लेदर कॉम्प्लेक्स पुलिस स्टेशन और काशीपुर पुलिस स्टेशन, बरूईपुर पुलिस जिले के अधिकार क्षेत्र में शांतिपूर्वक राजनीतिक रैली करना चाहता था।

    तीन राजनीतिक दलों यानी टीएमसी, आईएसएफ और सीपीआई (एम) के सदस्यों के बीच हिंसक झड़प के मद्देनजर भांगोर पुलिस स्टेशन के प्रभारी निरीक्षक ने सीपीसी की धारा 144 के तहत आदेश जारी किया। इस कारण याचिकाकर्ता को ऐसी रैली करने की अनुमति नहीं दी गई।

    याचिकाकर्ता की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट विकास रंजन भट्टाचार्य ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि क्या पुलिस थानों के प्रभारी निरीक्षक को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत राज्य द्वारा आदेश जारी करने का अधिकार दिया गया है या नहीं यह स्पष्ट नहीं है।

    उन्होंने आगे तर्क दिया कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत आदेश पारित होने के बाद भी अन्य राजनीतिक दल को 8 फरवरी, 2023 को एक रैली आयोजित करने की अनुमति दी गई।

    अदालत ने नोट किया,

    "पुलिस की रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि 21.01.2023 की 2023 की एफ़आईआर नंबर 12 और 21.01.2023 की एफ़आईआर नंबर 13 की दो एफ़आईआर राजनीतिक दल के सदस्यों के ख़िलाफ़ कुछ घटनाओं के संबंध में दर्ज की गई। चूंकि पुलिस संभावित गड़बड़ी करने वालों से अवगत है, इसलिए यह समझाया जाएगा कि उपयुक्त पुलिस तैनाती से स्थिति को क्यों नहीं सुधारा जा सकता।

    अदालत ने एडवोकेट जनरल को राज्य का प्रतिनिधित्व करने और मामले में दोनों पुलिस थानों की सहायता करने का भी निर्देश दिया।

    केस टाइटल: तुषार कांति घोष बनाम पश्चिम बंगाल राज्य व अन्य।

    कोरम: जस्टिस राजशेखर मंथा

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