हरियाणा सरकार ने डिस्ट्रिक्ट जजों की नियुक्ति पर हाईकोर्ट की सिफारिशों को खारिज करने को उचित ठहराया, केंद्रीय कानून मंत्रालय की कानूनी राय का हवाला दिया
Shahadat
15 Sept 2023 11:03 AM IST

Punjab & Haryana High Court
हरियाणा सरकार ने राज्य में एडिशनल एंड डिस्ट्रिक्ट सेशन जजों की नियुक्ति ( Appointment of Additional and District Sessions judges) के लिए हाईकोर्ट द्वारा की गई सिफारिशों को खारिज करने की अपनी कार्रवाई का बचाव किया।
एक हलफनामे में हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने प्रस्तुत किया कि उन्होंने इस मामले पर केंद्रीय कानून मंत्रालय से कानूनी राय ली है। इस राय में कहा गया है कि यदि हरियाणा सुपीरियर न्यायिक सेवा नियमों में एचसी द्वारा एकतरफा संशोधन किया गया तो हरियाणा सरकार हाईकोर्ट की सिफारिशों को स्वीकार करने के लिए बाध्य नहीं होगी।
कौशल ने कहा कि उन्हें वकील का पत्र मिला है, जिसमें आरोप लगाया गया कि हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को शामिल किए बिना नियुक्तियों के लिए पात्रता मानदंड को संशोधित किया है। यह आरोप लगाया गया कि हाईकोर्ट ने राज्य से परामर्श किए बिना या इसकी कोई सार्वजनिक सूचना दिए बिना मौखिक परीक्षा में कट ऑफ अंक 50% निर्धारित कर दिया।
केंद्रीय कानून मंत्रालय ने कहा कि हरियाणा सुपीरियर न्यायिक सेवा नियमों में संशोधन के लिए राज्य सरकार के साथ परामर्श "अनिवार्य" है और कथित परामर्श न होने की स्थिति में हरियाणा सरकार न्यायिक पुनर्विचार का विकल्प भी चुन सकती है।
मुख्यमंत्री द्वारा हाईकोर्ट को संबोधित 'अवमाननापूर्ण' पत्र पर आपत्ति जताने के बाद हाईकोर्ट ने कल मुख्य सचिव को तलब किया था। इसमें 13 न्यायिकों की पदोन्नति के लिए उसकी "मनमानी" सिफारिशों को स्वीकार नहीं करने के राज्य अधिकारी के फैसले से अवगत कराया गया था।
पत्र को चयनित/अनुशंसित उम्मीदवारों की पदोन्नति के माध्यम से जिला न्यायाधीशों की नियुक्तियों के चयन और अधिसूचना को समाप्त करने की मांग करने वाली याचिका में सरकार द्वारा प्रस्तुत स्टेटस रिपोर्ट के साथ संलग्न किया गया।
याचिकाकर्ता के वकील गुरमिंदर सिंह ने कहा कि यदि किसी स्पष्टीकरण की आवश्यकता थी तो राज्यपाल को केंद्र सरकार से नहीं, बल्कि हाईकोर्ट से परामर्श करना चाहिए था।
संविधान के अनुच्छेद 233 में प्रावधान है कि किसी भी राज्य में जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति राज्य के राज्यपाल द्वारा क्षेत्राधिकार वाले हाईकोर्ट के परामर्श से की जाएगी। याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि इस संबंध में केंद्र सरकार को कोई भूमिका नहीं सौंपी गई है।
हाईकोर्ट ने सहमति में सिर हिलाते हुए बताया कि केंद्र ने "नियमों में संशोधन के लिए परामर्श की आवश्यकता" पर अपनी राय देने के लिए बिजली से संबंधित "अप्रासंगिक" मामले कानूनों पर भरोसा किया है।
जस्टिस जीएस संधावालिया और जस्टिस हरप्रीत कौर जीवन की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि क्या नियुक्ति में बाधा जानबूझकर डाली गई है।
इस संबंध में मौखिक रूप से टिप्पणी की गई,
"वह नीली आंखों वाला लड़का कौन है, जिसके लिए राज्य हाईकोर्ट की सिफारिश पर बैठा है?...सिफारिश में हमें उसकी याद आ गई होगी।"
हालांकि, एडवोकेट ने कहा कि राज्य केवल प्रक्रियात्मक पहलू से चिंतित है।
उन्होंने कहा,
''हम केवल प्रक्रिया पर हैं।''
कोर्ट ने पत्र में उचित भाषा का उपयोग नहीं करने के लिए मुख्य सचिव की भी खिंचाई की।
कोर्ट ने मौखिक रूप से टिप्पणी की,
'आपके निचले अधिकारियों को संवैधानिक निकायों को संबोधित करने का तरीका सीखने के लिए महात्मा गांधी राज्य लोक प्रशासन संस्थान में जाने की जरूरत है।'
मामला अब 09 अक्टूबर को सूचीबद्ध है।
इस बीच कोर्ट ने याचिकाकर्ता को विषय पर बाद के घटनाक्रम के मद्देनजर याचिका में संशोधन करने की स्वतंत्रता दी।
केस टाइटल: शिखा और अन्य बनाम हरियाणा राज्य और अन्य
अपीयरेंस: गुरमिंदर सिंह, सीनियर एडवोकेट, हरप्रिया खनेका, याचिकाकर्ताओं की वकील, बी.आर. प्रतिवादी नंबर 1 और 2 के लिए महाजन, एडवोकेट जनरल, हरियाणा और अरुण बेनीवाल, डीएजी, हरियाणा और मुनीषा गांधी, सीनियर वकील शुब्रीत कौर सरोन, प्रतिवादी नंबर 3 की वकील।
ऑर्डर पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

