जिला बार ने शनिवार को काम न करने का प्रस्ताव पारित किया, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने राज्य बार काउंसिल से संपर्क करने को कहा

Shahadat

24 Feb 2025 11:20 AM

  • जिला बार ने शनिवार को काम न करने का प्रस्ताव पारित किया, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने राज्य बार काउंसिल से संपर्क करने को कहा

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने जिला बार एसोसिएशन हिसार की आम सभा द्वारा पारित प्रस्ताव को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे पंजाब और हरियाणा बार काउंसिल से संपर्क करें, जिसमें प्रस्ताव पारित गया कि सप्ताह में पांच दिन कार्य दिवस तथा सभी शनिवार को कार्य-मुक्त दिवस के रूप में मनाया जाए।

    चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस हरमीत सिंह ग्रेवाल की खंडपीठ ने कहा,

    "पंजाब एवं हरियाणा बार काउंसिल के समक्ष प्रतिनिधित्व/विवाद प्रस्तुत करने का आंतरिक उपाय है, जिसका याचिकाकर्ता बहुत अच्छी तरह से लाभ उठा सकते हैं।"

    याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने प्रस्तुत किया कि जिला बार एसोसिएशन, हिसार द्वारा लिया गया निर्णय सुप्रीम कोर्ट द्वारा जिला बार एसोसिएशन देहरादून के माध्यम से उसके सचिव बनाम ईश्वर शांडिल्य एवं अन्य के मामले में निर्धारित कानून का उल्लंघन है।

    जिला बार एसोसिएशन देहरादून (सुप्रा) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के देहरादून, हरिद्वार और उधम सिंह नगर जिलों में कोर्ट का बहिष्कार करके हड़ताल करने वाले वकीलों को कड़ी फटकार लगाई।

    जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एम आर शाह की खंडपीठ ने स्पष्ट रूप से कहा कि वकीलों द्वारा न्यायालयों का बहिष्कार अवैध है। इसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के प्रयोग के रूप में उचित नहीं ठहराया जा सकता।

    न्यायालय ने टिप्पणी की,

    “संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की आड़ में हड़ताल/न्यायालय का बहिष्कार उचित नहीं ठहराया जा सकता। किसी को भी हड़ताल/न्यायालय का बहिष्कार करने का अधिकार नहीं है। यहां तक ​​कि यदि कोई ऐसा अधिकार है तो वह दूसरों के अधिकारों और विशेष रूप से संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत गारंटीकृत त्वरित न्याय के अधिकार को प्रभावित नहीं कर सकता।”

    प्रतिवेदनों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा,

    “इस याचिका के गुण-दोष पर विचार किए बिना याचिकाकर्ताओं को 30 दिनों की अवधि के भीतर पंजाब और हरियाणा बार काउंसिल के समक्ष अपना प्रतिनिधित्व प्रस्तुत करने की स्वतंत्रता दी जाती है। इस याचिका और आज पारित आदेशों की एक प्रति के साथ।”

    याचिका का निपटारा करते हुए न्यायालय ने पंजाब एवं हरियाणा बार काउंसिल से कहा कि वह इस पर विचार करे और "60 दिनों की सीमा के भीतर एक आदेश पारित करके निर्णय ले तथा इसकी सूचना याचिकाकर्ताओं को दी जाए।"

    केस टाइटल: राजपाल एवं अन्य बनाम जिला बार एसोसिएशन हिसार एवं अन्य।

    Next Story