दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकारी स्कूलों में अपर्याप्त स्टाफ और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी पर राज्य सरकार से जवाब मांगा
Shahadat
24 May 2022 10:17 AM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी के सरकारी स्कूलों में बुनियादी ढांचे और कर्मचारियों दोनों की कमियों का उल्लेख करते हुए दायर जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया।
एक्टिंग चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस सचिन दत्ता की खंडपीठ ने दिल्ली सरकार को इस संबंध में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने और स्थिति को सुधारने के लिए प्रस्तावित कदमों से अदालत को अवगत कराने का निर्देश दिया।
खंडपीठ ने कहा,
"जीएनसीटीडी द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों में शिक्षकों, उप-प्राचार्यों और प्रधानाचार्यों की मौजूदा रिक्तियों की मौजूदा स्थिति का खुलासा करते हुए हलफनामा दर्ज करें। प्रतिवादी को रिक्तियों को भरने के लिए उठाए गए कदमों और समय-सीमा के भीतर ऐसी रिक्तियों को रिकॉर्ड में रखना चाहिए। स्टेटस रिपोर्ट में उक्त स्कूलों में बुनियादी ढांचे की कमी और सरकार इससे कैसे निपटने जा रही है, यह भी बताया जाए।"
यह घटनाक्रम में सालेक चंद जैन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आया। इस याचिका में आरोप लगाया गया कि दिल्ली के 1,027 सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के 45,503 पद खाली पड़े हैं। यह भी आरोप लगाया गया कि कई स्कूलों में अच्छी तरह से सुसज्जित पुस्तकालय, कंप्यूटर लैब, विज्ञान प्रयोगशाला आदि नहीं हैं, जिससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रभावित होती है।
याचिका में कहा गया,
"शिक्षकों के बिना सरकारी स्कूलों में छात्र शिक्षा के मौलिक अधिकार से वंचित हैं।"
हलफनामा छह सप्ताह के भीतर दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई नौ नवंबर को होगी।
केस टाइटल: सालेक चंद जैन बनाम जीएनसीटीडी