'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में रामायण को आपत्तिजनक तरीके से चित्रित नहीं किया जा सकता': 'आदिपुरुष' प्रोमो के खिलाफ दिल्ली की अदालत में याचिका

Shahadat

9 Oct 2022 4:00 AM GMT

  • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में रामायण को आपत्तिजनक तरीके से चित्रित नहीं किया जा सकता: आदिपुरुष प्रोमो के खिलाफ दिल्ली की अदालत में याचिका

    दिल्ली की एक अदालत में याचिका दायर कर आगामी फिल्म 'आदिपुरुष' की वर्तमान रूप में रिलीज पर रोक लगाने की मांग की गई। याचिका में आरोप लगाया गया कि इसके निर्माताओं द्वारा जारी किए गए प्रोमो ने हिंदू देवताओं, भगवान राम और भगवान हनुमान को गलत तरीके से चित्रित करके हिंदू समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।

    तीस हजारी कोर्ट में एडवोकेट राज गौरव द्वारा दायर याचिका में फिल्म के निर्माता और निर्देशक को टीज़र से कथित आपत्तिजनक हिस्से को यूट्यूब और फेसबुक सहित सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटाने का निर्देश देने की मांग की गई।

    सूट में प्रतिवादियों को "भगवान राम और भगवान हनुमान और रावण" को चित्रित करने से रोकने के लिए स्थायी निषेधाज्ञा के लिए डिक्री की मांग की गई, जिस तरह से उन्हें फिल्म के "आपत्तिजनक प्रोमो/टीज़र" में चित्रित किया गया है।

    फिल्म 12 जनवरी, 2023 को रिलीज होने वाली है।

    याचिका में तर्क दिया गया,

    "प्रतिवादियों का कार्य नैतिकता और शालीनता के विरुद्ध है और इसमें बहुसंख्यक हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करने की क्षमता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में प्रतिवादी महाकाव्य रामायण के मूल में हेरफेर नहीं कर सकते, जो वादी की संस्कृति, सभ्यता, आध्यात्मिकता और धर्म का हिस्सा है। प्रतिवादी को समग्र रूप से भारत के स्वर्ण इतिहास के साथ खेलने की अनुमति नहीं दी जा सकती।"

    याचिका में कहा गया कि भगवान राम की पारंपरिक छवि 'शांत व्यक्ति' की है, लेकिन उन्हें फिल्म के टीज़र में "अत्याचारी, प्रतिशोधी और गुस्सैल" व्यक्ति के रूप में दिखाया गया है।

    याचिका में कहा गया कि फिल्म के एक दृश्य में पवित्र धागे के बजाय उन्हें चमड़े का पट्टा पहने दिखाया गया है और खादम के बजाय उन्हें आधुनिक जूते या चमड़े जैसी सामग्री से बने जूते पहने हुए दिखाया गया।

    इसके अलावा, याचिका में तर्क दिया गया कि प्रोमो में भगवान हनुमान को पवित्र धागे (जनेऊ) के बजाय चमड़े की पोशाक पहने हुए अलग तरीके से दिखाया गया है।

    यह आरोप लगाते हुए कि अभिनेता सैफ अली खान द्वारा निभाए गए रावण के चरित्र को 'बेहद भयावह' दिखाया गया, याचिका में कहा गया कि माना जाता है कि रावण भगवान शिव का कट्टर आस्तिक और उपासक है, जो हमेशा अपने माथे पर तिलक लगाता है।

    याचिका में आगे तर्क दिया गया,

    "यह प्रस्तुत किया जाता है कि प्रोमो टीज़र में रावण का चित्रण इतना भयावह है कि वादी की भावनाओं को ठेस पहुंचती है। वह स्वयं ब्राह्मण होने के नाते भले ही रावण का रामायण में खलनायक चरित्र है, फिर भी उसके साथ सम्मान के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए।"

    इस प्रकार यह प्रार्थना की गई कि प्रोमो को तत्काल आधार पर इंटरनेट से प्रतिबंधित और हटा दिया जाना चाहिए, यह देखते हुए कि 'हिंदुओं के लिए यह अपमानजनक प्रभाव और क्रोध का कारण होगा'।

    याचिका में कहा गया,

    "प्रतिवादी यदि भगवान राम और भगवान हनुमान के आपत्तिजनक चित्रण के साथ हिंदुओं के प्रति घृणा फैलाने से नहीं रोका गया तो बड़े पैमाने पर जनता में बहुत आक्रोश और विद्रोह हो सकता है और देश में कानून-व्यवस्था की स्थिति भी पैदा हो सकती है। अभी आपत्तिजनक टीज़र/प्रोमो ने देश भर में भारी विरोध प्रदर्शन पैदा किया और टीवी डिबेट इस विषय से भरी हुई हैं।"

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