गुजरात दंगे | हाईकोर्ट ने पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार की अंतरिम जमानत 10 दिनों के लिए बढ़ाई

Shahadat

15 Nov 2022 5:27 AM GMT

  • गुजरात दंगे | हाईकोर्ट ने पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार की अंतरिम जमानत 10 दिनों के लिए बढ़ाई

    गुजरात हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त डीजीपी आरबी श्रीकुमार को दी गई अंतरिम जमानत की अवधि को सत्र न्यायालय द्वारा उनकी नियमित जमानत याचिका के निपटारे के लंबित रहने तक 10 दिनों की अवधि के लिए बढ़ा दिया। इससे पहले उन्हें 15 नवंबर तक जमानत दी गई थी।

    पूर्व डीजीपी श्रीकुमार को इस साल जून में गुजरात पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया कि उन्होंने 2002 के गुजरात दंगों के सिलसिले में निर्दोष लोगों को फंसाने की साजिश रची। उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 468, 471, 194, 211, 218 और 120बी के तहत मामला दर्ज किया गया।

    गुजरात हाईकोर्ट ने इससे पहले इस साल सितंबर में उन्हें 15 नवंबर तक अंतरिम जमानत दी थी ताकि वह नए जमानत आवेदन के साथ सत्र न्यायालय में जा सकें। 7 अक्टूबर को वह सत्र न्यायालय में गए और दोनों पक्षों का तर्क 11 नवंबर, 2022 को समाप्त हुआ। अब मामला शहर सत्र न्यायालय द्वारा आदेश के लिए रखा गया है।

    इन तथ्यों के आलोक में पूर्व डीजीपी श्रीकुमार ने 14 नवंबर को अदालत के समक्ष प्रार्थना की कि उनकी अंतरिम जमानत को आगे बढ़ाया जाए, जबकि उनकी नियमित जमानत याचिका सत्र न्यायालय के समक्ष लंबित है।

    जस्टिस इलेश जे वोरा की पीठ ने इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि अंतरिम जमानत पर बाहर रहते हुए उन्होंने हाईकोर्ट द्वारा दी गई स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं किया और जमानत की शर्तों का पालन किया, अंतरिम जमानत की अवधि को 10 दिनों के लिए बढ़ा दिया।

    पूर्व डीजीपी श्रीकुमार, 1971 बैच के आईपीएस अधिकारी, जो मूल रूप से केरल के हैं और गोधरा कांड के दौरान गुजरात में सशस्त्र इकाई के प्रभारी एडीजीपी थे। उनको अहमदाबाद अपराध शाखा द्वारा दायर दर्ज शिकायत पर सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के साथ गिरफ्तार किया गया था। अधिकारी ने उन पर निर्दोष व्यक्तियों को झूठा फंसाने की साजिश रचने का आरोप लगाया।

    अहमदाबाद अपराध शाखा के इंस्पेक्टर डी बी बराड द्वारा दायर शिकायत में कहा गया कि सीतलवाड़, भट्ट और श्रीकुमार ने कई लोगों को मौत की सजा के साथ दंडनीय अपराध में दोषी ठहराने के लिए झूठे सबूत गढ़कर कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने की साजिश रची थी।

    केस टाइटल- रमन पिल्लै भास्करेन नायर श्रीकुमार (आरबी श्रीकुमार) बनाम गुजरात राज्य

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