हाईकोर्ट मध्यस्थता अधिनियम की धारा 37 तहत अपील में दावे के गुण-दोष की जांच नहीं कर सकता: सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network

12 Jan 2022 10:31 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 37 के तहत एक अपील में दावे के गुणदोष की जांच नहीं कर सकता है।

    इस मामले में, मध्यस्थ ने एक पक्ष को 9.5 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया था। दूसरे पक्ष ने मध्यस्थ द्वारा पारित निर्णय के खिलाफ मध्यस्थता अधिनियम की धारा 34 के तहत अतिरिक्त जिला न्यायाधीश, चंडीगढ़ के समक्ष आपत्ति याचिका दायर की। उक्त याचिका खारिज कर दी गई।

    इसके बाद, मध्यस्थता अधिनियम की धारा 37 के तहत हाईकोर्ट के समक्ष एक और अपील दायर की गई। उक्त अपील को हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया, जिसने दावे के गुण-दोष पर विचार किया और मध्यस्थ द्वारा पारित निर्णय के साथ-साथ अतिरिक्त जिला न्यायाधीश, चंडीगढ़ द्वारा पारित आदेश को रद्द कर दिया।

    सुप्रीम कोर्ट के समक्ष, अपीलकर्ता ने तर्क दिया कि मध्यस्थ द्वारा पारित निर्णय को रद्द करते हुए हाईकोर्ट ने मध्यस्थता अधिनियम की धारा 37 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र से आगे बढ़ गया-

    इस तर्क से सहमति जताते हुए जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने कहा:

    8. निर्णयों की श्रेणी में इस न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून की स्थापित स्थिति के अनुसार, एक अवॉर्ड केवल तभी रद्द किया जा सकता है, जब अवॉर्ड भारत की सार्वजनिक नीति के विरुद्ध हो। अर्ब‌िट्रेशन एक्ट की धारा 34/37 के तहत अवॉर्ड को रद्द किया जा सकता है, अगर यह अवॉर्ड भारतीय कानून की मौलिक नीति (ए) के विपरीत पाया जाता है; या (बी) भारत के हित; या (सी) न्याय या नैतिकता; या (डी) यदि यह पूरी तरह से अवैध हो।

    उपरोक्त में से कोई भी अपवाद मामले के तथ्यों पर लागू नहीं होता है। हाईकोर्ट ने दावे के गुण-दोष की जांच की है और मध्यस्थता अधिनियम की धारा 37 के तहत अपील का निर्णय इस प्रकार किया है जैसे कि हाईकोर्ट विद्वान विचारण न्यायालय द्वारा पारित निर्णय और डिक्री के विरुद्ध अपील का निर्णय कर रहा था। इस प्रकार, हाईकोर्ट ने मध्यस्थता अधिनियम की धारा 37 के तहत उस अधिकार क्षेत्र का प्रयोग किया है जो इसमें निहित नहीं है।

    इस प्रकार, पीठ ने मध्यस्थ द्वारा पारित अवॉर्ड को बहाल कर दिया।

    केस शीर्षक: हरियाणा टूरिज्म लिमिटेड बनाम मेसर्स कंधारी बेवरेजेज लिमिटेड

    सिटेशन: 2022 लाइव लॉ (एससी) 38

    मामला संख्या और तारीख: सीए 266 ऑफ 2022 | 11 जनवरी 2022

    कोरम: जस्टिस एमआर शाह और बीवी नागरत्न

    वकील: अपीलकर्ता के लिए वकील बीके सतीजा और प्रतिवादी के लिए सलाहकार कंवल चौधरी

    निर्णय पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

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