दिल्ली हाईकोर्ट ने आगामी नगर निगम चुनावों पर रोक लगाने से इनकार किया
Shahadat
9 Nov 2022 3:29 PM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के चुनावों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जो 4 दिसंबर को होने वाले हैं।
चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने कहा कि यह कानून की स्थापित स्थिति है कि एक बार चुनाव अधिसूचना प्रकाशित होने के बाद अदालत उस पर रोक नहीं लगा सकती।
अदालत ने नेशनल यूथ पार्टी के सदस्य संजय गुप्ता और रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा नागरिक निकाय के वार्डों के परिसीमन को चुनौती देने वाली तीन याचिकाओं में नोटिस जारी करते हुए यह टिप्पणी की।
याचिकाओं के बैच को अब 15 दिसंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया।
संजय गुप्ता द्वारा दायर याचिका में तर्क दिया गया कि राज्य चुनाव आयोग ने अनुसूचित जाति की आबादी के लिए नगर निगम के वार्डों को मनमाने तरीके से आरक्षित किया है। यह दावा किया गया कि आरक्षण आदेश कानूनी कमजोरियों से ग्रस्त है और इसने भारत के संविधान में अनुच्छेद 243T को सम्मिलित करने के उद्देश्य को भी विफल कर दिया।
अनुच्छेद 243T नगरपालिका में विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में बारी-बारी से अनुसूचित जाति की आबादी को आरक्षण प्रदान करता है।
याचिका में कहा गया,
"2017 और 2022 में वार्डों के परिसीमन का आधार समान है (यानि 2011 की जनगणना) और वर्ष 2017 और 2022 में वार्डों के आरक्षण का सूत्र भी एक ही है (अर्थात अनुसूचित जातियों का उच्चतम प्रतिशत अवरोही में लेना)। आदेश और उक्त दोहराए गए फॉर्मूले के कारण नगर निगम के वार्ड बिना घुमाए रहते हैं और अभी भी 2022 में अनुसूचित जाति की आबादी के लिए एमसीडी चुनाव के लिए आरक्षित रहते हैं।"
बी ब्लॉक हरिनगर रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा दायर अन्य याचिका हरि नगर वार्ड से कुछ घरों को बाहर करने और दूसरे वार्ड में शामिल करने के खिलाफ है। इसमें तर्क दिया गया कि वही अतार्किक, अनुचित है।
दिल्ली नगर निगम (संशोधन) अधिनियम, 2022 ने राष्ट्रीय राजधानी में वार्डों की संख्या पहले के 272 से घटाकर 250 कर दी और तीन अलग-अलग नगर निगमों को मिलाकर एक कर दिया।
इससे पहले, परिसीमन समिति ने अभ्यास पूरा किया और 25 अगस्त को केंद्र को मसौदा रिपोर्ट सौंपी।
इसके बाद केंद्र ने 10 सितंबर को अधिसूचना जारी कर कुल सीटों की संख्या 250 तय की, जिसमें से 42 सीटें नगर निगम में अनुसूचित जाति के सदस्यों के लिए आरक्षित हैं। इसके बाद सार्वजनिक नोटिस जारी किया गया, जिसमें जनता और अन्य लोगों से 3 अक्टूबर को या उससे पहले उक्त मसौदा परिसीमन के संबंध में अपने सुझाव या आपत्तियां दर्ज करने के लिए कहा गया। गृह मंत्रालय द्वारा अंतिम अधिसूचना 17 अक्टूबर को जारी की गई।
पिछले महीने, अदालत ने इसी तरह की याचिका में नोटिस जारी किया था, जिसमें तर्क दिया गया कि परिसीमन प्रैक्टिस वार्डों के गठन में गंभीर बदलाव किए बिना और "प्रासंगिक कारकों की पूरी तरह से अनभिज्ञता में" किया गया।