दिल्ली हाईकोर्ट ने पतंगबाजी के लिए 'चीनी मांझा' की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के एनजीटी आदेश के कार्यान्वयन पर पुलिस से जवाब मांगा

Shahadat

4 Aug 2022 12:09 PM IST

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने पतंगबाजी के लिए चीनी मांझा की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के एनजीटी आदेश के कार्यान्वयन पर पुलिस से जवाब मांगा

    दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को पतंग उड़ाने में इस्तेमाल होने वाले चीनी सिंथेटिक मांझा की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने वाले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा पारित आदेश के कार्यान्वयन पर दिल्ली पुलिस का जवाब मांगा।

    चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ एडवोकेट संसेर पाल सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में पतंग उड़ाने के साथ-साथ उसमें इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं के निर्माण, बिक्री और भंडारण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है।

    एनजीटी ने वर्ष 2017 में नायलॉन या किसी भी सिंथेटिक मांझा या धागे के निर्माण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था, जो कि प्रकृति में घातक और गैर-बायोडिग्रेडेबल है।

    ट्रिब्यूनल ने सभी राज्य सरकारों को पतंग उड़ाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सिंथेटिक मांझा/नायलॉन धागे और इसी तरह के अन्य सभी सिंथेटिक धागे के निर्माण, बिक्री, स्टोर, खरीद और उपयोग पर रोक लगाने का भी निर्देश दिया।

    सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि एनजीटी के आदेश के बावजूद खुले बाजार में चीनी मांझे बेचे जा रहे हैं।

    दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए संजय लाओ ने अदालत को अवगत कराया कि इस संबंध में हर साल आदेश पारित किए जाते हैं। उन्होंने प्रार्थना की कि मामले को सुनवाई के लिए शुक्रवार (कल) को सूचीबद्ध किया जाए ताकि उचित निर्देश मांगे जा सकें।

    अदालत ने कहा,

    "दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील ने मामले को कल (शुक्रवार) सूचीबद्ध करने की प्रार्थना की।"

    बेंच ने मौखिक रूप से दिल्ली पुलिस के वकील से कहा:

    "आप हमें बताएं कि एनजीटी द्वारा पारित आदेश को लागू करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।"

    इसे 'किटमेनिया' कहते हुए याचिका में तर्क दिया गया कि कांच के लेपित या धातु के तार या धागे का उपयोग, जिन्हें "चीनी मांझा" के रूप में जाना जाता है, पक्षियों के अलावा मनुष्यों के जीवन और सुरक्षा के लिए भी खतरनाक हैं।

    याचिका में कहा गया,

    "क्योंकि हर बार पतंग उड़ाने वालों के बीच प्रतियोगिता होती है, उक्त प्रतियोगिता कभी समाप्त नहीं होती है। इस प्रतियोगिता में हर अवसर पर प्रत्येक पतंग उड़ाने वाले दूसरे पतंगबाज को अन्य प्रतियोगी/व्यक्ति की पतंग को काटकर उसे प्रतियोगिता से बाहर निकालने की कोशिश करता है। उसके अनुसरण में प्रत्येक पतंग उड़ाने वाला/प्रतियोगी अन्य प्रतियोगी की तुलना में बेहतर और अधिक शक्तिशाली/खतरनाक मांझे का उपयोग करने की कोशिश करता है।"

    मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी।

    केस टाइटल: संसेर पाल सिंह बनाम यूओआई और अन्य

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