[ज्ञानवापी] "क्या संरचना को नुकसान पहुंचाए बिना 'शिव लिंग' की उम्र का पता लगाया जा सकता है?": इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एएसआई से पूछा

Avanish Pathak

5 Nov 2022 5:15 PM IST

  • [ज्ञानवापी] क्या संरचना को नुकसान पहुंचाए बिना शिव लिंग की उम्र का पता लगाया जा सकता है?: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एएसआई से पूछा

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को वाराणसी कोर्ट के 14 अक्टूबर के आदेश के खिलाफ दायर याचिका को स्वीकार कर लिया। उक्त आदेश में वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर (16 मई को) के अंदर कथित तौर पर पाए गए 'शिव लिंग' की वैज्ञानिक जांच करने के लिए हिंदू उपासकों की याचिका को खारिज कर दिया था।

    कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को नोटिस जारी करते हुए एएसआई के महानिदेशक से भी राय मांगी है कि क्या ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर कथित रूप से मिले 'शिव लिंग' की उम्र का सुरक्षित मूल्यांकन किया जा सकता है।

    न्यायालय ने दरअसल डीजी, एएसआई से निम्नलिखित मुद्दों पर 21 नवंबर, 2022 तक अपनी राय देने को कहा है,

    "...क्या कार्बन डेटिंग, ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर), उत्खनन और और अन्य विध‌ियों, जिनसे इसकी उम्र, प्रकृति और अन्य प्रासंगिक जानकारी प्राप्त की जा सकती हैं, उनसे श‌िवल‌िंग को नुकसान होने की संभावना है या इसकी उम्र के बारे में एक सुरक्षित मूल्यांकन किया जा सकता है।"

    दरअसल, यह मुद्दा अदालत के विचार के लिए आया था, क्योंकि पुनर्विचारकर्ताओं (लक्ष्मी देवी और 3 अन्य) ने वाराणसी कोर्ट के 14 अक्टूबर के आदेश को चुनौती देते हुए, एएसआई को 'शिव लिंग' की वैज्ञानिक जांच करने के लिए हाईकोर्ट के निर्देश की भी मांग की ‌थी।

    पुनर्विचारकर्ताओं वैज्ञानिक विधियों को नियोजित करते हुए शिवलिंग की आयु, प्रकृति और अन्य घटकों को निर्धारित करने के लिए वैज्ञानिक जांच के लिए एक आयोग के माध्यम से अपनी राय देने के लिए एएसआई को निर्देश देने की मांग की थी।

    इस आशय की एक प्रार्थना ('शिव लिंग' की वैज्ञानिक जांच) पहले सितंबर 2022 में वाराणसी कोर्ट के समक्ष की गई थी, हालांकि, उस स्थान की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट के 17 मई के आदेश को ध्यान में रखते हुए इसे खारिज कर दिया गया था। ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान "शिव लिंग" पाए जाने का दावा किया गया था।

    उस आदेश को चुनौती देते हुए, हाल ही में हाईकोर्ट के समक्ष मौजूदा पुनरीक्षण याचिका दायर की गई थी।

    कल जब मामला हाईकोर्ट की सुनवाई के लिए आया तो पुनर्विचारकर्ताओं की ओर से पेश वकीलों ने प्रस्तुत किया कि आक्षेपित आदेश कानून में खराब है क्योंकि यह एक प्राथमिक तर्क पर आधारित है कि वादी द्वारा दावा किए गए शिवलिंगम की वैज्ञानिक जांच से इसे नुकसान होगा और यह सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन होगा।

    इसके अलावा, उन्होंने तर्क दिया कि वाराणसी कोर्ट द्वारा व्यक्त की गई इस आशंका का कोई आधार नहीं है कि 'शिव लिंग' को नुकसान होगा क्योंकि कार्बन डेटिंग, ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर), और उत्खनन वास्तव में इसे नुकसान पहुंचाएगा..।

    इसे देखते हुए, अदालत ने याचिका को स्वीकार करते हुए वाराणसी कोर्ट को दिसंबर 2022 के पहले सप्ताह में मामले में मुख्य मुकदमे में एक तारीख तय करने का भी निर्देश दिया।

    केस टाइटलः श्रीमती लक्ष्मी देवी और तीन अन्य बनाम यूपी राज्य प्रधान सचिव के माध्यम से (Civil Sec) लखनऊ और 5 अन्य।

    आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

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