गुजरात हाईकोर्ट ने व्यवसायी को आर्म्स लाइसेंस देने से इनकार करने का आदेश रद्द किया

Shahadat

10 March 2023 4:58 AM GMT

  • गुजरात हाईकोर्ट ने व्यवसायी को आर्म्स लाइसेंस देने से इनकार करने का आदेश रद्द किया

    गुजरात हाईकोर्ट ने सोमवार को हाईकोर्ट की एकल न्यायाधीश खंडपीठ के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें व्यवसायी को आर्म्स लाइसेंस देने से इनकार कर दिया गया था। उक्त व्यावसायी ने इस आधार पर आर्म्स लाइसेंस के लिए अनुरोध किया था कि उसके लिए डिजीटल भुगतान के माध्यम से लेनदेन करने और नकद लेनदेन से बचने के विकल्प खुले है, उसे नकद लेनदेन करना होता है।

    एक्टिंग चीफ जस्टिस ए जे देसाई और जस्टिस बीरेन वैष्णव की खंडपीठ ने अपीलकर्ता द्वारा दायर पत्र पेटेंट अपील की अनुमति देते हुए कहा,

    "एकल न्यायाधीश के समक्ष विवादित आदेशों के अवलोकन से संकेत मिलता है कि आर्म्स लाइसेंस के लिए अपीलकर्ता के अनुरोध को खारिज करने में अधिकारियों के साथ तौला जाने वाला एकमात्र आधार यह है कि अपीलकर्ता के पास डिजीटल पेमेंट के माध्यम से निपटने और नकद लेनदेन से बचने के विकल्प खुले है। यह कोई खतरे की धारणा नहीं है। आर्म्स एक्ट के प्रावधानों को पढ़ना, विशेष रूप से इसकी धारा 14 यह इंगित करती है कि अधिकारियों द्वारा दिए गए ऐसे आधार अधिनियम की धारा 14 के दायरे से बाहर हैं।

    अपीलकर्ता परिवहन और निर्माण के व्यवसाय में लगा हुआ है और नकद लेनदेन करता है। उसने वर्ष 2016 में आर्म्स लाइसेंस के लिए आवेदन किया, जिसे कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट, भावनगर ने इस आधार पर खारिज कर दिया कि अपीलकर्ता के पास नकद लेनदेन करने के बजाय बैंकिंग और कूरियर सेवाओं के माध्यम से संचालन करने के लिए खुला है और डिजिटल लेन-देन के साधन उपलब्ध हैं, इसलिए अपीलकर्ता आर्म्स लाइसेंस का हकदार नहीं है।

    अपीलकर्ता ने कलेक्टर के आदेश को चुनौती देते हुए अपीलकर्ता प्राधिकारी के समक्ष अपील दायर की, जिसे दिनांक 25 जून, 2019 के आदेश द्वारा खारिज कर दिया गया।

    अपीलकर्ता ने विवादित आदेशों को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसकी एकल न्यायाधीश पीठ ने 22 सितंबर, 2022 के आदेश की पुष्टि की। इसलिए अपीलकर्ता ने एकल न्यायाधीश के विवादित आदेश को चुनौती देने वाले पत्र पेटेंट के खंड 15 के तहत अपील दायर की।

    सहायक सरकारी वकील साहिल त्रिवेदी ने प्रस्तुत किया कि शस्त्र अधिनियम, 1959 के प्रावधानों के तहत यह लाइसेंसिंग प्राधिकारी की व्यक्तिपरक संतुष्टि है, जो क्षेत्र में है और जो सामग्री के आधार पर स्थिति का आकलन कर सकता है, जो उसके सामने है।

    उन्होंने आगे कहा कि इस तरह के मूल्यांकन को इस न्यायालय द्वारा प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता है और न्यायालय ऐसी व्यक्तिपरक संतुष्टि के लिए तथ्यों को निर्धारित करने के लिए कोई अभ्यास नहीं कर सकता है।

    अदालत ने वल्लभभाई रामजीभाई खगड़ बनाम गृह विभाग में 2022 के विशेष सिविल आवेदन नंबर 2959 में 2022 के पत्र पेटेंट अपील नंबर 425 में गुजरात हाईकोर्ट के फैसले पर भरोसा किया, जिसमें यह निर्धारित किया गया,

    "यह व्यक्तिपरक संतुष्टि है, वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन के आधार पर लाइसेंसिंग प्राधिकरण शस्त्र लाइसेंस देने या अस्वीकार करने के लिए निष्कर्ष पर पहुंचेगा और सर्वोपरि विचार यह होगा कि क्या आवेदक के जीवन के लिए खतरा है, जो शस्त्र लाइसेंस प्रदान करने का अधिकार देता है।”

    तदनुसार, अदालत ने एकल न्यायाधीश द्वारा पारित आक्षेपित आदेश रद्द कर दिया।

    केस टाइटल: महावीरसिंह वनराजसिंह गोहिल बनाम गुजरात राज्य

    कोरम: एक्टिंग चीफ जस्टिस ए जे देसाई और जस्टिस बीरेन वैष्णव

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