हाईकोर्ट ने उत्तरी दिल्ली में रहने वाले पाकिस्तानी हिंदू प्रवासियों के लिए बिजली कनेक्शन की मांग करने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया

LiveLaw News Network

21 Sep 2021 2:17 PM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने उत्तरी दिल्ली के कुछ इलाकों में रहने वाले पाकिस्तानी हिंदू प्रवासियों के लिए बिजली कनेक्शन की मांग वाली एक जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया।

    मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति अमित बंसल की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता हरिओम के वकील रोहित मदान को सुनने के बाद नोटिस जारी किया, जो 22 अक्टूबर को वापस करने योग्य है।

    मदन ने दावा किया कि लगभग 800 की संख्या वाले उक्त प्रवासी कई वर्षों से बिना बिजली के दिल्ली में रह रहे हैं।

    उनका दावा है कि उन्होंने इस संबंध में राज्य और केंद्र सहित विभिन्न सरकारी अधिकारियों से संपर्क किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

    याचिका में कहा गया,

    "वे सभी दिल्ली की चरम गर्मी के मौसम की स्थिति और बिजली के बिना और सरकारी प्राधिकरण की मदद के बिना मौजूदा महामारी से पीड़ित हैं।"

    यहां चमेली सिंह और अन्य बनाम यूपी राज्य और अन्य (1996) 2 एससीसी 549 के मामले को संदर्भित किया गया, जहां सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अनुच्छेद 21 के तहत एक मौलिक अधिकारों में शामिल आश्रय के अधिकार में बिजली का अधिकार भी शामिल है।

    याचिकाकर्ता ने आगे दावा किया कि प्रवासियों ने संबंधित बिजली वितरण कंपनी यानी टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड (टीपीडीडीएल) से भी संपर्क किया था।

    यह कहा गया कि हालांकि प्रवासियों ने टीपीडीडीएल के समक्ष अपने वीजा/आधार कार्ड प्रस्तुत किए उनके आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि आधार कार्ड को पहचान प्रमाण के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इसका उपयोग परिसर में रहने के प्रमाण के रूप में नहीं किया जा सकता है।

    टीडीपीपीएल के इस निर्णय से व्यथित याचिका में कहा गया,

    "माननीय हाईकोर्ट गुजरात की खंडपीठ ने कार्यकारी अभियंता (ओ एंड एम) और एक बनाम जयेंद्र नानालाल कच्छी [एलपीए/91/2010] के मामले में कहा है कि उपभोक्ता को बिजली कनेक्शन दिया जाना आवश्यक है और किसी परिसर में नहीं।"

    याचिकाकर्ता इस प्रकार दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (एलटीवी)/पासपोर्ट को पहचान प्रमाण के रूप में और आधार कार्ड को दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (आपूर्ति संहिता और प्रदर्शन मानक) विनियम, 2017 के तहत अधिभोग के प्रमाण के रूप में शामिल करने के लिए निर्देश देने की मांग करता है।

    इसके साथ ही एक निर्देश दिए जाने की मांग की गई कि हिंदू अल्पसंख्यक प्रवासियों के उपरोक्त दस्तावेजों को प्री-पेड या पोस्ट-पेड बिजली मीटर के माध्यम से बिजली कनेक्शन देने के लिए स्वीकार किया जा सकता है।

    सुनवाई के दौरान बिजली बोर्ड के अधिवक्ता सुधीर नंदराजोग ने कहा कि जिस जमीन पर प्रवासियों के रहने की बात कही जा रही है वह रक्षा मंत्रालय की है।

    कोर्ट ने प्रतिवादियों से सुनवाई की अगली तारीख तक हलफनामे के जरिए जवाब दाखिल करने को कहा।

    केस शीर्षक: हरिओम बनाम राज्य (दिल्ली का राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र)

    Next Story