माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध महिला ने की शादी: दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस को उसे पति के पास जाने के लिए सुरक्षित यात्रा मार्ग मुहैया कराने का निर्देश दिया

LiveLaw News Network

22 Jan 2022 7:00 AM GMT

  • माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध महिला ने की शादी: दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस को उसे पति के पास जाने के लिए सुरक्षित यात्रा मार्ग मुहैया कराने का निर्देश दिया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को अपने परिवार की इच्छा के विरुद्ध एक पुरुष से विवाह करने वाली महिला को सुरक्षित यात्रा मार्ग प्रदान करने का निर्देश दिया। उसका पति चेन्नई में कार्यरत है।

    जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अनूप जे. भंभानी ने महिला को उसके पति के पास जाने का कहते हुए इस तथ्य पर ध्यान दिया कि दोनों व्यस्क हैं और महिला ने अपनी मर्जी और इच्छा से शादी की है। हालांकि उसके माता-पिता उसकी इच्छा के विरुद्ध थे।

    कोर्ट ने 22 नवंबर, 2021 को आर्य समाज मंदिर द्वारा जारी किए गए विवाह प्रमाण पत्र को भी उनकी शादी के सबूत के रूप में नोट किया।

    अदालत पति द्वारा दायर एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर विचार कर रही थी। इसमें उसकी पत्नी को रिहा करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। उसकी पत्नी को उसके पिता ने कथित रूप से अवैध रूप से बंद बना लिया था। लड़की का पिता दिल्ली पुलिस में एक पुलिस अधिकारी है।

    पूर्वाहन सत्र में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से अपने पैतृक आवास से अदालत में पेश होने वाली महिला से बातचीत के बाद पुलिस की सुरक्षा में थाने से अपनी बात रखने की इच्छा जताई थी। तदनुसार, पीठ ने दिल्ली पुलिस को महिला को संबंधित पुलिस स्टेशन ले जाने का निर्देश दिया।

    थाने पहुंचने के बाद महिला ने कोर्ट से बातचीत की और अपने पति के पास जाने की इच्छा जाहिर की। महिला ने आग्रह किया कि वह अपने साथ-साथ अपने पति की सुरक्षा के लिए भी डरी हुई है।

    सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात का संज्ञान लिया कि बेंच के समक्ष दिया गया महिला का बयान उस बयान से अलग है जो उसने मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के सामने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दिया था।

    इस पर, महिला ने कहा कि उक्त बयान उसके द्वारा गंभीर दबाव में दिया गया था, क्योंकि उसके परिवार द्वारा उसे धमकी दी गई थी कि राजस्थान में एक खाप पंचायत उसकी शादी को देख रही है और उसने उसे और साथ ही उसके पति को 'खत्म' करने का फैसला किया है।

    तदनुसार, अदालत ने संबंधित एसएचओ को निर्देश दिया कि जहां पति के खिलाफ एफईआर दर्ज की गई है, वह सीआरपीसी की धारा 164 के तहत एक सक्षम मजिस्ट्रेट द्वारा महिला के बयान को नए सिरे से दर्ज करवाएं।

    याचिकाकर्ता पति की ओर से पेश वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता महिला के लिए चेन्नई जाने की व्यवस्था करने की स्थिति में है जहां वह वर्तमान में कार्यरत है।

    तदनुसार, अदालत ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वह महिला के चेन्नई जाने तक उस को निर्मल छाया होम में एक महिला इंस्पेक्टर निशा शर्मा की देखरेख और कस्टडी में रखे।

    इसलिए अदालत ने याचिकाकर्ता को अपनी पत्नी के लिए दिल्ली से चेन्नई की यात्रा के लिए हवाई टिकट की व्यवस्था करने की स्वतंत्रता दी। अदालत ने महिला निरीक्षक को निर्मल छाया होम से आईजीआई हवाई अड्डे तक सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित करने और यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि वह उड़ान भर सके।

    कोर्ट ने कहा,

    "याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील को उक्त कार्यक्रम में समन्वय स्थापित करने का निर्देश दिया जाता है।"

    तद्नुसार याचिका का निस्तारण किया गया।

    शीर्षक: नेमी चंद भगवान बनाम राज्य (एनसीटी दिल्ली) और अन्य।

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