कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की किताब 'सनराइज ओवर अयोध्या' के खिलाफ निषेधाज्ञा के लिए हिंदू सेना अध्यक्ष ने अदालत का रुख किया

LiveLaw News Network

13 Nov 2021 12:46 PM IST

  • कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की किताब सनराइज ओवर अयोध्या के खिलाफ निषेधाज्ञा के लिए हिंदू सेना अध्यक्ष ने अदालत का रुख किया

    दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में एक मुकदमा दायर कर हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद द्वारा लिखित पुस्तक 'सनराइज ओवर अयोध्या' के प्रकाशन, बिक्री, प्रसार और वितरण को रोकने के लिए निषेधाज्ञा की मांग की।

    मुकदमे में कहा गया कि वादी किताब के एक अंश को पढ़कर हैरान वह रह गया। उसने आरोप लगाया गया कि यह अंश न केवल हिंदू भावनाओं को भड़काने वाला है बल्कि बड़ी संख्या में हिंदू धर्म के लोगों की धार्मिक भावनाओं को भी आहत करता है।

    उक्त अंश पुस्तक की पृष्ठ संख्या 113 पर है।

    इसमें लिखा है,

    "द केसर स्काई" शीर्षक के साथ पृष्ठ संख्या 113 अध्याय 6 पर पुस्तक में एक अंश में लिखा है कि "भारत के साधु-संत सदियों से जिस सनातन धर्म और मूल हिंदुत्व की बात करते आए हैं, आज उसे कट्टर हिंदुत्व के ज़रिए दरकिनार किया जा रहा है. आज हिंदुत्व का एक ऐसा राजनीतिक संस्करण खड़ा किया जा रहा है, जो इस्लामी जिहादी संगठनों आईएसआईएस और बोको हराम जैसा है।"

    इस प्रकार मुकदमे में कहा गया कि हिंदुत्व या हिंदू धर्म की तुलना आईएसआईएस और बोको हराम से करने वाली पुस्तक "हिंदू धर्म को बदनाम करने का एक प्रयास है।"

    तदनुसार, यह कहा गया कि किताब में इस तरह के बयान सामाजिक अखंडता को नुकसान पहुंचाते हैं और देश और दुनिया भर में रहने वाले लाखों हिंदुओं की भावनाओं को आहत करते हैं।

    मुकदमे में कहा गया,

    "उत्तर प्रदेश राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले यह पुस्तक विमोचन कार्यक्रम यूपी राज्य में आगामी आम सभा चुनाव में अल्पसंख्यकों के वोटों का ध्रुवीकरण करने, वोट हासिल करने के लिए और वोटिंग प्रतिशत का ध्रुवीकरण करने के लिए सिर्फ एक खराब प्रचार स्टंट है।"

    मुकदमे में आगे कहा गया,

    "भारत का संविधान भारत के प्रत्येक नागरिक को अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान करता है, लेकिन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (2) के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर उचित प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत दिए गए अधिकार पूर्ण अधिकार नहीं हैं। उन्हें समाज के हित में सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रतिबंधित किया जा सकता है। यह अधिकार कुछ सीमाओं के साथ आता है और इसका दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए, जब यह देश के सद्भाव को खतरे में डालता है और उसकी सद्भावना की नींव को कमजोर करता है।"

    यह मुकदमा अधिवक्ता अक्षय अग्रवाल और सुशांत प्रकाश के माध्यम से दायर किया गया है।

    शीर्षक: विष्णु गुप्ता बनाम दिल्ली के एनसीटी राज्य और अन्य।

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